भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता पुत्र विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने का सपना संजोए हुए थे. मगर, पार्टी ने युवा नेताओं के पिता को ही मैदान में उतार दिया है. लिहाजा, अब युवा नेता अपने पिता के लिए प्रचार की कमान संभालेंगे.
भाजपा में नेता पुत्र या करीबी नाते-रिश्तेदारों का सपना टूटा : राज्य की सियासत में भाजपा से करीब एक दर्जन के ऐसे नेता हैं, जिनके पुत्र या करीबी नाते-रिश्तेदार चुनाव लड़कर अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाने का सपना संजोए हुए थे. पार्टी हाई कमान की ओर से जारी की गई सूची में इन युवाओं को तो जगह नहीं मिली है. लेकिन, उनके पिता या संरक्षक को पार्टी ने मैदान में उतार दिया है. पार्टी ने एक तरफ जहां परिवारवाद पर विराम लगाने के लिए वरिष्ठ नेताओं पर दांव लगाया है, तो वही यह संकेत भी दे दिया है कि नेताओं की मर्जी से टिकट का वितरण नहीं होगा.
ये नेता अपनी अगली पीढ़ी को चुनावी राजनीति में उतारना चाहते थे: राज्य के नेताओं पर अगर हम गौर करें तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, कैलाश विजवर्गीय सहित कई ऐसे नेता हैं, जो अपनी अगली पीढ़ी को चुनावी राजनीति में उतारना चाहते थे. हालांकि, पिछले 2018 के चुनाव में कैलाश विजवर्गीय के पुत्र आकाश विजवर्गीय चुनाव लड़कर विधायक बन चुके हैं मगर, लेकिन इस बार उनके पिता को इंदौर-1 सीट से टिकट मिलने पर आकाश का टिकट कट गया है. इसके अलावा भी कई नेता हैं, जो अपने बेटे-बेटी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. मगर, उनके भी भाग्य का अब तक फैसला नहीं हुआ है.
वैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पुत्र बीते कई चुनाव से उनके चुनाव प्रबंधन की कमान संभाले हुए हैं और इस बार खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में थे. मगर, पार्टी के फैसले ने उन्हें एक बार फिर चुनाव प्रबंधन के लिए तैयार रहने का संकेत और संदेश दिया है. आने वाले दिनों में नेता पुत्र और उनके नाते-रिश्तेदार चुनावी प्रबंधन में जुटे नजर आएंगे.
(Agency Sources)