भोपाल। "सुबह से इनका (कांग्रेस) का एक बड़ा नेता कहीं योग कार्यक्रम में नहीं दिखा और अब जैसा कि पता चला है कि कांग्रेस भवन में यह कार्यक्रम कर हैं ताे वह भी इसलिए कि साढ़े दस, 11 बजे पाखंड कर लेंगे." यह तमाम आरोप गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर लगाए. उन्होंने कहा कि "मैं आपको एडवांस में बता दूं कि उसमें भी एक भी बड़ा नेता नहीं दिखेगा, न माननीय कमलनाथ जी आएंगे और न दिग्विजय सिंह ही आएंगे. जब दुनिया के 180 देशों ने भारत के योग को अंगीकार और स्वीकार कर लिया है, तो फिर इन्हें क्यों एलर्जी है. मोदी का विरोध करते-करते, अब यह देश और संस्कृति का भी विरोध करने लगे हैं, हमारी सभ्यता का विरोध करने लगे हैं."
दिग्गी का स्वाभाव सनातन और भारतीय संस्कृति का विरोध करना: गृहमंत्री मिश्रा ने कांग्रेस के गीता प्रेस को शांति पुरस्कार देने पर आपत्ति वाले बयान पर कांग्रेस और दिग्विजय सिंह को फिर निशाने पर लिया और बड़ी बात कही. वे बोले कि "देखिए शांति पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है तो दिग्विजय सिंह को तो दिक्कत होगी ही, क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि दिग्विजय सिंह जाकिर नाइक को शांतिदूत मानते हैं और वो तो चाहेंगे कि आईएसआईएस में से किसी को शांति पुरस्कार मिल जाए, क्योंकि वो गीता नहीं छापते हैं. पीएफआई को शांति पुरस्कार मिल जाए, लेकिन गीता प्रेस को नहीं मिले, क्योंकि वो रामायण और गीता छापती है इसलिए इनको शांति पुरस्कार नहीं मिलना चाहिए, जाकिर नाइक को शांति पुरस्कार मिलना चाहिए. दरअसल ऐसा दिग्विजय सिंह का स्वभाव है और यह तरह से सनातन और भारतीय संस्कृति का विरोध करना है."
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गांधी-नेहरू विरोधी मानसिकता के लोगों को फायदा पहुंचाना ही मकसद: नरोत्तम मिश्रा के बयान पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री और भोपाल की दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक पीसी शर्मा ने भी जमकर आरोप लगाए. उन्होंने कांग्रेस के योग कार्यक्रम को लेकर कहा कि "21 जून को सारी दुनिया में योग मनाया जा रहा है, मैं भी गया था योग में. यह भी पाखंड नहीं है और वह भी पाखंड नहीं है, यदि वे मुझे कांग्रेस नेता मानते हैं तो मैं गया था, लेकिन मैंने देखा कि वहां बच्चों की हालत खराब है. रही बात गीता प्रेस को पुरस्कार देने की बात तो बता दूं कि गीता प्रेस ने आजादी के पहले महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के विचारों से कभी सहमत नहीं हुई. भाजपा वो सब काम करती है, जहां गांधी, नेहरू, सेनानियों का विरोध प्रकट किया जा सके."