भोपाल। मध्यप्रदेश की सवा करोड़ लाड़ली बहनों के खाते में एक साथ एक-एक हजार रुपए डालने के बाद अब राज्य सरकार को अन्य जरूरतों के लिए फिर से कर्ज लेना पड़ रहा है. शिवराज सरकार ये 4 हजार करोड़ का कर्जा 11 वर्ष के लिए लेने जा रही है. खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुंबई ऑफिस में 13 जून को ऑनलाइन प्रस्ताव वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त किए गए हैं. रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग साल्युशन ई-कुबेर सिस्टम के जरिए कर्ज के लिए वित्तीय प्रस्ताव प्राप्त किए गए.
ये है अब तक के कर्ज का ब्यौरा : इन प्रस्तावों में से जो वित्तीय संस्था राज्य सरकार को सबसे कम दरों पर और राज्य सरकार की शर्तों पर कर्ज देने को तैयार होगी, उससे कर्ज उठाया जाएगा. इस प्रकार 14 जून को राज्य सरकार 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी. शर्त के अनुसार 14 जून 2034 को सरकार यह कर्ज वापस लौटाएगी. बता दें कि राज्य सरकार के ऊपर पहले ही 3 लाख 31 हजार करोड़ 651 करोड़ रुपए का कर्ज है. इसमें पावर बांड और कंपनशेसन के 6 हजार 624 करोड़, बाजार ऋण 2 लाख 817 करोड़, वित्तीय संस्थाओं से कर्ज 14 हजार 620 करोड़, केन्द्र सरकार से लोन और एडवांस के रूप में 18 हजार 472 करोड़, राष्ट्रीय बचत योजना की विशेष सिक्योरिटी से प्राप्त 38 हजार 498 करोड़ रुपए का कर्ज शामिल है.
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शिवराज सरकार पर कांग्रेस हमलावर : वहीं, शिवराज सरकार द्वारा लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस का कहना है कि शिवराज सरकार प्रदेश को कंगाल करने पर तुली है. कर्ज की आधी राशि नेता व अफसरों के जेब में घोटालों के रूप में जा रही है. वहीं, अर्थशास्त्र के जानकारों का कहना है कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का प्रतिकूल असर है. अगर यही हालात रहे तो मध्यप्रदेश दिवालिया हो जाएगा. बता दें कि चुनावी साल होने के कारण सीएम शिवराज प्रदेश के कोष की राशि को दोनों हाथों से उड़ा रहे हैं.