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MP चुनावी साल में आर-पार की लड़ाई को तैयार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, दोहराई मांगें, दे दिया अल्टीमेटम

चुनावी साल सरकार से मांगें मनवाने का सबसे मुफीद वक्त होता. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (MP Anganwadi workers) भी शिवराज सरकार का इम्तहान लेने की तैयारी में दिख रही हैं. इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए सरकार ना केवल बच्चों और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाती है बल्कि वोटर लिस्ट के काम से लेकर सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों का रिकार्ड भी यही तैयार करती हैं. चुनावी साल लगते ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ सड़क पर (Anganwadi workers ready for fight) उतरने का मन बना चुकी हैं. ये कार्यकर्ता सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की मांग पर अड़ी हैं.

Anganwadi workers repeated demands
MP चुनावी साल में आर पार की लड़ाई को तैयार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
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Published : Nov 16, 2022, 5:16 PM IST

भोपाल। महंगाई भत्ता दिए जाने के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने परिवार के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी चाहती हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अल्टीमेटम दे दिया है. कहा है कि अगर जल्द से जल्द सुनवाई नहीं हुई तो चुनावी साल में प्रदेश भर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब उग्र आंदोलन छेड़ेंगी. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बुनियादी तौर पर तो महिला बाल विकास विभाग से जुड़ी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने और उसका फीडबैक लेने की जवाबदारी है. लेकिन चूंकि इनकी पहुंच घर घर तक है लिहाजा सिस्टम में बाकी योजनाओं की जानकारी जुटाने से लेकर वोटर आईडी कोरोना वैक्सीनेशन के काम तक हर ड्यूटी में ये करती हैं.

सारे बेगारी वाले काम हमारे सिर पर क्यों : आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष हफ्जा काज़मी कहती हैं कि हमारे लिए न काम के घंटे तय हैं और ना ये तय है कि केवल यही काम लिया जाएगा. जो भी बेगारी होती है वो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सिर पर डाल दी जाती है. वोटर आईडी का काम हमारे जिम्मे है. कोरोना में घर- घर वैक्सीनेशन का काम भी हमे दिया गया. बाद में टीकाकरण का डाटा भी. सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों का रिकार्ड भी हमें ही रखना है.

Anganwadi workers repeated demands
MP चुनावी साल में आर पार की लड़ाई को तैयार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

सरकारी कर्मचारी का काम तो वेतन क्यों नहीं : आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मांग है कि हम सरकार और जनता के बीच की अहम कड़ी है. महिला बाल विकास विभाग की रीढ़ इन कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. और सरकारी कर्मचारी की तरह कार्यकर्ता को 26 हजार रुपए और सहायिका को 21 हजार रुपए का प्रतिमाह वेतन दिया जाए. इसी तरह से जिन आंगनवाड़ी भवनो के किराए का भुगतान पिछले एक वर्ष से नहीं किया गया, उनका भुगतान सरकार जल्द से जल्द करे. बाकी कर्मचारियों की तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी दी जाए.

Anganwadi workers repeated demands
MP चुनावी साल में आर पार की लड़ाई को तैयार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

तेज धूप में 40 दिनों से आंदोलन कर रही एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत, आंदोलनकारीयों ने शव के साथ किया प्रदर्शन

अब आर- पार की लड़ाई होगी : आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवानिवृत्ति पर सरकारी की ओर से एक लाख रुपए और सहायिका को 75 हजार रुपए देने की जो घोषणा की गई थी, इसे घोषणा के दिनांक से लागू कर सेवानिवृत्त हुई सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसका लाभ दिया जाए. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष हफ्जा काज़मी कहती हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मांगे लंबे समय से पेंडिंग है. सरकार जिन योजनाओं के दम पर मध्यप्रदेश में महिलाओं की तरक्की और बच्चों के पोषण का काम चल रहा है. वो सारा काम हम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कंधे पर ही है. सरकार चुनावी साल में हमें बड़ी सौगात दे. वरना हम तो पूरी तैयारी किए बैठे हैं कि इस बार लड़ाई निर्णायक होगी.

भोपाल। महंगाई भत्ता दिए जाने के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने परिवार के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी चाहती हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अल्टीमेटम दे दिया है. कहा है कि अगर जल्द से जल्द सुनवाई नहीं हुई तो चुनावी साल में प्रदेश भर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब उग्र आंदोलन छेड़ेंगी. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बुनियादी तौर पर तो महिला बाल विकास विभाग से जुड़ी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने और उसका फीडबैक लेने की जवाबदारी है. लेकिन चूंकि इनकी पहुंच घर घर तक है लिहाजा सिस्टम में बाकी योजनाओं की जानकारी जुटाने से लेकर वोटर आईडी कोरोना वैक्सीनेशन के काम तक हर ड्यूटी में ये करती हैं.

सारे बेगारी वाले काम हमारे सिर पर क्यों : आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष हफ्जा काज़मी कहती हैं कि हमारे लिए न काम के घंटे तय हैं और ना ये तय है कि केवल यही काम लिया जाएगा. जो भी बेगारी होती है वो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सिर पर डाल दी जाती है. वोटर आईडी का काम हमारे जिम्मे है. कोरोना में घर- घर वैक्सीनेशन का काम भी हमे दिया गया. बाद में टीकाकरण का डाटा भी. सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों का रिकार्ड भी हमें ही रखना है.

Anganwadi workers repeated demands
MP चुनावी साल में आर पार की लड़ाई को तैयार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

सरकारी कर्मचारी का काम तो वेतन क्यों नहीं : आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मांग है कि हम सरकार और जनता के बीच की अहम कड़ी है. महिला बाल विकास विभाग की रीढ़ इन कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. और सरकारी कर्मचारी की तरह कार्यकर्ता को 26 हजार रुपए और सहायिका को 21 हजार रुपए का प्रतिमाह वेतन दिया जाए. इसी तरह से जिन आंगनवाड़ी भवनो के किराए का भुगतान पिछले एक वर्ष से नहीं किया गया, उनका भुगतान सरकार जल्द से जल्द करे. बाकी कर्मचारियों की तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी दी जाए.

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तेज धूप में 40 दिनों से आंदोलन कर रही एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मौत, आंदोलनकारीयों ने शव के साथ किया प्रदर्शन

अब आर- पार की लड़ाई होगी : आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवानिवृत्ति पर सरकारी की ओर से एक लाख रुपए और सहायिका को 75 हजार रुपए देने की जो घोषणा की गई थी, इसे घोषणा के दिनांक से लागू कर सेवानिवृत्त हुई सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इसका लाभ दिया जाए. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष हफ्जा काज़मी कहती हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मांगे लंबे समय से पेंडिंग है. सरकार जिन योजनाओं के दम पर मध्यप्रदेश में महिलाओं की तरक्की और बच्चों के पोषण का काम चल रहा है. वो सारा काम हम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के कंधे पर ही है. सरकार चुनावी साल में हमें बड़ी सौगात दे. वरना हम तो पूरी तैयारी किए बैठे हैं कि इस बार लड़ाई निर्णायक होगी.

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