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मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी ! इन युवा हाथों को सौंपी जा सकती है कमान

MP Congress Big Changes Preparation: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम कांग्रेस के लिए किसी बड़े धक्के से कम नहीं हैं. पार्टी को इस तरह की करारी हार की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. ऐसे में कांग्रेस संगठन में बडे़ बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है.

MP Congress Big Changes Preparation
एमपी कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 4:41 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव में तमाम बड़े नेता हार गये, जिनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी शामिल हैं. अब पार्टी की कमी और खामियों की खुलकर चर्चा हो रही है. यही कारण है कि राष्ट्रीय नेतृत्व बड़े बदलाव की तैयारी में है.

कांग्रेस के लिए कल्पना से परे चुनाव नतीजे: राज्य विधानसभा के चुनाव के नतीजे ऐसे आए हैं जिसकी कल्पना कांग्रेस ने नहीं की थी. वह तो सत्ता का सपना संजोए हुए थी, मगर ऐसा हुआ नहीं. कांग्रेस के खाते में 230 सीटों में से सिर्फ 66 सीटें आईं. कुल मिलाकर वह तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच पाई.

कांग्रेस में दिग्गजों की हुई हार: इस चुनाव में कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह तक अपने को हार से नहीं बचा पाए. गोविंद सिंह की सीट लहार विधानसभा क्षेत्र को सबसे सुरक्षित माना जा रहा था, मगर वहां भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा जैसे मंत्री रहे नेता भी चुनाव हा गये.

कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत: चुनाव नतीजों के बाद अब कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. कांग्रेस को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल हुई थी और इसमें कांग्रेस के संगठन के तौर पर दो बड़े नेताओं की भूमिका रही थी. पहले पार्टी के अध्यक्ष रहे अरुण यादव और उसके बाद कमान संभालने वाले कमलनाथ. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पार्टी की राज्य में ऐसी पिच तैयार कर दी थी जिस पर कांग्रेस को खेलना आसान हो गया था और कमलनाथ को राज्य की कमान मिलने के बाद उन्होंने गुटबाजी को खत्म कर दिया, सबको एक साथ किया. परिणाम स्वरुप कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बढ़त हासिल कर ली थी.

किसी युवा के हाथ होगी कांग्रेस की कमान: सत्ता में आई कांग्रेस अपनों को ही नहीं संभाल पाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया. लिहाजा सत्ता हाथ से खिसक गई. अब एक बार फिर इस बात की चर्चा है कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं और उनके स्थान पर पार्टी किसी सक्रिय युवा को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसके लिए दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम अरुण यादव का आता है, उसके बाद उमंग सिंघार, जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल जैसे नेता कतार में हैं.

इन नेताओं को मिल सकता है नेता प्रतिपक्ष का पद: एक तरफ जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन कर रही है और यह तभी संभव है जब कमलनाथ इस पद को छोड़ते हैं, मगर नेता प्रतिपक्ष नया बनना तय है. इस पद के लिए बड़े दावेदारों में कमलनाथ के अलावा अजय सिंह हैं जो पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं और उनकी विधानसभा के अंदर आक्रामकता सबके सामने रही है. कमलनाथ अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं बनते हैं तो सबसे बड़ा दावा अजय सिंह का ही होगा. पार्टी आदिवासी चेहरे के तौर पर उमंग सिंघार को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है.

ये भी पढ़ें:

चुनाव में हार पर बोले कमलनाथ, गांव से 50 वोट न मिलें, यह कैसे हो सकता है

कांग्रेस आलाकमान से मिलकर कमलनाथ सौंप सकते हैं इस्तीफा, PCC में बुलाई नेताओं की बैठक

कुल मिलाकर देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़ी उथल-पुथल है और बदलाव होना तय माना जा रहा है. हां यह बात अलग है कि कमलनाथ कह चुके हैं कि मैं दिल्ली क्यों जाऊंगा. इसका आशय साफ है कि वे मध्य प्रदेश में ही रहेंगे और उनका सारा जोर लोकसभा चुनाव पर रहेगा. देखना होगा कि कांग्रेस आगे किस तरह की रणनीति पर काम करती है.

(Agencies)

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव में तमाम बड़े नेता हार गये, जिनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी शामिल हैं. अब पार्टी की कमी और खामियों की खुलकर चर्चा हो रही है. यही कारण है कि राष्ट्रीय नेतृत्व बड़े बदलाव की तैयारी में है.

कांग्रेस के लिए कल्पना से परे चुनाव नतीजे: राज्य विधानसभा के चुनाव के नतीजे ऐसे आए हैं जिसकी कल्पना कांग्रेस ने नहीं की थी. वह तो सत्ता का सपना संजोए हुए थी, मगर ऐसा हुआ नहीं. कांग्रेस के खाते में 230 सीटों में से सिर्फ 66 सीटें आईं. कुल मिलाकर वह तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच पाई.

कांग्रेस में दिग्गजों की हुई हार: इस चुनाव में कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह तक अपने को हार से नहीं बचा पाए. गोविंद सिंह की सीट लहार विधानसभा क्षेत्र को सबसे सुरक्षित माना जा रहा था, मगर वहां भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा जैसे मंत्री रहे नेता भी चुनाव हा गये.

कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत: चुनाव नतीजों के बाद अब कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. कांग्रेस को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल हुई थी और इसमें कांग्रेस के संगठन के तौर पर दो बड़े नेताओं की भूमिका रही थी. पहले पार्टी के अध्यक्ष रहे अरुण यादव और उसके बाद कमान संभालने वाले कमलनाथ. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पार्टी की राज्य में ऐसी पिच तैयार कर दी थी जिस पर कांग्रेस को खेलना आसान हो गया था और कमलनाथ को राज्य की कमान मिलने के बाद उन्होंने गुटबाजी को खत्म कर दिया, सबको एक साथ किया. परिणाम स्वरुप कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बढ़त हासिल कर ली थी.

किसी युवा के हाथ होगी कांग्रेस की कमान: सत्ता में आई कांग्रेस अपनों को ही नहीं संभाल पाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया. लिहाजा सत्ता हाथ से खिसक गई. अब एक बार फिर इस बात की चर्चा है कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं और उनके स्थान पर पार्टी किसी सक्रिय युवा को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसके लिए दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम अरुण यादव का आता है, उसके बाद उमंग सिंघार, जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल जैसे नेता कतार में हैं.

इन नेताओं को मिल सकता है नेता प्रतिपक्ष का पद: एक तरफ जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन कर रही है और यह तभी संभव है जब कमलनाथ इस पद को छोड़ते हैं, मगर नेता प्रतिपक्ष नया बनना तय है. इस पद के लिए बड़े दावेदारों में कमलनाथ के अलावा अजय सिंह हैं जो पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं और उनकी विधानसभा के अंदर आक्रामकता सबके सामने रही है. कमलनाथ अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं बनते हैं तो सबसे बड़ा दावा अजय सिंह का ही होगा. पार्टी आदिवासी चेहरे के तौर पर उमंग सिंघार को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है.

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कुल मिलाकर देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़ी उथल-पुथल है और बदलाव होना तय माना जा रहा है. हां यह बात अलग है कि कमलनाथ कह चुके हैं कि मैं दिल्ली क्यों जाऊंगा. इसका आशय साफ है कि वे मध्य प्रदेश में ही रहेंगे और उनका सारा जोर लोकसभा चुनाव पर रहेगा. देखना होगा कि कांग्रेस आगे किस तरह की रणनीति पर काम करती है.

(Agencies)

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