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MP Assembly Election 2023 शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP !

मध्यप्रदेश में विधासनभा चुनाव 2023 (MP Assembly Election 2023) जीतने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. गुजरात विधासनभा चुनाव में मिली एकतरफा जीत से बीजेपी उत्साहित है, लेकिन इसी समय हिमाचल में मिली पराजय से कान भी खड़े हो गए हैं. सियासी गलियारों पर चर्चा है कि इस बार मध्यप्रदेश में चुनाव पीएम मोदी (PM Modi) के चेहरे को आगे रखकर ही लड़ा जाएगा. पार्टी में मंथन चल रहा है कि गुजरात की तर्ज पर मध्यप्रदेश में आगे बढ़ा जाए. इसके लिए पार्टी संगठन के साथ ही सरकार में व्यापक स्तर पर बदलाव करने की भी चर्चा है.

Instead of Shivraj BJP contest with PM Modi face
शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP
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Published : Dec 30, 2022, 1:42 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 2023 का चुनावी शंखनाद कर दिया है. पार्टी ने 'अबकी बार 200 पार' का नारा देकर एक प्रकार से संदेश दे दिया कि प्रदेश के किसी भी चेहरे का नाम नहीं होगा. पीएम मोदी ही चुनाव की नैया पार लगाएंगे. सत्ता संगठन में बड़े बदलाव और फेरबदल की अटकलों के बीच बीजेपी गुजरात फार्मूला मध्यप्रदेश में भी लागू करने जा रही है. पार्टी का लक्ष्य 51% वोट बैंक पाने का है.

क्या लागू होगा गुजरात फार्मूला : गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई मंत्रियों और वर्तमान विधायकों के टिकट काटे. मध्यप्रदेश में क्या गुजरात का फार्मूला लागू होगा, इस बारे में पार्टी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि हमने इस बार 51 प्रतिशत वोट बैंक का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हमने बूथ को मजबूत करने पर फोकस किया है. गुजरात फार्मूले के सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि हमारे यहां सामूहिक फैसले होते हैं. ये फैसला हाईकमान करता है.

Instead of Shivraj BJP contest with PM Modi face
शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP

2018 में शिवराज पर जताया था भरोसा : मध्य प्रदेश बीजेपी ने 2018 में शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ा था. हालांकि मोदी के चेहरे को पार्टी ने खूब इस्तेमाल किया, लेकिन शिवराज सिंह के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा. पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. पार्टी की आंतरिक बैठकों में ये निष्कर्ष निकाला गया कि कई टिकट ऐसे बांटे गए, जिनमें पार्टी नेता सहमत नही थे, लेकिन शिवराज सिंह ने टिकट बांटे और उनके जिताने की जिम्मेदारी ली. इसलिए इस बार लगभग ये तय है कि इस बार पार्टी शिवराज के चेहरे पर नहीं बल्कि मोदी के चेहरे को आगे करके 200 का नारा बुलंद कर चुनावी मैदान में उतरेगी.

कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम, सीटें ज्यादा : 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2013 के मुकाबले 8% बढ़ा और उसे 40 .09 फ़ीसदी वोट मिले तो वहीं बीजेपी को 41% वोट मिले. हालांकि पिछले चुनाव की बात करें तो बीजेपी का वोट प्रतिशत घटा. 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 45 के करीब था तो वहीं 2018 में यह 41% हो गया. बीजेपी को तकरीबन 4% वोट का नुकसान हुआ. यदि कांग्रेस की बात करें तो 2003 में उसे 36.38% वोट मिले, जो 2018 में 40.9 हो गए. कांग्रेस को 4.50 वोट फीसदी का फायदा हुआ.

शिवराज की सोशल इंजीनियरिंग : सीएम शिवराज जानते हैं कि पिछली बार कुछ गलत टिकट वितरण की वजह से सरकार नहीं बन पाई. इस बार शिवराज सारी चीजों को भूलकर सिर्फ हर वर्ग को साधने में जुटे हैं. चाहे वह युवा हो या फिर बुजुर्ग या महिला. वर्ग सभी के लिए शिवराज ने सौगातों का पिटारा खोल दिया है. गांवों को साधने पंचायत सरपंचों का मानदेय बढ़ाया और उन्हें विकास के लिए ज्यादा राशि दी तो वहीं शहरी क्षेत्रों के लिए नगरी निकाय के चुने जनप्रतिनिधियों के मानदेय को बढ़ाया गया और उन्हें ढेरों सौगाते खासतौर से वित्त से जुड़ी हुई दीं.

Instead of Shivraj BJP contest with PM Modi face
शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP

जनहितैषी योजनाओं पर जोर : सीएम का फोकस सोशल इंजीनियरिंग के साथ-साथ जनकल्याणकारी योजनाओं पर है. इसमें लाडली लक्ष्मी कन्या विवाह, तीर्थ दर्शन के साथ किसानों के लिए काफी कुछ योजनाएं शिवराज ने फिर बनाईं. वहीं छात्रों को फिर से लैपटॉप दिए गए. वहीं स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए सीएम राइज स्कूल खोले जाने का प्लान बनाया गया. बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन अब ट्रेन से नहीं हवाई जहाज से कराया जाएगा. यह स्कीम भी जनवरी से शिवराज सिंह ने शुरू कर दी है. पिछली बार शिवराज का आरक्षण को लेकर बयान भारी पड़ा था. उन्होंने कई सभाओं में मंच से कहा था की कौन माई का लाल आरक्षण खत्म कर सकता है. साथ ही sc-st एक्ट को लेकर फसाद हुए. ग्वालियर-चंबल में बीजेपी को भारी सीटों का नुकसान हुआ था.

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कांग्रेस का दावा -चुनाव वही जीतेगी : वहीं, कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी कोई भी नारा दे और किसी भी चेहरे को जनता के सामने रखे, लेकिन जनता अब बदलाव करेगी. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि इस बार फिर जनता कमलनाथ को वोट देगी और जिस तरह से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रिस्पॉन्स कांग्रेस को मिला, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि बीजेपी का झूठ और फरेब अब जनता नहीं सहेगी. इस बार प्रदेश ने कांग्रेस की सरकार ही बनेगी.

भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 2023 का चुनावी शंखनाद कर दिया है. पार्टी ने 'अबकी बार 200 पार' का नारा देकर एक प्रकार से संदेश दे दिया कि प्रदेश के किसी भी चेहरे का नाम नहीं होगा. पीएम मोदी ही चुनाव की नैया पार लगाएंगे. सत्ता संगठन में बड़े बदलाव और फेरबदल की अटकलों के बीच बीजेपी गुजरात फार्मूला मध्यप्रदेश में भी लागू करने जा रही है. पार्टी का लक्ष्य 51% वोट बैंक पाने का है.

क्या लागू होगा गुजरात फार्मूला : गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई मंत्रियों और वर्तमान विधायकों के टिकट काटे. मध्यप्रदेश में क्या गुजरात का फार्मूला लागू होगा, इस बारे में पार्टी के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि हमने इस बार 51 प्रतिशत वोट बैंक का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हमने बूथ को मजबूत करने पर फोकस किया है. गुजरात फार्मूले के सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि हमारे यहां सामूहिक फैसले होते हैं. ये फैसला हाईकमान करता है.

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शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP

2018 में शिवराज पर जताया था भरोसा : मध्य प्रदेश बीजेपी ने 2018 में शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ा था. हालांकि मोदी के चेहरे को पार्टी ने खूब इस्तेमाल किया, लेकिन शिवराज सिंह के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा. पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. पार्टी की आंतरिक बैठकों में ये निष्कर्ष निकाला गया कि कई टिकट ऐसे बांटे गए, जिनमें पार्टी नेता सहमत नही थे, लेकिन शिवराज सिंह ने टिकट बांटे और उनके जिताने की जिम्मेदारी ली. इसलिए इस बार लगभग ये तय है कि इस बार पार्टी शिवराज के चेहरे पर नहीं बल्कि मोदी के चेहरे को आगे करके 200 का नारा बुलंद कर चुनावी मैदान में उतरेगी.

कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम, सीटें ज्यादा : 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2013 के मुकाबले 8% बढ़ा और उसे 40 .09 फ़ीसदी वोट मिले तो वहीं बीजेपी को 41% वोट मिले. हालांकि पिछले चुनाव की बात करें तो बीजेपी का वोट प्रतिशत घटा. 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 45 के करीब था तो वहीं 2018 में यह 41% हो गया. बीजेपी को तकरीबन 4% वोट का नुकसान हुआ. यदि कांग्रेस की बात करें तो 2003 में उसे 36.38% वोट मिले, जो 2018 में 40.9 हो गए. कांग्रेस को 4.50 वोट फीसदी का फायदा हुआ.

शिवराज की सोशल इंजीनियरिंग : सीएम शिवराज जानते हैं कि पिछली बार कुछ गलत टिकट वितरण की वजह से सरकार नहीं बन पाई. इस बार शिवराज सारी चीजों को भूलकर सिर्फ हर वर्ग को साधने में जुटे हैं. चाहे वह युवा हो या फिर बुजुर्ग या महिला. वर्ग सभी के लिए शिवराज ने सौगातों का पिटारा खोल दिया है. गांवों को साधने पंचायत सरपंचों का मानदेय बढ़ाया और उन्हें विकास के लिए ज्यादा राशि दी तो वहीं शहरी क्षेत्रों के लिए नगरी निकाय के चुने जनप्रतिनिधियों के मानदेय को बढ़ाया गया और उन्हें ढेरों सौगाते खासतौर से वित्त से जुड़ी हुई दीं.

Instead of Shivraj BJP contest with PM Modi face
शिवराज की जगह PM मोदी के चेहरे को लेकर मैदान में उतरेगी BJP

जनहितैषी योजनाओं पर जोर : सीएम का फोकस सोशल इंजीनियरिंग के साथ-साथ जनकल्याणकारी योजनाओं पर है. इसमें लाडली लक्ष्मी कन्या विवाह, तीर्थ दर्शन के साथ किसानों के लिए काफी कुछ योजनाएं शिवराज ने फिर बनाईं. वहीं छात्रों को फिर से लैपटॉप दिए गए. वहीं स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए सीएम राइज स्कूल खोले जाने का प्लान बनाया गया. बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन अब ट्रेन से नहीं हवाई जहाज से कराया जाएगा. यह स्कीम भी जनवरी से शिवराज सिंह ने शुरू कर दी है. पिछली बार शिवराज का आरक्षण को लेकर बयान भारी पड़ा था. उन्होंने कई सभाओं में मंच से कहा था की कौन माई का लाल आरक्षण खत्म कर सकता है. साथ ही sc-st एक्ट को लेकर फसाद हुए. ग्वालियर-चंबल में बीजेपी को भारी सीटों का नुकसान हुआ था.

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कांग्रेस का दावा -चुनाव वही जीतेगी : वहीं, कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी कोई भी नारा दे और किसी भी चेहरे को जनता के सामने रखे, लेकिन जनता अब बदलाव करेगी. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि इस बार फिर जनता कमलनाथ को वोट देगी और जिस तरह से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रिस्पॉन्स कांग्रेस को मिला, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि बीजेपी का झूठ और फरेब अब जनता नहीं सहेगी. इस बार प्रदेश ने कांग्रेस की सरकार ही बनेगी.

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