भोपाल। सोशल मीडिया पर एक वीडियो दौड़ रहा है, आपने देखा की नहीं.. अरे वही वीडियो जिसमें चार लोगों के बीच रिश्वत के आठ लाख रुपयों को लेकर संवाद होता है. इस वीडियो का मुख्य पात्र हैं देवर और बिग बॉस की तरह इस वीडियो की सबसे जरुरी कैरेक्टर भाभी, जिनके हाथ में इस पूरे मामले की चाबी भी है. यानि जो पेशगी भेजी जा रही है इन्हीं के हाथ में जाएगी तब काम होगा, तो देवर भाभी के इस करप्शन गठजोड़ को लेकर प्रशासनिक गलियारे में चर्चा है. भाभी जी का नाम भी साझा किया जा रहा है और ये सवाल भी कि आखिर भाभी जी पर एक्शन होगा कब या इस वीडियो के किसी और सीक्वल का है इंतज़ार. वैसे सुना तो ये है कि एहतियातन भाभी जी की कार्यकुशलता देखते हुए पहले ही उनहे लूप लाइन में डाला जा चुका है.
झांकी नहीं जम पाई और राहुल चले गए: इन दिनों कांग्रेस नेताओं की सोशल मीडिया प्रोफाईल खंगालिये तो एक बात कॉमन दिखेगी वो कॉमन बात है, भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी के साथ तस्वीर. चलते, बैठते, बोलते, हांफते जैसे हो मध्यप्रदेश में कांग्रेसी इन दिनों तीर्थ मानकर भारत जोड़ो यात्रा में पहुंच रहे हैं और तस्वीर खिंचाने को ऐसी रवायत मान रहे हैं कि उसके बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी. खैर जो पहुंच गए, मिल लिए राहुल गांधी से उन नेताओं का तो ठीक. लेकिन बड़ी मुश्किल तो उन विधायकों की हुई जो अपने इलाके में जमावट किए बैठे थे कि राहुल गांधी के आने के पर अच्छी खासी झांकी जमवा लेंगे, लेकिन कुछ शैड्यूल और कुछ सुरक्षा कारणों से वैसा हो नहीं पाया. यानि नेताजी की आस निरास भई…. तो अब सुना तो ये भी है कि भोपाल के पार्षद तक पहली फुर्सत में भारत जोड़ो यात्रा में मौका मिलते ही कदम ताल करने पहुंच रहे हैं कि अभी की मूंह दिखाई जाने कब काम आ जाए.
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कहीं चुनावी सभा में तो नहीं बुला लिए जाएंगे कथावाचक: मध्यप्रदेश में इन दिनों नेताओं से ज्यादा क्रेज कथावाचकों का है. पंडित प्रदीप मिश्रा मालवा निमाड़ में टीआरपी बढ़ा रहे हैं, तो पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का मैदान बुंदेलखंड से लेकर आगे चंबल तक बढ़ रहा हैं. नेता इनसे मेल मुलाकात के लिए भी पहली फुर्सत में पहुंच रहे हैं. अब एक मुफ्त वोट बैंक कौन छोड़ेगा… खैर मुद्दे की बात ये कि सियासी गलियारों में अब ये चर्चा होने लगी है कि इन कथावाचकों के सहारे कहीं नेता अपनी चुनावी नैया पार लगाने की जुगाड़ में तो नहीं है. कहीं ऐसा तो नहीं कि इनकी लोकप्रियता देखकर 6 महीने बाद शुरु होने वाली चुनावी तैयारियों में सियासी मंच पर इन कथावाचकों को भी बुलवा लिया जाए और कथा वाचकों का तो साथ खड़े होना भी संदेश है.... वैसे अभी से जमावट तो शुरु हो गई है, पंडित प्रदीप मिश्रा जी तो सुना है कि भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ भी कर चुके हैं, अब बंद कमरे में की गई तारीफ पंडाल में हो जाए तो हवा बदलने में कहां देर लगेगी.