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अंदाज-ए-शिवराज ! MP में क्या फिर भाजपा के खेवनहार होंगे चौहान, किस पर सीएम का दांव लगाएगी पार्टी

MP Shivraj Singh Win: मध्य प्रदेश में चुनावी नतीजे साफ हो गए हैं, भाजपा को जनादेश का साथ मिला है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने करीब 10,4,774 वोटों से जीत हासिल की है. भाजपा की जीत में सीएम शिवराज की लाडली बहना योजना को एक्स फेक्टर माना जा रहा है.

Vidhan Sabha Election results 2023 Live
एमपी में सियासी मैजिक
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 3, 2023, 4:48 PM IST

Updated : Dec 3, 2023, 6:22 PM IST

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव कहा जाएगा इसे जब शिवराज के चेहरे पर चुनाव नहीं था. शिवराज अपनी जिद से फिर भी चेहरा बने रहे. 'एकला चलो रे' के अंदाज में एक तरफ शिवराज मैदान में उतरे हुए थे. उस जज्बात की डोर थामे जो शिवराज की सियासत की यूएसपी कही जाती है. 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार बीजेपी का चेहरा रहे शिवराज दरकिनार कर दिए गए थे इस चुनाव में.

कौन होगा एमपी का सीएम: एंटी इनकम्बेंसी के डर में पार्टी ने उन्हें चेहरा नहीं बनाया, लेकिन शिवराज ये साबित करने में कामयाब रहे कि उन्हें हटाकर एमपी में बीजेपी की राजनीति को नहीं देखा जा सकता. लेकिन सवाल ये कि क्या चार बार के मुख्यमंत्री पर ही फिर दांव लगाएगी पार्टी. क्या एमपी में फिर भाजपा के बाद फिर शिवराज भी होगा.

क्या शिवराज के नाम पर भी दर्ज होगी ये जीत: बीजेपी एमपी में एंटी इनकम्बेंसी को इतना बड़ा खतरा मान रही थी कि पहली बार पार्टी ने एक दो नहीं ग्यारह चेहरे चुनाव में उतार दिए थे. लेकिन शिवराज इसके बावजूद अपने बूते ये बताने में जुटे थे कि शिवराज एमपी का आउटडेटेड फेस नहीं है. बैनर होर्डिंग से उतरने के बावजूद शिवराज ने अपना कनेक्ट बनाए रखा. उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़, महिला मतदाताओं से उनका जज्बाती जुड़ाव और चुनाव के एन पहले लाड़ली बहना योजना का दांव. वोटिंग के दौरान ही ये पकड़ में आ लगा था कि बहने बीजेपी की नैया पार लगाएंगी. तकरीबन हर इलाके में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था. ये वोट शिवराज के नाम पर ही था.

Vidhan Sabha Election results 2023 Live
जनता के बीच सीएम शिवराज

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शिवराज का प्रचार में भी रिकार्ड: 2023 के विधानसभा चुनाव में शिवराज अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने 165 चुनावी सभाएं की. एक दिन में तीन से चार सभाओं का अनुपात रहता था शिवराज का. आखिरी दिन तक शिवराज इसी रफ्तार से चुनावी सभाएं करते रहे और उनमें भी ऐसी इमोशनल अपील की, जैसे शिवराज अपनी करीब अठारह साल की एमपी में रही सत्ता का सिला मांग रहे हो. उन्होंने इस पूरे चुनाव में हर क्षेत्र में महिला वोटरों के साथ भाई बहन का इमोशनल कनेक्ट बनाया. बाकी जिस गंवई अंदाज में वो जनता के बीच जाते हैं, जैसे सुरक्षा घेरा तोड़कर मिलते हैं. शहरों में उनके भाषणों से भले ऊबी हो जनता, लेकिन गांव में तो उनका यही अंदाज असर कर जाता है.

भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव कहा जाएगा इसे जब शिवराज के चेहरे पर चुनाव नहीं था. शिवराज अपनी जिद से फिर भी चेहरा बने रहे. 'एकला चलो रे' के अंदाज में एक तरफ शिवराज मैदान में उतरे हुए थे. उस जज्बात की डोर थामे जो शिवराज की सियासत की यूएसपी कही जाती है. 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार बीजेपी का चेहरा रहे शिवराज दरकिनार कर दिए गए थे इस चुनाव में.

कौन होगा एमपी का सीएम: एंटी इनकम्बेंसी के डर में पार्टी ने उन्हें चेहरा नहीं बनाया, लेकिन शिवराज ये साबित करने में कामयाब रहे कि उन्हें हटाकर एमपी में बीजेपी की राजनीति को नहीं देखा जा सकता. लेकिन सवाल ये कि क्या चार बार के मुख्यमंत्री पर ही फिर दांव लगाएगी पार्टी. क्या एमपी में फिर भाजपा के बाद फिर शिवराज भी होगा.

क्या शिवराज के नाम पर भी दर्ज होगी ये जीत: बीजेपी एमपी में एंटी इनकम्बेंसी को इतना बड़ा खतरा मान रही थी कि पहली बार पार्टी ने एक दो नहीं ग्यारह चेहरे चुनाव में उतार दिए थे. लेकिन शिवराज इसके बावजूद अपने बूते ये बताने में जुटे थे कि शिवराज एमपी का आउटडेटेड फेस नहीं है. बैनर होर्डिंग से उतरने के बावजूद शिवराज ने अपना कनेक्ट बनाए रखा. उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़, महिला मतदाताओं से उनका जज्बाती जुड़ाव और चुनाव के एन पहले लाड़ली बहना योजना का दांव. वोटिंग के दौरान ही ये पकड़ में आ लगा था कि बहने बीजेपी की नैया पार लगाएंगी. तकरीबन हर इलाके में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था. ये वोट शिवराज के नाम पर ही था.

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Last Updated : Dec 3, 2023, 6:22 PM IST
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