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Narmada River Politics: 2023 में कौन लगाएगा सत्ता की डुबकी, समझें एमपी की राजनीति में नर्मदा का महत्व

एमपी में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. इससे पहले ही राजनीतिक पार्टियों का झुकाव नर्मदा नदी की ओर होने लगा है. सोमवार को आधिकारिक तौर पर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम हो गया है. इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है. इससे पहले के चुनावों में नर्मदा नदी के लिए कई यात्राएं हुईं. लेकिन नर्मदा नदी का कोई विकास नहीं हुआ. एक रिपोर्ट के मुताबिक नर्मदा में हर दिन 150 एमएलडी से ज्यादा गंदगी मिल रही है.

narmada river
नर्मदा नदी
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Published : Feb 7, 2022, 10:27 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 8:03 AM IST

भोपाल। प्रदेश में आज नर्मदा महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन दो दिन बाद जब यह महोत्सव खत्म हो जाएगा किसी को मां नर्मदा की याद नहीं आएगी. हालांकि चुनाव आ रहे हैं, तो राजनेता शायद याद कर लें. क्योंकि मां नर्मदा का सहारे नेताओं को जीत की डुबकी लगानी है. जीत के बाद किसी भी नेता को नर्मदा नदी की याद नहीं आती. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश की सियासत में नर्मदा नदी हमेशा केंद्र में रही है. (narmada river project mp)

कागजों में सिमटकर रह जाती हैं घोषणाएं
हर पांच साल में विधानसभा चुनाव होते हैं. चुनावों के नजदीक आती ही प्रदेश की राजनीति में नर्मदा नदी केंद्र बनने लगती है. ऐसे में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करते हैं, लेकिन वह सब उन्हीं तक रह जाती है या कुछ कागजों में उतरकर सिमट जाती हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए नर्मदा नदी के नाम, उसके धार्मिक सामाजिक ऐतिहासिक महत्व का भरपूर फायदा उठाया है. (narmada river development mp)

नर्मदा नदी से वोट बैंक बनाते हैं नेता
मध्य प्रदेश की राजनीति में नर्मदा नदी ऐसे ही है जैसे उत्तर प्रदेश में गंगा. चुनावों के वक्त नर्मदा को अविरल बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर घाट इलाके में रह रही एक बड़ी आबादी के वोट बैंक को लुभाने की कोशिशें की जाती है. नर्मदा नदी के नाम पर वोट लूटने की सियासत दशकों से चली आ रही है. बीते दो दशक की बात करें तो मध्यप्रदेश में जमकर सियासत हुई है. (politics on narmada river)

2023 के लिए सीएम शिवराज का कदम
नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक से होता है. वहां से लेकर गुजरात में दाखिल होने तक राजनीति में नर्मदा नदी का जमकर इस्तेमाल होता है. इनमें धारा प्रवाह, स्वच्छता, अवैध उत्खनन जैसे कई मुद्दों को लेकर राजनेता जनता के बीच जाते हैं और वोट मांगते हैं. प्रदेश की शिवराज सरकार ने 2023 विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा नदी के बड़े धार्मिक स्थल होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम कर दिया. आज 7 फरवरी को इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है. यही नहीं मंगलवार दोपहर सेठानी घाट पर मां नर्मदा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कार्यक्रम में सीएम शिवराज शामिल होंगे और जल मंच से मां नर्मदा का अभिषेक कर प्रदेश के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करेंगे. (cm shivraj announcment on narmada river)

प्राकृतिक खेती का हुआ ऐलान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर ऐलान किया है कि नर्मदा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए उसके आसपास प्राकृतिक खेती की जाएगी. इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी प्रदेश के हर एक व्यक्ति की आस्था का बिंदु है. (narmada river natural farming mp)

सीएम शिवराज ने की नर्मदा यात्रा
यहां यह जानना भी जरूरी है कि नर्मदा नदी को सियासी दलों ने कैसे-कैसे वादों का केंद्र बनाया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2017 में नर्मदा सेवा यात्रा की शुरुआत की थी. अमरकंटक से शुरू हुई यह यात्रा गुजरात होते हुए 150 दिन के बाद खत्म हुई. सीएम शिवराज ने अपनी इस यात्रा के दौरान कहा था की यह यात्रा मां नर्मदा का कर्ज उतारने की कोशिश है. सीएम शिवराज ने नर्मदा नदी के आसपास बड़े प्लांटेशन का ऐलान किया था. सरकार ने नर्मदा किनारे 6 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का अभियान शुरू किया था.

रत खनन पर सख्त दिखे सीएम
रेत खनन को लेकर भी सीएम शिवराज ने सख्ती दिखाई. मुख्यमंत्री ने नर्मदा के धार्मिक महत्व को आगे बढ़ाते हुए नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सभी शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला भी लिया. अब सरकार नर्मदा के आसपास होने वाली खेती को रासायनिक खेती से मुक्त कराने के साथ प्राकृतिक खेती में बदलने की तैयारी में है.

दिग्विजय सिंह ने की नर्मदा परिक्रमा
भाजपा ही नहीं, कांग्रेस की सियासत के केंद्र में भी नर्मदा नदी रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा शुरू की. दिग्विजय सिंह ने यह यात्रा 142 दिन में पूरी की. दिग्विजय सिंह की इस यात्रा का कांग्रेस को फायदा पहुंचा और 2018 में कांग्रेस ने सत्ता हासिल कर ली. उन्होंने नर्मदा किनारे तकरीबन 3,300 किलोमीटर की इस पद यात्रा के जरिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की

कमलनाथ ने क्या किया
सत्ता में आने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने नर्मदा के आसपास हुए प्लांटेशन घोटाले की जांच भी बैठाई. कमलनाथ ने नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कंप्यूटर बाबा को मां नर्मदा क्षिप्रा मंदाकिनी नदी ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया, लेकिन कंप्यूटर बाबा नदियों के संरक्षण पर कम, वसूली और अपनी कार्यशैली को लेकर सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे.

अब आप होशंगाबाद नहीं नर्मदापुरम में हैं, सरकारी नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लगी मुहर

अगर बात करें नर्मदा नदी को तो हर बार झोली में सिर्फ और सिर्फ राजनेताओं की वादों की गठरी मिली है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि नर्मदा में हर दिन 150 एमएलडी से ज्यादा गंदगी मिल रही है. नर्मदा अवैध खनन से छलनी और गंदगी मिलने से प्रदूषित हो रही है. लेकिन इन सबके बीच नदी की स्वच्छता से ज्यादा राजनीतिक नफा और नुकसान में लगे सियासी दल अपने नर्मदा नदी का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.

भोपाल। प्रदेश में आज नर्मदा महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन दो दिन बाद जब यह महोत्सव खत्म हो जाएगा किसी को मां नर्मदा की याद नहीं आएगी. हालांकि चुनाव आ रहे हैं, तो राजनेता शायद याद कर लें. क्योंकि मां नर्मदा का सहारे नेताओं को जीत की डुबकी लगानी है. जीत के बाद किसी भी नेता को नर्मदा नदी की याद नहीं आती. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश की सियासत में नर्मदा नदी हमेशा केंद्र में रही है. (narmada river project mp)

कागजों में सिमटकर रह जाती हैं घोषणाएं
हर पांच साल में विधानसभा चुनाव होते हैं. चुनावों के नजदीक आती ही प्रदेश की राजनीति में नर्मदा नदी केंद्र बनने लगती है. ऐसे में चाहे भाजपा हो या कांग्रेस नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए तरह-तरह की घोषणाएं करते हैं, लेकिन वह सब उन्हीं तक रह जाती है या कुछ कागजों में उतरकर सिमट जाती हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए नर्मदा नदी के नाम, उसके धार्मिक सामाजिक ऐतिहासिक महत्व का भरपूर फायदा उठाया है. (narmada river development mp)

नर्मदा नदी से वोट बैंक बनाते हैं नेता
मध्य प्रदेश की राजनीति में नर्मदा नदी ऐसे ही है जैसे उत्तर प्रदेश में गंगा. चुनावों के वक्त नर्मदा को अविरल बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर घाट इलाके में रह रही एक बड़ी आबादी के वोट बैंक को लुभाने की कोशिशें की जाती है. नर्मदा नदी के नाम पर वोट लूटने की सियासत दशकों से चली आ रही है. बीते दो दशक की बात करें तो मध्यप्रदेश में जमकर सियासत हुई है. (politics on narmada river)

2023 के लिए सीएम शिवराज का कदम
नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक से होता है. वहां से लेकर गुजरात में दाखिल होने तक राजनीति में नर्मदा नदी का जमकर इस्तेमाल होता है. इनमें धारा प्रवाह, स्वच्छता, अवैध उत्खनन जैसे कई मुद्दों को लेकर राजनेता जनता के बीच जाते हैं और वोट मांगते हैं. प्रदेश की शिवराज सरकार ने 2023 विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा नदी के बड़े धार्मिक स्थल होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम कर दिया. आज 7 फरवरी को इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है. यही नहीं मंगलवार दोपहर सेठानी घाट पर मां नर्मदा का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कार्यक्रम में सीएम शिवराज शामिल होंगे और जल मंच से मां नर्मदा का अभिषेक कर प्रदेश के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करेंगे. (cm shivraj announcment on narmada river)

प्राकृतिक खेती का हुआ ऐलान
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर ऐलान किया है कि नर्मदा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए उसके आसपास प्राकृतिक खेती की जाएगी. इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी प्रदेश के हर एक व्यक्ति की आस्था का बिंदु है. (narmada river natural farming mp)

सीएम शिवराज ने की नर्मदा यात्रा
यहां यह जानना भी जरूरी है कि नर्मदा नदी को सियासी दलों ने कैसे-कैसे वादों का केंद्र बनाया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2017 में नर्मदा सेवा यात्रा की शुरुआत की थी. अमरकंटक से शुरू हुई यह यात्रा गुजरात होते हुए 150 दिन के बाद खत्म हुई. सीएम शिवराज ने अपनी इस यात्रा के दौरान कहा था की यह यात्रा मां नर्मदा का कर्ज उतारने की कोशिश है. सीएम शिवराज ने नर्मदा नदी के आसपास बड़े प्लांटेशन का ऐलान किया था. सरकार ने नर्मदा किनारे 6 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का अभियान शुरू किया था.

रत खनन पर सख्त दिखे सीएम
रेत खनन को लेकर भी सीएम शिवराज ने सख्ती दिखाई. मुख्यमंत्री ने नर्मदा के धार्मिक महत्व को आगे बढ़ाते हुए नर्मदा नदी के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सभी शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला भी लिया. अब सरकार नर्मदा के आसपास होने वाली खेती को रासायनिक खेती से मुक्त कराने के साथ प्राकृतिक खेती में बदलने की तैयारी में है.

दिग्विजय सिंह ने की नर्मदा परिक्रमा
भाजपा ही नहीं, कांग्रेस की सियासत के केंद्र में भी नर्मदा नदी रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा शुरू की. दिग्विजय सिंह ने यह यात्रा 142 दिन में पूरी की. दिग्विजय सिंह की इस यात्रा का कांग्रेस को फायदा पहुंचा और 2018 में कांग्रेस ने सत्ता हासिल कर ली. उन्होंने नर्मदा किनारे तकरीबन 3,300 किलोमीटर की इस पद यात्रा के जरिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की

कमलनाथ ने क्या किया
सत्ता में आने के बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने नर्मदा के आसपास हुए प्लांटेशन घोटाले की जांच भी बैठाई. कमलनाथ ने नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कंप्यूटर बाबा को मां नर्मदा क्षिप्रा मंदाकिनी नदी ट्रस्ट का अध्यक्ष बना दिया, लेकिन कंप्यूटर बाबा नदियों के संरक्षण पर कम, वसूली और अपनी कार्यशैली को लेकर सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे.

अब आप होशंगाबाद नहीं नर्मदापुरम में हैं, सरकारी नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लगी मुहर

अगर बात करें नर्मदा नदी को तो हर बार झोली में सिर्फ और सिर्फ राजनेताओं की वादों की गठरी मिली है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि नर्मदा में हर दिन 150 एमएलडी से ज्यादा गंदगी मिल रही है. नर्मदा अवैध खनन से छलनी और गंदगी मिलने से प्रदूषित हो रही है. लेकिन इन सबके बीच नदी की स्वच्छता से ज्यादा राजनीतिक नफा और नुकसान में लगे सियासी दल अपने नर्मदा नदी का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 8, 2022, 8:03 AM IST
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