भोपाल। यदि आप गौपालक हैं और आपकी गाय काफी सेहतमंद है, वो दोनों समय 6 लीटर या उससे अधिक दूध देती है, तो फिर आप जीत सकते हैं 11 हजार से 51 हजार रुपए तक का पुरस्कार. यह रोचक प्रतियोगिता राजधानी भोपाल में गौपालन करने वाले मालिकों के लिए पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित की जा रही है. मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना के भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों को ही इस योजना में शामिल किया जाएगा. प्रतियोगिता की जानकारी मिलते ही गौपालकों ने अपनी गायों को खिलाना पिलाना शुरु कर दिया है.
गौपालकों से मांगी गई जानकारी: राजधानी भोपाल के गौपालक इन दिनों अपनी गायों को खूब चारा, खली, चुनी और सेहतमंद उत्पाद खिला रहे हैं. आखिार उन्हें 51 हजार रुपए का पुरस्कार जो जीतना है. पशुपालन विभाग की इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए भोपाल जिले के 34 सेंटर द्वारा करीब 500 से अधिक किसानों को एक फार्म वितरित किया गया है. इस फार्म में उनसे जानकारी मांगी की गई है कि आपकी गाय कौन सी नस्ल की है. कब बछड़ा जन्मा है? कितना दूध देती है, क्या खिलाते हैं? ऐसे जानकारी पूरे मप्र में गौपालकों से मांगी जा रही है. विभाग के उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. अजय रामटेके ने बताया कि इसमें प्रदेश की भारतीय उन्नत गोवंशीय दुधारू नस्लों के पालन को बढ़ावा, प्रोत्साहन प्रदान व संरक्षण देने का मुख्य मकसद है. यह प्रतियोगिता पहले 1 फरवरी से शुरू होने वाली थी, लेकिन भोपाल में गायों के बड़ी संख्या में मरने की जानकारी सामने आने के बाद इसे टाल दिया गया है. अब यह 9 फरवरी को आयोजित होगी और 15 फरवरी तक चलेगी.
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यह है मापदंड: नवीन पुरस्कार कार्यक्रम को सभी जिलों में लागू किया जाएगा. डॉ. रामटेके ने बताया कि इस योजना में लाभ लेने के लिए भारतीय उन्नत नस्लों की दुधारू गाय का प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 6 लीटर या उससे अधिक हो, वे पशुपालक आवेदन के लिए पात्र होंगे. तीन दिन तक दोनों समय इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी और तीनों ही दिन 6 या उससे अधिक दूध देने वाली गाय के मालिक को विजेता घोषित करके जिला स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिए जाएंगे. इसमें प्रथम पुरस्कार 51 हजार, द्वितीय पुरस्कार 21 हजार और तृतीय पुरस्कार 11 हजार रूपए होगा. प्रतियोगिता के लिए प्रत्येक जिले में एक स्थान पर तीन दिन तक व्यवस्थाएं की जाएंगी. इसमें गौपालक के रुकने और खाने का प्रबंध शामिल होगा. यानी गौपालक को गाय प्रतियोगिता स्थल तक लेकर आनी पड़ेगी. इसमें 10-10 गावों में हर दिन उत्पादन होने वाले दूध को ध्यान में रखकर प्रतियोगिता होगी.
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पहली बार जिला स्तर पर प्रतियोगिता: यह प्रतियोगिता प्रदेश में 8 साल पहले शुरू हुई, लेकिन इसे अब तक पहले ब्लॉक स्तर पर आयोजित किया जाता था और वहां से जीतने वाले गौपालकों को उनकी गायों के साथ जिला स्तर पर बुलाया जाता था. जिले में दोबारा प्रतियोगिता होती थी और इसके बाद जाकर विजेताओं की घोषणा की जाती थी, लेकिन इस बार सीधे जिला स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है.