भोपाल। गर्मी के साथ ही मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए अधिक से अधिक उपाय जरूरी है. जिन क्षेत्रों में हॉटस्पॉट बना हुआ है, वहां पर ज्यादा से ज्यादा छिड़काव और टीमें लगाकर सफाई करवाई जाए. यह सभी निर्देश स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने समीक्षा बैठक में दिए, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने सोमवार को मंत्रालय में राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की स्टेट टॉस्क फोर्स को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान इन्होंने यहां मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया की समीक्षा भी की.
मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम पर मीटिंग: स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम ने कहा कि "मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया की रोकथाम के लिये जन-जागरूकता बढ़ाएं. स्वास्थ्य विभाग नगरीय विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और अन्य संबंधित विभागों से समन्वय कर मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया पर नियंत्रण के लिये कारगर पहल करें. ऐसे स्पॉट जहां पर मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के मरीज मिल रहे हैं. उनको हॉट स्पॉट के रूप में चिह्नित कर बीमारी नियंत्रण के कारगर उपाय करें."
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि "जिन क्षेत्रों में मच्छरों होने की जानकारी प्राप्त हो, वहां मच्छर-नाशक दवाई का छिड़काव और फॉगिंग करें. नागरिकों को समझाइश दी जाये कि अधिक समय तक पानी के जमा रहने पर मच्छर पनपते हैं. घर के आसपास रखे बर्तनों, कूलर, गमले आदि में पानी को जमा नहीं रहने दें. तालाब में मच्छरों को रोकने के लिये गंबूशिया मछली डाली जायें. गंबूशिया मछली मच्छरों के लार्वा को खाकर मच्छर बढ़ने से रोकती है."
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मलेरिया की रोकथाम के प्रभावी प्रयास: इस बैठक में अधिकारियों ने बताया कि "विभागीय अधिकारी अन्य संबंधित विभागों से समन्वय कर वैक्टरिया जनित बीमारियों की रोकथाम पर कारगर पहल कर रहे है, साल 2030 तक मलेरिया बीमारी के उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना है. मलेरिया बीमारी के प्रकरणों में वर्ष 2015 से लगातार कमी आ रही है. शाजापुर, हरदा, आगर-मालवा और टीकमगढ़ में वर्ष 2022 में मलेरिया का एक भी प्रकरण नहीं पाया गया, प्रदेश में मलेरिया की रोकथाम के प्रभावी प्रयास किये जा रहे हैं."