भोपाल। मध्यप्रदेश में नगर सरकार के चुनाव में भाजपा ने बागियों पर सख्त रुख अपनाया लेकिन बावजूद इसके पार्टी से बगावत करके मैदान में 2000 से ज्यादा नेता हैं, जो खेल बना और बिगाड़ सकते हैं. इनमें से कई नेताओं को तो समझाइश देकर भाजपा ने नामांकन वापस करा लिए, लेकिन ऐसे कई नाराज नेता हैं, जो माने नहीं और मैदान में डटे हैं. हर जिले में व्यापक स्तर पर कार्रवाई की गई है. इसके बावजूद वोटिंग तक समझाइश का दौर चलता रहा. हालांकि पार्टी ने जिला अध्यक्षो को फ्री हैंड छोड़ दिया है कि वे बागियों को पहले समझाएं और नहीं मानते तो उन पर निष्कासन की कार्रवाई करें.
कांग्रेस ने बागियों को काफी हद तक मना लिया : वहीं कांग्रेस को भी सबसे ज्यादा खतरा बागियों से है. हालांकि पार्टी कई बागी नेताओं को मनाने में सफल रही है. जो नहीं माने हैं, अब प्रयास है कि मतदान के पहले उन्हें मना लिया जाए. यदि इसके बाद भी वे नहीं माने तो उन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखा देगी. भोपाल में बीते हफ्ते ही 26 नेताओं पर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा जबलपुर, ग्वालियर, सिंगरौली, और सतना सहित कई जिलों में संगठन ने सख्ती और कार्रवाई की है. जो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ उतरे थे, उनमें से ज्यादातर को पार्टी ने मना लिया है.
कांग्रेस ने बागियों को समझाना ही बेहतर समझा : प्रदेश कांग्रेस में 500 से अधिक लोगों के नामांकन वापस कराए गए. इस दौरान जो नहीं माने, उन पर कार्रवाई की गई. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय ने 60 से अधिक लोगों को कार्रवाई किए जाने के लिए जिलाध्यक्षों को लिखा गया. बड़े नेताओं में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सईद अहमद को पार्टी से बाहर किया गया है. बसपा ने इन्हें सतना से महापौर उम्मीदवार घोषित किया है.
ओवैसी ने बढ़ाई बीजेपी और कांग्रेस की मुश्किलें : निकाय चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही AIMIM ने सियासी दलों का टेंशन बढ़ा दिया है. भाजपा, कांग्रेस इसे लेकर अलर्ट हैं. वहीं मुखिया असदुद्दीन ओवैसी चुनाव प्रचार में जुटे रहे. वे चुनावी सभाओं में दोनों दलों पर हमला बोलते रहे. कांग्रेस को खतरा है कि ओवैसी की पार्टी उनके ही वोट काटेगी.
दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर : पहले चरण में 11 नगर निगम का चुनाव हो रहे हैं. इसमें दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. पहले चरण में भोपाल, इंदौर, ग्वालियरऔर छिंदवाड़ा जैसे अहम शहर हैं. एक तरफ जहां भाजपा की सरकार और संगठन की साख दांव पर है तो दूसरी ओर कांग्रेस संगठन भी अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. इंदौर के महापौर के चुनाव भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के लिए खासे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि विजयवर्गीय पहले इंदौर के महापौर रह चुके हैं.
ग्वालियर-चंबल पर सबकी निगाहें : ग्वालियर नगर निगम भाजपा के लिए खास अहमियत रखते हैं, क्योंकि इस इलाके से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया आते हैं. ग्वालियर-चंबल वह इलाका है, जहां के सबसे ज्यादा विधायकों ने कांग्रेस में रहते हुए बगावत की थी और कमलनाथ की सरकार गिरा दी थी. पहले चरण में जबलपुर नगर निगम में भी मतदान होना है. भाजपा के सबसे महत्वपूर्ण गढ़ में से एक है जबलपुर. यहां भाजपा ने पूरी ताकत झोंकने में कसर नहीं छोड़ी है तो दूसरी ओर यहां कांग्रेस भी जोर लगाए हुए है. क्योंकि किसी दौर में कांग्रेस यहां मजबूत हुआ करती थी.
कमलनाथ का गढ़ है छिंदवाड़ा : इसी चरण में छिंदवाड़ा में भी चुनाव हो रहे हैं. यह कमलनाथ का क्षेत्र माना जाता है. छिंदवाड़ा को अपने कब्जे में लेने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज यहां पर दो सभाएं कर चुके हैं. इसके साथ खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सागर, सिंगरौली और सतना नगर निगम में भी मतदान हो रहा है. यहां बीजेपी और कांग्रेस ने पूरा दम लगाया है. (Rebel candidates blew BJP sleep) (Congress fears Owaisi's party) (MP urban body election 2022)