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MP Assembly Election 2023: BJP नेताओं के बीच फेस को लेकर भ्रम की स्थिति, देखिए प्रदेश के दिग्गजों ने क्या जवाब दिया - मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव

मध्यप्रदेश में साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में समितियों की बैठकों का दौर जारी है. वहीं, विधानसभा चुनाव किसके फेस पर लड़ा जाएगा और सीएम फेस कौन होगा, इन सवालों को लेकर प्रदेश के दिग्गज नेताओं में भ्रम की स्थिति दिख रही है. (MP Assembly Election 2023)

MP Assembly Election 2023
BJP नेताओं के बीच फेस को लेकर भ्रम की स्थिति
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Published : Aug 1, 2023, 2:37 PM IST

BJP नेताओं के बीच फेस को लेकर भ्रम की स्थिति

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी किसके चेहरे को आगे करके विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. इस सवाल को लेकर पार्टी नेताओं में आपस में ही मतभेद हैं. जहां केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी और सीएम शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कही तो वहीं प्रदेश के नेताओं में चेहरे को लेकर अभी भी कन्फ्यूजन है. इसके साथ ही पार्टी में और किसे शामिल किया जाए, इसका पैमाना क्या होगा. इन बिंदुओं को लेकर भी जिम्मेदार नेता तस्वीर साफ नहीं कर रहे हैं. (MP Assembly Election 2023)

आपराधिक पृष्ठभूमि वालों से दूरी : कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि हम सभी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह, वीडी शर्मा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. बता दें कि कमल पटेल न्यू ज्वाइनिंग समिति में शामिल हैं. पटेल ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को पार्टी में पहले से ही कोई जगह नहीं है. स्वच्छ छवि वाले नेताओं को ही बीजेपी में ज्वाइन कराया जाएगा. बीजेपी विकास के लिए काम करती है, जो भी पार्टी से जुड़ना चाहता है, जुड़ सकता है. बीजेपी ये चुनाव भी विकास के मुद्दे पर लड़ेगी.

क्यों मौन हो गए नरोत्तम मिश्रा : वहीं, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ये पहली बैठक थी. बहुत से नेता पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. कई लोग बीजेपी के संपर्क में हैं. जब पूछा गया कि आदिवासी चेहरे खासतौर से उमंग सिंगार के साथ अन्य चेहरे से बीजेपी संपर्क में हैं तो नरोत्तम मिश्रा मौन हो गए और मुस्कुराकर निकल गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आदिवासी सिर्फ वोट बैंक के रूप में दिखाई देते हैं. कांतिलाल भूरिया जैसे नाम कांग्रेस को तभी याद आते हैं, जब उन्हें जरूरत होती है. हमने देखा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही कैसे कांतिलाल भूरिया को दरकिनार कर दिया गया था.

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घोषणा पत्र समिति की पहली बैठक : घोषणा पत्र समिति के संयोजक जयंत मलैया का कहना है कि घोषणा पत्र समिति की पहली बैठक में इस बात पर मंथन हुआ कि किसान, उद्योग और उनसे जुड़े लोगो को किस तरह से संतुष्ट किया जाए और इनके लिए किस तरह की घोषणाएं की जानी चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि बैठक में क्या-क्या विषय शामिल होंगे तो उनका कहना था कि सभी वर्गों को साधने वाला ये घोषणा पत्र होगा. बता दें कि बीजेपी इस बार भी सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर जनता के बीच जा रही है. जो इस साल घोषणाएं की गईं, उन पर पार्टी का फोकस है. (MP Assembly Election 2023)

BJP नेताओं के बीच फेस को लेकर भ्रम की स्थिति

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी किसके चेहरे को आगे करके विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. इस सवाल को लेकर पार्टी नेताओं में आपस में ही मतभेद हैं. जहां केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी और सीएम शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कही तो वहीं प्रदेश के नेताओं में चेहरे को लेकर अभी भी कन्फ्यूजन है. इसके साथ ही पार्टी में और किसे शामिल किया जाए, इसका पैमाना क्या होगा. इन बिंदुओं को लेकर भी जिम्मेदार नेता तस्वीर साफ नहीं कर रहे हैं. (MP Assembly Election 2023)

आपराधिक पृष्ठभूमि वालों से दूरी : कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि हम सभी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह, वीडी शर्मा के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. बता दें कि कमल पटेल न्यू ज्वाइनिंग समिति में शामिल हैं. पटेल ने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को पार्टी में पहले से ही कोई जगह नहीं है. स्वच्छ छवि वाले नेताओं को ही बीजेपी में ज्वाइन कराया जाएगा. बीजेपी विकास के लिए काम करती है, जो भी पार्टी से जुड़ना चाहता है, जुड़ सकता है. बीजेपी ये चुनाव भी विकास के मुद्दे पर लड़ेगी.

क्यों मौन हो गए नरोत्तम मिश्रा : वहीं, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि ये पहली बैठक थी. बहुत से नेता पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. कई लोग बीजेपी के संपर्क में हैं. जब पूछा गया कि आदिवासी चेहरे खासतौर से उमंग सिंगार के साथ अन्य चेहरे से बीजेपी संपर्क में हैं तो नरोत्तम मिश्रा मौन हो गए और मुस्कुराकर निकल गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आदिवासी सिर्फ वोट बैंक के रूप में दिखाई देते हैं. कांतिलाल भूरिया जैसे नाम कांग्रेस को तभी याद आते हैं, जब उन्हें जरूरत होती है. हमने देखा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही कैसे कांतिलाल भूरिया को दरकिनार कर दिया गया था.

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