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MP में दिखेगा AAP का दम, खाटला बैठक के जरिए खड़ी करेगी कांग्रेस-बीजेपी की खटिया

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Published : Nov 14, 2022, 3:20 PM IST

Updated : Nov 14, 2022, 5:29 PM IST

हिमाचल प्रदेश में चुनाव खत्म होने के बाद अब राजनीतिक पार्टियों की नजर गुजरात चुनाव पर है. इस चुनाव में कांग्रेस बीेजपी के अलावा सबसे ज्यादा अगर कोई जोर लगा रहा है तो वह आम आदमी पार्टी है. वहीं गुजरात के साथ आप आने वाले एमपी चुनाव [mp assembly election 2023] पर भी नजर बनाए हुए हैं. लिहाजा इसी का असर है कि पार्टी गुजरात से लगे एमपी के इलाकों से शंखनाद कर रही है. पार्टी ग्रामीण अंचलों में खाटला बैठक कर रही है.

aadmi party khatla baithak
आप की खाटला बैठक

भोपाल। गुजरात चुनाव में दम दिखा रही आम आदमी पार्टी अब गुजरात से सटे इलाकों मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद कर रही है. 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की खटिया खड़ी करने आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में नया चुनावी फार्मूला ला रही है [mp assembly election 2023]. गुजरात से सटे चार जिलों की आदिवासी सीटों पर सबसे पहले आप की नजर पड़ी है. झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर और रतलाम इन चार जिलों की 14 विधानसभा सीटों पर गांव और फालिया पर खाटला बैठकों का एजेंडा आम आदमी पार्टी ने शुरू किया है.

4 जिले और 14 विधानसभा सीटों पर आप का दांव: गुजरात विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत लगा रही आम आदमी पार्टी ने गुजरात के साथ चुनावी साल में खड़े मध्यप्रदेश में भी उन्हीं जिलों से 2023 के लिए चुनावी जमीन बनाना शुरु की है [ aap campaign in mp for assembly election]. जो गुजरात से सटे हुए हैं. गुजरात से सटे आदिवासी जिले झाबुआ, अलीराजपुर बड़वानी और रतलाम. इन चार जिलों में पार्टी ने आदिवासियों के बीच पहुंचना शुरु कर दिया है. पार्टी की रणनीति ये है कि गुजरात में पार्टी की पहुंच का असर गुजरात से सटे एमपी के जिलों में पहले पहुंचाना आसान होगा.

aam aadmi party khatla baithak
आदिवासी नेता के घर भोजन का आयोजन

गांव गांव और फलिया तक खाटला बैठक: अब आम आदमी पार्टी की वो रणनीति जान लीजिए जिसके जरिए पार्टी आदिवासी वोटर तक अपनी पहुंच बना रही है. आम आदमी पार्टी ने इन आदिवासी जिलों के गांव और फलियों तक अपनी पहुंचे बनाने खाटला बैठक शुरु की है. खाटला यानि खटिया बैठकें आप करेगी. इन खटिया बैठकों में गांव के प्रभावी लोगों को बुलाया जाता है, उनकी समस्याएं सुनी जाती है और पूछा जाता है कि आदिवासियों के लिए चलाई जा रही कितनी योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंच पा रही है. उन गांवों पर खास फोकस है, जिन गांवों के मजदूर मजदूरी करने गुजरात जाता है.

aadmi party khatla baithak
आप की खाटला बैठक

MP Local Body Elections 2022: AAP ने जारी की ग्वालियर में प्रत्याशियाें की पहली सूची, प्रभारी पर लगा पैसे लेकर टिकट देने का आरोप

आदिवासी पलायन को आप बनाएगी मुद्दा: आम आदमी पार्टी आदिवासियों के पलायन और आदिवासी योजनाओं में भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है. इसके लिए बकायदा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला स्तरीय कार्यक्रम शुरु किए. उसके बाद विधानसभा स्तर के कार्यक्रम शुरु किए गए. जिसमें आदिवासियों से फीडबैक लिया जाता है कि किन योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया है. फिर उन्हें जानकारी दी जाती है कि किस तरह आदिवासियों के हक के पैसे में कैसे भ्रष्ट्राचार हुआ है. इसके साथ ही आदिवासी संगठनों से भी आम आदमी पार्टी संपर्क बना रही है. आम आदमी पार्टी मध्य्प्रदेश के उपाध्यक्ष और इंदौर सम्भाग प्रभारी मुकेश उपाध्याय बताते हैं हमने पूरा कार्यक्रम इस तरह का बनाया है, जल जंगल जमीन से जुड़े आदिवासियों से जीवंत जुड़ाव बन सकें. खाटला बैठके साथ पार्टी के कार्यकर्ता भोजन भी हमारे किसी आदिवासी नेता के घर पर ही करते हैं.

कई आदिवासी संगठन आप के संपर्क में: आदिवासी सीटें ही एमपी में जीत हार तय करती हैं. लिहाजा आम आदमी पार्टी ने सबसे जरुरी वोट बैंक पर सबसे पहले पकड़ बनानी शुरु की है. एमपी में करीब 47 आदिवासी सीटें हैं. इन पर जिस पार्टी को बढ़त मिलती है, सत्ता उसी को मिलती है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश उपाध्याय कहते हैं, अब तक कांग्रेस बीजेपी ने आदिवासी को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया. आम आदमी पार्टी उसकी आवाज़ बनकर खड़ी है.

भोपाल। गुजरात चुनाव में दम दिखा रही आम आदमी पार्टी अब गुजरात से सटे इलाकों मध्यप्रदेश में चुनावी शंखनाद कर रही है. 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की खटिया खड़ी करने आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में नया चुनावी फार्मूला ला रही है [mp assembly election 2023]. गुजरात से सटे चार जिलों की आदिवासी सीटों पर सबसे पहले आप की नजर पड़ी है. झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर और रतलाम इन चार जिलों की 14 विधानसभा सीटों पर गांव और फालिया पर खाटला बैठकों का एजेंडा आम आदमी पार्टी ने शुरू किया है.

4 जिले और 14 विधानसभा सीटों पर आप का दांव: गुजरात विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत लगा रही आम आदमी पार्टी ने गुजरात के साथ चुनावी साल में खड़े मध्यप्रदेश में भी उन्हीं जिलों से 2023 के लिए चुनावी जमीन बनाना शुरु की है [ aap campaign in mp for assembly election]. जो गुजरात से सटे हुए हैं. गुजरात से सटे आदिवासी जिले झाबुआ, अलीराजपुर बड़वानी और रतलाम. इन चार जिलों में पार्टी ने आदिवासियों के बीच पहुंचना शुरु कर दिया है. पार्टी की रणनीति ये है कि गुजरात में पार्टी की पहुंच का असर गुजरात से सटे एमपी के जिलों में पहले पहुंचाना आसान होगा.

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आदिवासी नेता के घर भोजन का आयोजन

गांव गांव और फलिया तक खाटला बैठक: अब आम आदमी पार्टी की वो रणनीति जान लीजिए जिसके जरिए पार्टी आदिवासी वोटर तक अपनी पहुंच बना रही है. आम आदमी पार्टी ने इन आदिवासी जिलों के गांव और फलियों तक अपनी पहुंचे बनाने खाटला बैठक शुरु की है. खाटला यानि खटिया बैठकें आप करेगी. इन खटिया बैठकों में गांव के प्रभावी लोगों को बुलाया जाता है, उनकी समस्याएं सुनी जाती है और पूछा जाता है कि आदिवासियों के लिए चलाई जा रही कितनी योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंच पा रही है. उन गांवों पर खास फोकस है, जिन गांवों के मजदूर मजदूरी करने गुजरात जाता है.

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आप की खाटला बैठक

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आदिवासी पलायन को आप बनाएगी मुद्दा: आम आदमी पार्टी आदिवासियों के पलायन और आदिवासी योजनाओं में भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है. इसके लिए बकायदा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला स्तरीय कार्यक्रम शुरु किए. उसके बाद विधानसभा स्तर के कार्यक्रम शुरु किए गए. जिसमें आदिवासियों से फीडबैक लिया जाता है कि किन योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पाया है. फिर उन्हें जानकारी दी जाती है कि किस तरह आदिवासियों के हक के पैसे में कैसे भ्रष्ट्राचार हुआ है. इसके साथ ही आदिवासी संगठनों से भी आम आदमी पार्टी संपर्क बना रही है. आम आदमी पार्टी मध्य्प्रदेश के उपाध्यक्ष और इंदौर सम्भाग प्रभारी मुकेश उपाध्याय बताते हैं हमने पूरा कार्यक्रम इस तरह का बनाया है, जल जंगल जमीन से जुड़े आदिवासियों से जीवंत जुड़ाव बन सकें. खाटला बैठके साथ पार्टी के कार्यकर्ता भोजन भी हमारे किसी आदिवासी नेता के घर पर ही करते हैं.

कई आदिवासी संगठन आप के संपर्क में: आदिवासी सीटें ही एमपी में जीत हार तय करती हैं. लिहाजा आम आदमी पार्टी ने सबसे जरुरी वोट बैंक पर सबसे पहले पकड़ बनानी शुरु की है. एमपी में करीब 47 आदिवासी सीटें हैं. इन पर जिस पार्टी को बढ़त मिलती है, सत्ता उसी को मिलती है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश उपाध्याय कहते हैं, अब तक कांग्रेस बीजेपी ने आदिवासी को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया. आम आदमी पार्टी उसकी आवाज़ बनकर खड़ी है.

Last Updated : Nov 14, 2022, 5:29 PM IST
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