भोपाल। प्रदेश की सभी 230 सीटों पर भेजे जा रहे गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी के विधायकों को सबसे बड़ी जवाबदारी भी माहौल बदलने की दी गई है. विधाननसभा चुनाव से पहले बीजेपी कार्यकर्ता अपने मोर्चे पर तैनात हो सकें, इसके लिए पार्टी की नई रणनीति है. इसी के तहत नेता बाहर से बुलाए गए हैं. लिहाजा कार्यकर्ता भी अपने मन की बात आसानी से कह सकेगा. इन प्रवासी विधायकों का सबसे बड़ा टास्क सौंपा गया है. पार्टी में किसी संभावित डैमेज से पहले कंट्रोल करने की कवायद की जा रही है. घर पर नाराज बैठे कार्यकर्ता को फिर बूथ तक लाने के प्रयास जारी हैं. इसके लिए ट्रेनिंग के साथ 230 विधानसभा सीटों पर प्रवासी विधायकों को भेजा जा रहा है.
रूठों को मनाने की कवायद : ये प्रवासी विधायक रुठा है तो मना लेंगे की, रणनीति पर काम करेंगे. इन विधायकों का सबसे बड़ा टारगेट यही है कि सिंधिया की बीजेपी में एंट्री के बाद से जो कार्यकर्ता अनदेखी से नाराज होकर घर पर बैठा है, उसे घर से निकालना और बूथ तक पहुंचाना. सबसे जरूरी है कार्यकर्ता के गिले शिकवे दूर करना. पार्टी ने इसीलिए ये रणनीति बनाई कि प्रदेश के ही नेताओं का भले क्षेत्र बदल कर भेजा जाए लेकिन संकोच तो रहेगा. जबकि प्रदेश के बाहर से आये इन प्रवासी विधायकों के सामने ये कार्यकर्ता खुलकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे.
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ट्रेनिंग में दिए टिप्स : प्रवासी विधायकों को ट्रेनिंग में टिप्स दिए गए हैं कि उन्हे तटस्थ रहकर कार्यकर्ताओं की बात सुननी है. कार्यकर्ताओं को ये भरोसा दिलाना है कि बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत वही हैं. जो मतभेद हैं, उन्हे भुलकर जुट जाने का समय है. क्योंकि पार्टी के सामने लक्ष्य बड़ा है. उनकी जो शिकायतें हैं, उन्हे दर्ज करके ये भरोसा दिलाना कि वो सही समय पर सही जगह तक पहुंचाई जाएंगी. यानि कार्यकर्ता को ये यकीन हो सके कि पार्टी को उसकी चिंता है और इन प्रवासी विधायकों को केवल कार्यकर्ताओं के लिए ही भेजा गया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि देखिए विधानसभावार जिमेदारी 2008 में भी दी गई थी. ये पार्टी की सतत प्रक्रिया है. ये प्रवासी विधायक कार्यकर्ताओंके बीच उत्प्रेरक की तरह काम करेंगे.