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शिवराज के 'ब्रह्मास्त्र' बने आदिवासी ! 15 नवंबर को लिखी जाएगी 2023 की पटकथा

आदिवासी जनजाति गौरव दिवस के रूप में 15 नवंबर को भोपाल में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें पीएम मोदी भी शिरकत करेंगे. इसके साथ ही बीजेपी अब ये दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि कमलनाथ के लाख कोशिशों के बावजूद उपचुनाव में वे आदिवासियों को अपने पाले में लाने में सफल रही.

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Published : Nov 6, 2021, 4:48 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 6:31 PM IST

tribal leader
आदिवासी नेता

भोपाल। पीएम मोदी के MP दौरे से ठीक पहले उपचुनाव में मिली जीत को अब शिवराज सरकार भुनाने में जुट गई है. आदिवासी जनजाति गौरव दिवस के रूप में 15 नवंबर को भोपाल में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें पीएम मोदी भी शिरकत करेंगे. इसके साथ ही बीजेपी अब ये दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि कमलनाथ के लाख कोशिशों के बावजूद उपचुनाव में वे आदिवासियों को अपने पाले में लाने में सफल रही. इसे ही अब ब्रह्मास्त्र के तौर पर 15 नवंबर से आजमाएगी. खंडवा लोकसभा के साथ 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में आदिवासी के बूते बीजेपी को जीत मिली है. अब शिवराज इसे बीजेपी की आदिवासियों में पैठ बनाने के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं, वह भी तब जब पीएम के दौरे के सिर्फ गिने चुने दिन बचे हैं. मोदी के दौरे में आदिवासी ही खासकर बुलाए गए हैं. सम्मेलन में मोदी के साथ मंच भी वही साझा करेंगे. 2018 में जिस आदिवासी समुदाय ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया था. अब इस उपचुनाव में उसी आदिवासी वोटर ने न सिर्फ बीजेपी को जीत दिलाई, बल्कि बीजेपी के लिए इतिहास भी रच दिया.

जोबट 70 साल में भाजपा दो बार ही जीती
मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद जोबट में 14 बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें से 11 बार कांग्रेस जीती तो बीजेपी सिर्फ दो बार जीती. जोबट मे भिलाला जाति सबसे ज्यादा प्रभावशाली है. दोनों ही प्रत्याशी भिलाला जाति से रहे, लेकिन सुलोचना रावत की पकड़ और स्वच्छ छवि के चलते वोटर्स ने इन पर भरोसा जताया. प्रदेश में 23 फ़ीसदी आबादी आदिवासियों की है. पिछले चुनाव में आदिवासी वोट बैंक बीजेपी से छिटक गया था, जिसके चलते कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई. मगर पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले शिवराज ये साबित करने में कामयाब रहे कि उनकी आस और प्रयास बेकार नहीं गए.

बीजेपी को मिला आदिवासी वर्ग का समर्थन
जोबट और पृथ्वीपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट थी. इसे भी कांग्रेस के कब्जे में बीजेपी ने छीन लिया. लेकिन रैगांव जो कि बीजेपी की परंपरागत थी वह बीजेपी से छिन गई. इन चार उपचुनाव में बीजेपी को आदिवासी वर्ग का भारी समर्थन मिला. खंडवा लोकसभा की बात करें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी वोटर्स की यहां पर 4 विधानसभा सीटें आती हैं. लेकिन बाकी सीटों की बात करें तो आदिवासी वोटर्स का प्रतिशत ज्यादा कम भी नही है.

  • बागली में बीजेपी को आदिवासियों का साथ मिला.
  • बीजेपी के प्रत्याशी को मिले 3100 तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी को 2302, 800 वोट बीजेपी को ज्यादा मिले.
  • पंधाना में भी लगभग 1400 वोट ज्यादा मिले.
  • नेपानगर में भी 800 वोट बीजेपी प्रत्याशी को ज्यादा मिले.
  • हालांकि भीकनगांव में बीजेपी को शिकस्त मिली, कांग्रेस के प्रत्याशी को 600 वोट ज्यादा मिले.

बड़वाह सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सचिन बिरला ने चुनाव के दौरान ही कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. सचिन बिरला के भाजपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि इस सीट पर बीजेपी को काफी फायदा होगा लेकिन बीजेपी को इतना फायदा नहीं हुआ. बड़वाह विधानसभा मे सिर्फ 400 वोट का फायदा बीजेपी को हुआ.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि - पिछले लोकसभा में झाबुआ आदिवासी सीट वो हार गए थे और 70 साल में जोबट से दो बार ही जीते हैं, ऐसे में यह जीत बता रही है कि सरकार जो योजना है वह आदिवासी वर्ग तक पहुंची हैं जिसका नतीजा है कि हमें जीत मिली है

आखिर क्यों भाजपा के हुए आदिवासी
शिवराज सरकार ने पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा की, इस एक्ट की घोषणा शिवराज का मास्टरस्ट्रोक साबित हुई. दरअसल पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे. इससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा. इसके तहत यह वर्ग माइक्रो प्लान बनाएगा और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराकर तेंदूपत्ता बेचने का काम भी वन समितियां करेंगी. साथ ही आदिवासियों के लिए सिकलसेल बीमारी का इलाज भी सरकार उठाएगी.

PM Modi Bhopal Tour Special Report: प्रज्ञा ठाकुर को पीएम नरेंद्र मोदी से क्या मिलेगा आशीर्वाद ?

वहीं इस वर्ग के होनहार छात्रों के लिए पढ़ाई का खर्चा शिवराज सरकार ने उठाने का फैसला लिया. हर साल आदिवासी जनजाति गौरव मनाने का फैसला लिया गया और 15 नवंबर को छुट्टी का भी फैसला, इसके साथ ही आदिवासी बहुल इलाकों में आपका राशन आपके द्वार और इसके लिए आदिवासी समूह ही सब कुछ करेगा. उसे राशन ले जाने के लिए सरकार लोन दिलाएगी जिससे वह परिवहन कर सके. इसके साथ ही आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया कि वह देसी शराब बना सकते हैं जिसके लिए सरकार लाइसेंस देगी परंपरागत रूप से आदिवासी शराब बनाते रहे हैं लेकिन लगातार आबकारी विभाग की कार्रवाई से आदिवासी नाराज रहा है. जाहिर है शिवराज की घोषणा के बाद आदिवासी वर्ग सीधा बीजेपी से जुड़ गया, जिसका ताजा उदाहरण बीजेपी की जीत है. इसी जीत को अब पार्टी आदिवासी जनजाति गौरव दिवस पर भुनाने की पूरी तैयारी कर चुकी है.

भोपाल। पीएम मोदी के MP दौरे से ठीक पहले उपचुनाव में मिली जीत को अब शिवराज सरकार भुनाने में जुट गई है. आदिवासी जनजाति गौरव दिवस के रूप में 15 नवंबर को भोपाल में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें पीएम मोदी भी शिरकत करेंगे. इसके साथ ही बीजेपी अब ये दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि कमलनाथ के लाख कोशिशों के बावजूद उपचुनाव में वे आदिवासियों को अपने पाले में लाने में सफल रही. इसे ही अब ब्रह्मास्त्र के तौर पर 15 नवंबर से आजमाएगी. खंडवा लोकसभा के साथ 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में आदिवासी के बूते बीजेपी को जीत मिली है. अब शिवराज इसे बीजेपी की आदिवासियों में पैठ बनाने के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं, वह भी तब जब पीएम के दौरे के सिर्फ गिने चुने दिन बचे हैं. मोदी के दौरे में आदिवासी ही खासकर बुलाए गए हैं. सम्मेलन में मोदी के साथ मंच भी वही साझा करेंगे. 2018 में जिस आदिवासी समुदाय ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया था. अब इस उपचुनाव में उसी आदिवासी वोटर ने न सिर्फ बीजेपी को जीत दिलाई, बल्कि बीजेपी के लिए इतिहास भी रच दिया.

जोबट 70 साल में भाजपा दो बार ही जीती
मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद जोबट में 14 बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें से 11 बार कांग्रेस जीती तो बीजेपी सिर्फ दो बार जीती. जोबट मे भिलाला जाति सबसे ज्यादा प्रभावशाली है. दोनों ही प्रत्याशी भिलाला जाति से रहे, लेकिन सुलोचना रावत की पकड़ और स्वच्छ छवि के चलते वोटर्स ने इन पर भरोसा जताया. प्रदेश में 23 फ़ीसदी आबादी आदिवासियों की है. पिछले चुनाव में आदिवासी वोट बैंक बीजेपी से छिटक गया था, जिसके चलते कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई. मगर पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले शिवराज ये साबित करने में कामयाब रहे कि उनकी आस और प्रयास बेकार नहीं गए.

बीजेपी को मिला आदिवासी वर्ग का समर्थन
जोबट और पृथ्वीपुर कांग्रेस की परंपरागत सीट थी. इसे भी कांग्रेस के कब्जे में बीजेपी ने छीन लिया. लेकिन रैगांव जो कि बीजेपी की परंपरागत थी वह बीजेपी से छिन गई. इन चार उपचुनाव में बीजेपी को आदिवासी वर्ग का भारी समर्थन मिला. खंडवा लोकसभा की बात करें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी वोटर्स की यहां पर 4 विधानसभा सीटें आती हैं. लेकिन बाकी सीटों की बात करें तो आदिवासी वोटर्स का प्रतिशत ज्यादा कम भी नही है.

  • बागली में बीजेपी को आदिवासियों का साथ मिला.
  • बीजेपी के प्रत्याशी को मिले 3100 तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी को 2302, 800 वोट बीजेपी को ज्यादा मिले.
  • पंधाना में भी लगभग 1400 वोट ज्यादा मिले.
  • नेपानगर में भी 800 वोट बीजेपी प्रत्याशी को ज्यादा मिले.
  • हालांकि भीकनगांव में बीजेपी को शिकस्त मिली, कांग्रेस के प्रत्याशी को 600 वोट ज्यादा मिले.

बड़वाह सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सचिन बिरला ने चुनाव के दौरान ही कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. सचिन बिरला के भाजपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि इस सीट पर बीजेपी को काफी फायदा होगा लेकिन बीजेपी को इतना फायदा नहीं हुआ. बड़वाह विधानसभा मे सिर्फ 400 वोट का फायदा बीजेपी को हुआ.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि - पिछले लोकसभा में झाबुआ आदिवासी सीट वो हार गए थे और 70 साल में जोबट से दो बार ही जीते हैं, ऐसे में यह जीत बता रही है कि सरकार जो योजना है वह आदिवासी वर्ग तक पहुंची हैं जिसका नतीजा है कि हमें जीत मिली है

आखिर क्यों भाजपा के हुए आदिवासी
शिवराज सरकार ने पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा की, इस एक्ट की घोषणा शिवराज का मास्टरस्ट्रोक साबित हुई. दरअसल पेसा एक्ट के तहत स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की समिति को अधिकार दिए जाएंगे. इससे अनुसूचित जाति और जनजाति वाली ग्राम पंचायतों को सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन खनिज संपदा लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा. इसके तहत यह वर्ग माइक्रो प्लान बनाएगा और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित कराकर तेंदूपत्ता बेचने का काम भी वन समितियां करेंगी. साथ ही आदिवासियों के लिए सिकलसेल बीमारी का इलाज भी सरकार उठाएगी.

PM Modi Bhopal Tour Special Report: प्रज्ञा ठाकुर को पीएम नरेंद्र मोदी से क्या मिलेगा आशीर्वाद ?

वहीं इस वर्ग के होनहार छात्रों के लिए पढ़ाई का खर्चा शिवराज सरकार ने उठाने का फैसला लिया. हर साल आदिवासी जनजाति गौरव मनाने का फैसला लिया गया और 15 नवंबर को छुट्टी का भी फैसला, इसके साथ ही आदिवासी बहुल इलाकों में आपका राशन आपके द्वार और इसके लिए आदिवासी समूह ही सब कुछ करेगा. उसे राशन ले जाने के लिए सरकार लोन दिलाएगी जिससे वह परिवहन कर सके. इसके साथ ही आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया कि वह देसी शराब बना सकते हैं जिसके लिए सरकार लाइसेंस देगी परंपरागत रूप से आदिवासी शराब बनाते रहे हैं लेकिन लगातार आबकारी विभाग की कार्रवाई से आदिवासी नाराज रहा है. जाहिर है शिवराज की घोषणा के बाद आदिवासी वर्ग सीधा बीजेपी से जुड़ गया, जिसका ताजा उदाहरण बीजेपी की जीत है. इसी जीत को अब पार्टी आदिवासी जनजाति गौरव दिवस पर भुनाने की पूरी तैयारी कर चुकी है.

Last Updated : Nov 6, 2021, 6:31 PM IST
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