भोपाल। मध्यप्रदेश में भर्ती परीक्षाओं (Recruitment Examinations) को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, करीब 6 से अधिक भर्तियों में गड़बड़ियों के चलते या तो इनके रिजल्ट ही जारी नहीं किए गए हैं, या फिर भर्ती प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी गई है. उधर भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर जारी नहीं किए जाने से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की मुश्किल लगातार बढ़ती जा रही है. भर्ती की उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंचे युवाओं को ओवर एज होने का डर सता रहा है.
इन भर्ती परीक्षाओं में चल रहा विवाद
- 2017 में निकली पटवारी भर्ती परीक्षा के बाद 4 साल बाद भी नहीं सुलझ पाया. 9,235 पदों के लिए की गई भर्ती की प्रक्रिया भू अभिलेख विभाग अभी तक पूरी नहीं कर पाया है. 235 पदों पर भर्ती अभी भी बाकी है. इसकी वेटिंग लिस्ट में शामिल 4,000 उम्मीदवार नौकरी की आस लगाए बैठे हैं. यह स्थिति तब है, जब इसके लिए 11 बार काउंसलिंग हो चुकी है. आयुक्त भू अभिलेख ज्ञानेश्वर पाटिल के मुताबिक इन पदों को नई भर्ती परीक्षा के साथ जोड़कर भरा जाएगा.
पिछले 3 सालों से चल रही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में मेरिट में आए 780 अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के दौरान अमान्य करने का विवाद बना हुआ है. माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री से पीजी करने वाले अभ्यर्थी अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ा रहे थे, लेकिन बाद में इन्हें अमान्य कर दिया गया. अब सवाल उठाए जा रहा है कि जब पिछली तीन भर्तियों में इन विषयों के उम्मीदवारों को मान्यता दी गई, तो फिर अब क्यों नहीं, अगस्त 2018 में राजपत्र में जारी दिशानिर्देश का पालन करने का आरोप भी लगा, हालांकि विभाग का कहना है कि नियम अनुसार ही शिक्षक भर्ती की जा रही है.- 11 और 12 फरवरी को प्रोफेशनल एग्जाम बोर्ड द्वारा कृषि विभाग की परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन इसकी तैयारी नहीं हो सके अब अभ्यर्थी परीक्षा कैंसिल करने की मांग कर रहे हैं.
- जेल प्रहरी की परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर भी प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड परीक्षा कराने वाली एजेंसी पर जुर्माना नहीं लगा सकी.
- कृषि विस्तार और कृषि विकास अधिकारी भर्ती परीक्षा का विवाद भी मार्च माह में सामने आ चुका है, मामले में रिजल्ट आने के पहले जारी की गई मेरिट सूची में सभी एक ही जिले के अभ्यर्थी बताए गए, मामले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच के आदेश दिए थे. रिजल्ट अब तक जारी नहीं किया जा सका.
- प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड से अब प्राइमरी संविदा शिक्षक और आरक्षक भर्ती परीक्षा की तारीखों का इंतजार है, माना जा रहा है कि 30 जुलाई को रिटायर हो रहे बोर्ड के अध्यक्ष के के सिंह कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते.
- युवा बेरोजगार संघ के अध्यक्ष दिनेश चौहान कहते हैं कि भर्तियों के नाम पर युवाओं के साथ मजाक बना हुआ है, कृषि विस्तार और कृषि विकास अधिकारी के पदों पर हुई भर्ती परीक्षा में विवादित कुछ नामों को छोड़कर बाकी रिजल्ट क्यों नहीं जारी किया जाता, ऐसा ही विवाद पटवारी परीक्षा में भी है. आश्चर्य है कि सरकार 4 साल में भी इसका निराकरण नहीं कर सकी.
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युवाओं को आयु सीमा में दिया जाए लाभ
भर्तियों में विवाद के अलावा लगातार भर्तियों पर रोक की वजह से अभ्यर्थियों को ओवरेज होने का डर भी परेशान कर रहा है. एमपीपीएससी द्वारा पूर्व में जारी भर्ती के लिए आयु सीमा की गणना 1 जनवरी 2021 निर्धारित की है, ऐसा ही हाल दूसरी भर्ती परीक्षाओं का भी है. अभ्यर्थियों ने आयु सीमा बढ़ाए जाने की है. एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता गौरव सिंह के मुताबिक सरकार को आयु सीमा की गड़बड़ी को ठीक करना चाहिए, यदि आयु सीमा बढ़ती है, तो इसका युवाओं को बड़ा लाभ होगा, लेकिन सरकार सिर्फ युवाओं से झूठे वादे कर रही है. अगर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता आरोप लगाते हैं कि सरकार युवाओं के नाम पर संवेदनशील है. यही वजह है कि सरकार सरकार भर्ती के नाम पर युवाओं को अंधेरे में रखने का काम कर रही है.