भोपाल। जिस नेता की हर सुबह दर्जन भर से ज्यादा कैमरोंं के सामने प्रदेश और देश की घटनाओं पर बयान देने के साथ होती थी. उस नेता ने बीते दस दिन से कैमरों का मुंह नहीं देखा. जब मर्जी से चाहा तो बेशक बयान दिया लेकिन अब मीडिया से बातचीत पर खुद अघोषित पाबंदी लगा दी है. बात नरोत्तम मिश्रा की हो रही है.हाल ही में आए उनके वीडियो से उनकी नई भूमिका के कयास लगाए जा रहे हैं.उनका कहना है कि मैं लौट के आऊंगा.
इस शायरी के मायने क्या: डॉ नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश बीजेपी में ब्राम्हण वर्ग का सबसे बड़ा चेहरा हैं. 2018 में बीजेपी की खोई सत्ता 2020 में लौटा लाने के पीछे भी नरोत्तम मिश्रा की अहम भूमिका रही है.पर सवाल ये कि अब नरोत्तम मिश्रा की भूमिका क्या होगी. एमपी का मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए नरोत्तम के इस बयान में उनके मंसूबे सुनाई देते हैं. जिसमें वो कहते हैं समुद्र का पानी उतरे तो किनारा खाली देख के घर मत बना लेना..मैं लौट के आऊंगा...सवाल अब ये उठ रहे हैं कि नरोत्तम नई भूमिका में कहां जा रहे हैं.
दिल में लगी दतिया की हार,कौन खेवनहार: दतिया में मिली हार की टीस अब भी नरोत्तम के दिल में है. जिस समय बीजेपी बंपर वोटों से चुनाव जीती हो. जब कांग्रेस के दिग्गज धराशाई हुए हों. तब इस आंधी में नरोत्तम मिश्रा हार कैसे बर्दाश्त कर पाते भला. असल में अर्से बाद ये वो मौका था नरोत्तम मिश्रा बरसों से जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे. लेकिन जब बीजेपी की बंपर जीत हुई अठारह साल बाद एमपी में बीजेपी की सरकार की तस्वीर बदल गई. उस समय नरोत्तम फिलहाल तो किनारे खड़े होकर पॉवर गेम देख रहे हैं. हांलाकि जैसा वे खुद कह रहें हैं कि वे ज्यादा दिन किनारे रह नहीं सकते.
वरिष्ठ पत्रकार की नजर में नरोत्तम: वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं नरोत्तम मिश्रा का जो मिजाज है वो कभी ना हाशिए पर हो सकते हैं ना किनारे हो सकते हैं. उनको लाइम लाइट में बने रहना आता है. अब भी देखिए सीएम डॉ मोहन यादव से लेकर नरेन्द्र सिंह तोमर तक कौन सा नेता नहीं है जो नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात के लिए ना पहुंचा हो. एक चुनावी हार उनकी राजनीति को हाशिए पर नहीं डाल सकती. बीजेपी में केन्द्रीय नेतृत्व का भी उनको आर्शीवाद है लिहाजा उनकी वापसी में ना बहुत देर ना बहुत दूर है.
क्या राज्यसभा के रास्ते होगी वापसी: अटकलें ये भी हैं कि नरोत्तम मिश्रा राज्यसभा के रास्ते अपनी वापसी की राह मजबूत कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के बाद अब राज्यसभा चुनाव होने हैं. एमपी में राज्यसभा की 11 सीटें हैं. फिलहाल आठ बीजेपी के हिस्से और तीन कांग्रेस के हिस्से में हैं. इनमें पांच सीटें आगामी दो अप्रैल को खाली हो जाएंगी. हांलाकि नरोत्तम के करीबियों का कहना है कि वे लोकसभा चुनाव में भी मैदान में उतर सकते हैं और राष्ट्रीय राजनीति का रुख कर सकते हैं.