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धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हादसों को लेकर बोले कमलनाथ- सरकार बनते ही लाएंगे कानून

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने धार्मिक आयोजनों पर लगातार हो रही घटनाओं को लेकर सेफ्टी ऑडिट और कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीम बनाने की बात कही है. इसके अलावा कमलनाथ ने सरकार आने पर ऐसे बड़े आयोजनों के लिए गाइडलाइन जारी करने और कानून बनाने की भी बात कही है.

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Published : Apr 5, 2023, 3:10 PM IST

भोपाल। प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के दौरान होने वाली घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने प्रदेश में सेफ्टी ऑडिट और कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीम के गठन की बात कही है. कमलनाथ ने कहा कि पिछले समय में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में कई घटनाएं घटी हैं, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जानें गई हैं. ताजा घटना इंदौर के बलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में घटी, जिसमें 36 श्रद्धालुओं की जानें गई हैं. कमलनाथ ने क्राउड मैनेजमेंट के लिए कानून बनाने की बात कही है.

क्राउड मैनेजमेंट के अभाव में गई जानें: पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि प्रदेश में कई घटनाएं क्राउड मैनेजमेंट के अभाव में घटी हैं. 13 अक्टूबर 2013 को रतनगढ़ माता मंदिर में मची भगदड़ में 117 श्रद्धालुओं की मौत हुइ थीं. ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर पुल पर भगदड़ में भी 20 लोगों की मौत हुई थी. हाल में रुद्राक्ष महोत्सव सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से अव्यवस्था पैदा हुई थी. कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की एमपी में सरकार बनने पर पूरे प्रदेश में धार्मिक, सामाजिक और लोक महत्व के आयोजन के पहले उनका सेफ़्टी ऑडिट अनिवार्य किया जाएगा, जिससे ऐसे आयोजनों को व्यापक रूप से पूरे उत्साह से मनाया जा सके.

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घटनाएं रोकने कानून बनाया जाएगा: कमलनाथ ने कहा कि एक लाख से अधिक लोगों के किसी आयोजन में शामिल होने के पूर्व उस स्थल का व्यापक रूप से सेफ़्टी और सिक्युरिटी ऑडिट कराया जाएगा, जिसके लिए बाकायदा एक कानून भी लाया जाएगा. इसमें आयोजनों के विभिन्न पहलुओं को समायोजित किया जाएगा. जैसे- आयोजन परिसर की क्षमता का मूल्यांकन, उसमें बिजली, पानी से संबंधित हादसों को रोकने के लिए पूर्व नियोजन, आयोजन के दौरान दिए जाने वाले भोज का भी फूड सेफ्टी असिसमेंट निर्धारित किया जाएगा. बड़े आयोजन के लिए आयोजन स्थल तक पहुंचने का एक पूर्व निर्धारित ट्रैफिक प्लान भी बनाया जाएगा. इसके लिए एक सक्षम प्राधिकारी का गठन किया जाएगा. सभी जिले में कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीम का गठन किया जाएगा. जिसके तहत आम नागरिकों को चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि आपदा के समय वे तत्काल स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बैठाकर मदद के लिए उपलब्ध हो सकें.

भोपाल। प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के दौरान होने वाली घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने प्रदेश में सेफ्टी ऑडिट और कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीम के गठन की बात कही है. कमलनाथ ने कहा कि पिछले समय में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में कई घटनाएं घटी हैं, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जानें गई हैं. ताजा घटना इंदौर के बलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में घटी, जिसमें 36 श्रद्धालुओं की जानें गई हैं. कमलनाथ ने क्राउड मैनेजमेंट के लिए कानून बनाने की बात कही है.

क्राउड मैनेजमेंट के अभाव में गई जानें: पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि प्रदेश में कई घटनाएं क्राउड मैनेजमेंट के अभाव में घटी हैं. 13 अक्टूबर 2013 को रतनगढ़ माता मंदिर में मची भगदड़ में 117 श्रद्धालुओं की मौत हुइ थीं. ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर पुल पर भगदड़ में भी 20 लोगों की मौत हुई थी. हाल में रुद्राक्ष महोत्सव सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से अव्यवस्था पैदा हुई थी. कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस की एमपी में सरकार बनने पर पूरे प्रदेश में धार्मिक, सामाजिक और लोक महत्व के आयोजन के पहले उनका सेफ़्टी ऑडिट अनिवार्य किया जाएगा, जिससे ऐसे आयोजनों को व्यापक रूप से पूरे उत्साह से मनाया जा सके.

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घटनाएं रोकने कानून बनाया जाएगा: कमलनाथ ने कहा कि एक लाख से अधिक लोगों के किसी आयोजन में शामिल होने के पूर्व उस स्थल का व्यापक रूप से सेफ़्टी और सिक्युरिटी ऑडिट कराया जाएगा, जिसके लिए बाकायदा एक कानून भी लाया जाएगा. इसमें आयोजनों के विभिन्न पहलुओं को समायोजित किया जाएगा. जैसे- आयोजन परिसर की क्षमता का मूल्यांकन, उसमें बिजली, पानी से संबंधित हादसों को रोकने के लिए पूर्व नियोजन, आयोजन के दौरान दिए जाने वाले भोज का भी फूड सेफ्टी असिसमेंट निर्धारित किया जाएगा. बड़े आयोजन के लिए आयोजन स्थल तक पहुंचने का एक पूर्व निर्धारित ट्रैफिक प्लान भी बनाया जाएगा. इसके लिए एक सक्षम प्राधिकारी का गठन किया जाएगा. सभी जिले में कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीम का गठन किया जाएगा. जिसके तहत आम नागरिकों को चिन्हित कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि आपदा के समय वे तत्काल स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बैठाकर मदद के लिए उपलब्ध हो सकें.

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