भोपाल। दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संकल्प लिया गया कि 9 राज्यों के चुनाव में सभी राज्य जीतने हैं. इन 9 राज्यों में मध्यप्रदेश भी शामिल है. जहां पर इस वर्ष चुनाव हैं. मध्यप्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल नतीजे के चलते ही आज भाजपा की सरकार है. पिछले विधानसभा चुनाव में जीत कांग्रेस की हुई थी. इसलिए मध्यप्रदेश में जीत का गुजरात फार्मूला लागू होगा. पीएम मोदी ने नेताओं को बताया कि ओवर कॉन्फिडेंट नहीं होना है. अपनी स्वच्छ छवि बनाना है. वहीं, मध्यप्रदेश में जहां एक तरफ बीजेपी को लगता है कि इस बार भी मोदी के सहारे फिर सरकार बनेगी, लेकिन कार्यकारिणी की बैठक में मोदी ने साफ कह दिया है कि कई राज्यों में पार्टी खुद को ओवरकॉन्फिडेंस में रख रही है, लेकिन खुद को मजबूत करना है. आपको कॉन्फिडेंट तो रहना है लेकिन ओवरकॉन्फिडेंट नहीं. जानकारों के मुताबिक मोदी का इशारा मध्यप्रदेश की तरफ था, जिसमें पिछले चुनावों में हार का कारण उनकी ही कमियां थीं.
65 हजार बूथों में बीजेपी के 35 प्रतिशत कमजोर : पार्टी सर्वे के मुताबिक अभी भी बीजेपी को करीब 35 फीसदी से ज्यादा बूथों पर काम करना है. जिन पर पार्टी की पकड़ कमजोर है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद प्रदेश में बीजेपी उन कमजोर बूथों पर काम करने में जुट गई है. उसकी रणनीति यही है कि पहले प्रदेश में हर बूथ को मजबूत करना होगा. मध्यप्रदेश में पार्टी ने 100 आकांक्षी सीटों पर काम करना शुरू कर दिया है. भाजपा को कांग्रेस के इन मजबूत गढ़ पर फोकस करने को कहा गया है और निर्देश दिए गए हैं कि कैसे भी हो, इन गढ़ों में सेंध लगानी है .
पन्ना प्रभारी को मजबूत करने का प्लान : बीजेपी 2023 की चुनावी तैयारी में बूथ मैनेजमेंट पर पूरा फोकस कर रही है. इसलिए पार्टी अपने त्रिदेव यानि बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए को संपदा स्मार्ट कार्ड देने का फैसला लिया. यह कार्ड इन तीनों पदाधिकारियों को सम्मान, पहचान दिलाएगा और दायित्व का अहसास भी कराएगा. पार्टी को लगता है कि इस जरिए वह आने वाले चुनाव में बूथ पर 51% वोट हासिल कर लेगी. पार्टी को पिछ्ले चुनाव में 41 प्रतिश वोट बैंक मिला था. पार्टी कुशाभाऊ ठाकरे के जन्मशती वर्ष में संगठन को मजबूत करना चाहती है, जिसके लिए उसने बूथ को मजबूत करने की रणनीति बनाई है. बीजेपी का असली मकसद पन्ना प्रमुख को मजबूत करना है और यदि ऐसा हुआ तो 2023 में बीजेपी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पर काबिज हो सकती है.
अंदरूनी गुटबाजी से टेंशन : बीजेपी में अंदरूनी गुटबाजी कहीं उस पर भारी न पड़ जाए. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मध्यप्रदेश में नेतृत्व बदलाव की अटकलों पर विराम तो लगता दिख रहा है लेकिन उसके बाद यहां के नेताओं ने खुद को पावरफुल बताने में कोई कमी नहीं छोड़ी. ट्विटर के जरिए कुछ इस तरह के फोटो लगाए गए, जिससे संदेश साफ चला गया कि अभी तो हम ही हैं. बीजेपी में सिंधिया समर्थक और बीजेपी गुट में अब खुलकर कलह सामने आ रही है. सिंधिया समर्थक मंत्रियों के कारनामों की बकायदा लिस्ट बनाकर हाईकमान को भेजी जा रही हैं तो वहीं सिंधिया समर्थक मंत्री कहने लगे है कि उनके खिलाफ षड्यंत्र होने लगा है. इस बार के चुनाव में पार्टी के सामने कांग्रेस और खासतौर से सिंधिया समर्थकों के बीच जमकर खींचतान होगी. जिसके चलते माना जा रहा है की बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.