भोपाल। अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. ठहर कर पढ़िए और जान लीजिए कि अब तक गृह भाड़ा भत्ता और वाहन भत्ते में सरकारी वेतनमान के भत्तों में बढ़ोत्तरी रुक जाने से प्रदेश के एक कर्मचारी को कितना नुकसान उठाना पड़ेगा. अकेले घर के किराए की बात करें तो बीते 7 साल 4 महीने में गृह भाड़ा भत्ता न बढ़ाने पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर प्रथम श्रेणी कर्मचारी तक को 2 लाख 34000 से ₹10 लाख 27000 रू का नुकसान हुआ है. वहीं वाहन भत्ते के रुप में राज्य के कर्मचारी को महीने के केवल दो सौ रुपए मिलते हैं.
मकान किराए में कर्मचारी को कहां कितना फटका: तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी बताते हैं कि अभी प्रदेश के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान तो मिल रहा है, लेकिन मकान भाड़ा छठवें वेतनमान के हिसाब से मिल रहा है. जैसे जिस कर्मचारी को छठे वेतनमान में 6050 का 10% 605 रुपए दिया जा रहा है, उसी कर्मचारी को सातवें वेतनमान में 15505 फिक्स होने पर 18% केंद्र के अनुसार देने पर 2790 रुपए मकान का भाड़ा मिलेगा. इस प्रकार से 2195 रुपए का नुकसान प्रदेश के कर्मचारी को हो रहा है. किसी का वेतन छठवें वेतनमान में ₹21000 था, उस पर पुराना एचआरए 10% ₹2100 दिया जा रहा है. उसी कर्मचारी को सातवें वेतनमान पर 56100 रुपए पर ₹10098 मिलेंगे, यानी 7998 का नुकसान हो रहा है.
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महीने भर में कर्मचारी के पेट्रोल भत्ता 200 रुपए: कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने जो वेतनमान के साथ मिल रहे भत्तों का आंकलन निकाला है. उसके मुताबिक सातवां वेतनमान लागू होने के बाद केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रुपए है. जिसमें अगर 42 फीसदी का मंहगाई भत्ता और जोड़ दिया जाए तो 2556 रुपए केन्द्रीय कर्मचारी को वाहन भत्ते के रुप में मिल रहे हैं. जबकि एमपी के चार महानगरों में काम करने वाले कर्मचारी को केवल 200 रुपए महीना वाहन भत्ते के रुप में मिलते हैं. यानि महीने भर में दो लीटर पेट्रोल का पैसा. कर्मचारी नेता तिवारी के मुताबिक एक ही राज्य में रहने वाले केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के भत्तों में इतना अंतर है. जबकि महंगाई केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों सबके लिए समान है.