भोपाल। मध्य प्रदेश महिला अपराधों के मामलों में नंबर एक पर है, इसके बावजूद सरकार और पुलिस छवि को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. आलम यह है कि, राज्य महिला आयोग में ही 12 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित पड़ी हुई हैं. महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने बताया कि, इन शिकायतों में हत्या, दहेज प्रताड़ना समेत कई गंभीर शिकायतें शामिल हैं. लेकिन सरकार इन मामलों के प्रति संवेदनशील नहीं है. महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कि, राज्य महिला आयोग तो इन मामलों का जल्द से जल्द निराकरण करना चाहती है, लेकिन सरकार ही आयोग के कामों में अड़ंगा लगा रही है.
इधर, बाल आयोग में भी 250 से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं. हालांकि ये आंकड़ा महिला आयोग में लंबित मामलों के सामने बहुत छोटा है. बाल आयोग में पिछले डेढ़ साल से अध्यक्ष की ही नियुक्ति नहीं की गई है. लेकिन यहां पदस्थ सदस्य बाल अपराधों से जुड़े मामलों का लगातार निराकरण कर रहे हैं. बाल आयोग के सदस्य बृजेश सिंह चौहान ने बताया कि, लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें स्कूलों को लेकर उनके पास पहुंची है. साथ ही बच्चों के साथ मारपीट, यौन शोषण जैसी कई शिकायतों पर बाल आयोग लगातार काम कर रहा है. बाल आयोग के सदस्य ने बताया कि, गंभीर शिकायतों पर संबंधित अधिकारियों को जांच करने के निर्देश दिए जाते हैं, साथ ही प्रतिवेदन आने पर उस पर विचार किया जाता है, उसके बाद ही अग्रिम कार्रवाई होती है.महिला अपराधों को लेकर राज्य महिला आयोग के पास हर दिन दर्जनों शिकायतें पहुंच रही है. इसके बावजूद जिस तेजी से महिला अपराधों पर काम होना चाहिए, उतनी तेजी दिखाई नहीं दे रही है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक महिला अपराध में मध्य प्रदेश लंबे समय से अव्वल बना हुआ है, तो वहीं बाल अपराधों में भी प्रदेश ज्यादा पीछे नहीं है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि, शांति के टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में महिला और बच्चे कितने सुरक्षित हैं.