भोपाल। चीता प्रोजेक्ट के तहत सितंबर माह में मध्यप्रदेश के कूनो में नामीबिया से चीते लाए गए. इस चीतों को भारत लाने की पूरी जिम्मेवारी केन्द्र सरकार और केन्द्रीय वन मंत्रालय की थी. लेकिन इसी दौरान मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के नेतृत्व में अध्ययन का निर्णय लिया गया. इस अध्ययन दल में वन मंत्री के अलावा प्रधान मुख्य वन संरक्षण एवं वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण वन्यप्राणी शुभरंजन सेन को रखा गया.
अध्ययन प्रवास के नाम पर 33 लाख खर्च : इसका उद्देश्य बताया गया कि दल दक्षिण अफ्रीका के कु्रगर राष्ट्रीय उद्यान और तनजानिया के सेरेंगिटी नेशनल पार्क में वन्यप्राणा संरक्षण से जुटे कामों को देखेगा, जो मध्यप्रदेश में लागू किए जा सके और प्रदेश में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाने अध्ययन किया जा सके. इस 10 दिवसीय अध्ययन प्रवास के लिए 15 लाख रुपए का अनुमानित व्यय निर्धारित किया गया. मंत्री और वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी इस दस दिन की यात्रा पर 15 लाख के स्थान पर करीबन 33 लाख रुपए खर्च कर डाले.
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दक्षिण अफ्रीका से नहीं आए चीते तो यात्रा क्यों : यात्रा के दौरान एक लाख से ज्यादा की राशि तो गेम लांज में ठहरने और दूसरे सुविधाओं में अधिकारियों ने खर्च किए. यात्रा के नाम पर हुई गड़बड़ी को लेकर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत की है. अजय दुबे ने अपनी शिकायत में कहा है कि वन मंत्री विजय शाह के नेतृत्व में हुई अध्ययन यात्रा की रिपोर्ट कहां है. अभी तक इसे प्रस्तुत ही नहीं किया गया. यह पूरी यात्रा एमपी टाइगर फाउंडेशन सोसायटी के पैसे पर की गई, जबकि इसके लिए वित्त विभाग से अनुमति ली जानी चाहिए थी. उन्होंने सवाल उठाया कि जब चीते नामीबिया से लाए गए हैं तो तनजानिया और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा क्यों की गई. जबकि इन दोनों जगह से चीते दिए जाने पर पहले ही इंकार किया जा चुका था.