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नींद की बीमारी से CM की कुर्सी गंवाने वाले नेता से जुड़ा खुलासा, दीपक जोशी बोले-ये जनसंघ की साजिश, ताकि पिता छोड़ दें सीएम पद

कैलाश जोशी को सभी जानते होंगे, वे एमपी के पूर्व सीएम थे. उनसे जुड़ा ये किस्सा चर्चाओं में रहता है कि उन्हें अपनी नींद की बीमारी के कारण मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. जब हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है, जो उनके बेटे दीपक जोशी ने ईटीवी भारत से बात कर बताया. पढ़िए शेफाली पांडेय की यह रिपोर्ट

Kailash Joshi former CM
नींद जनसंघ और साजिश
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 20, 2023, 11:08 PM IST

भोपाल। नींद की बीमारी की वजह से सत्ता गंवाने वाले मुख्यमंत्री की तरह क्यों पेश किए गए नेता कैलाश जोशी. राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने इस मुद्दे पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है. ईटीवी भारत पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि जनसंघ नहीं चाहता था कि कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बनें. जनसंघ ने एक तरफ पिता पर दबाव बनाया और दूसरी तरफ उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनने का ये फैला दिया कि जोशी जी को तो नींद की बीमारी है.

जनसंघ का दबाव था नींद की बीमारी नहीं: कांग्रेस नेता दीपक जोशी ने ईटीवी भारत से कहा कि "मैं परिवार का सदस्य होने के नाते सच बता सकता हूं. दसवीं क्लास में पढ़ता था. इतनी समझ मेरे में थी. मैं इसे बहुत गहनता से समझता था. मेरे पिताजी को सोने की बीमारी नहीं थी. सोने का मूल कारण जनसंघ घटक का दबाव था. उसे टालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन टाल नहीं पाए और उन्होंने इस्तीफा दिया. इस्तीफा देने के बाद ही बिना विभाग के मंत्री बने. इस्तीफा देने के बाद बीमारी बिना ईलाज कराए अपने आप ठीक हो गई. असल में जनसंघ ने उन पर लगातार इस्तीफे का दबाव बनाया था. एक धड़ा कहता था कि सीएम के पद पर रहो, दूसरा कहता था कि मत करो, उससे बचने के लिए वे अक्सर सोने का बहाना कर लेते थे. जिसे लोगों ने नींद की बीमारी कह दिया.

जनसंघ नहीं चाहता था जोशी जी सीएम बने: दीपक जोशी बताते हैं जनसंघ नहीं चाहता था कि कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बनें. ऐसे में उनसे कहा गया था कि आप चुनाव में आए नहीं क्योंकि आपका चुनाव हो सकता है. इसी दबाव की वजह से कैलाश जोशी हाटपिपल्या से आ नहीं रहे थे. हम गांव में रहते थे. तब जनता पार्टी के दो युवा नेता रघु ठाकुर, शरद यादव मना कर जोशी को भोपाल ले गए. जोशी जी सीएम बन गए.

इसके बाद जनसंघ घटक चाह रहा था कि कैलाश जोशी इस्तीफा दे दें. हमने देखा था कि जब कोई अनिर्णय की स्थिति हो जाती थी. तो वे खुद को कमरे में बंद कर लेते थे. सोने का बहाना करके चले जाते थे. दो-दो तीन-तीन दिन तक सो जाते थे. जैसे कोई आता था, जनसंघ वाला तो वे सोने का बहाना करके चले जाते थे. जब जनसंघ वालों ने ये बात फैलाई की जोशी जी सो रहे हैं, जोशी जी सो रहे हैं. तब पवन दीवान एक संत राजनेता थे, जो बाद में कांग्रेस में चले गए थे, वो लगातार ये बात करते थे. जोशी जी को बने रहने दो उनकी तबीयत खराब नहीं है. लेकिन जनसंघ लगातार कहता था, इनको हटाओ. चूंकि उस समय दो बड़ी अथॉरिटी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे और दूसरे जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर दोनों के लगातार फोन आते. अगर आप ठीक हो आपकी तबीयत खराब नहीं है तो हम आपको टाइम देते हैं, आप टाइम लो रिजाइन मत करो. अपना काम करो, लेकिन जनसंघ घटक की जिद के कारण उन्होंने इस चीज को अपने आप से जोड़ लिया था. लगातार एक बहाने के माध्यम से सो रहे हैं, सो रहे हैं. एक बात फैला दी बाद में लोगों ने कह दिया कि कैलाश जोशी को नींद की बीमारी थी. आज वरिष्ठ चिकित्सक एनपी मिश्रा साहब नहीं है, वो जीवित होते तो डॉक्टर होने के नाते वो इस बात को बता सकते थे.

यहां पढ़ें...

1977 में सीएम बने थे जोशी: एमपी में बीजेपी की राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी. जिन्हें करीब 200 दिन की सत्ता में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तीफे की वजह दलबदल का झटका नहीं...नींद बताई गई थी.हांलाकि उसके बाद वे मंत्री भी रहे और बहुत बाद में उन्होंने प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाली. 2003 में पार्टी में उनके नेतृत्व में ही एमपी में बीजेपी की सत्ता आई. 2004 से लेकर 2014 तक जोशी भोपाल के सांसद भी रहे...लेकिन नींद का जिक्र फिर कभी नहीं आया.

भोपाल। नींद की बीमारी की वजह से सत्ता गंवाने वाले मुख्यमंत्री की तरह क्यों पेश किए गए नेता कैलाश जोशी. राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने इस मुद्दे पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है. ईटीवी भारत पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि जनसंघ नहीं चाहता था कि कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बनें. जनसंघ ने एक तरफ पिता पर दबाव बनाया और दूसरी तरफ उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनने का ये फैला दिया कि जोशी जी को तो नींद की बीमारी है.

जनसंघ का दबाव था नींद की बीमारी नहीं: कांग्रेस नेता दीपक जोशी ने ईटीवी भारत से कहा कि "मैं परिवार का सदस्य होने के नाते सच बता सकता हूं. दसवीं क्लास में पढ़ता था. इतनी समझ मेरे में थी. मैं इसे बहुत गहनता से समझता था. मेरे पिताजी को सोने की बीमारी नहीं थी. सोने का मूल कारण जनसंघ घटक का दबाव था. उसे टालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन टाल नहीं पाए और उन्होंने इस्तीफा दिया. इस्तीफा देने के बाद ही बिना विभाग के मंत्री बने. इस्तीफा देने के बाद बीमारी बिना ईलाज कराए अपने आप ठीक हो गई. असल में जनसंघ ने उन पर लगातार इस्तीफे का दबाव बनाया था. एक धड़ा कहता था कि सीएम के पद पर रहो, दूसरा कहता था कि मत करो, उससे बचने के लिए वे अक्सर सोने का बहाना कर लेते थे. जिसे लोगों ने नींद की बीमारी कह दिया.

जनसंघ नहीं चाहता था जोशी जी सीएम बने: दीपक जोशी बताते हैं जनसंघ नहीं चाहता था कि कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बनें. ऐसे में उनसे कहा गया था कि आप चुनाव में आए नहीं क्योंकि आपका चुनाव हो सकता है. इसी दबाव की वजह से कैलाश जोशी हाटपिपल्या से आ नहीं रहे थे. हम गांव में रहते थे. तब जनता पार्टी के दो युवा नेता रघु ठाकुर, शरद यादव मना कर जोशी को भोपाल ले गए. जोशी जी सीएम बन गए.

इसके बाद जनसंघ घटक चाह रहा था कि कैलाश जोशी इस्तीफा दे दें. हमने देखा था कि जब कोई अनिर्णय की स्थिति हो जाती थी. तो वे खुद को कमरे में बंद कर लेते थे. सोने का बहाना करके चले जाते थे. दो-दो तीन-तीन दिन तक सो जाते थे. जैसे कोई आता था, जनसंघ वाला तो वे सोने का बहाना करके चले जाते थे. जब जनसंघ वालों ने ये बात फैलाई की जोशी जी सो रहे हैं, जोशी जी सो रहे हैं. तब पवन दीवान एक संत राजनेता थे, जो बाद में कांग्रेस में चले गए थे, वो लगातार ये बात करते थे. जोशी जी को बने रहने दो उनकी तबीयत खराब नहीं है. लेकिन जनसंघ लगातार कहता था, इनको हटाओ. चूंकि उस समय दो बड़ी अथॉरिटी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे और दूसरे जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर दोनों के लगातार फोन आते. अगर आप ठीक हो आपकी तबीयत खराब नहीं है तो हम आपको टाइम देते हैं, आप टाइम लो रिजाइन मत करो. अपना काम करो, लेकिन जनसंघ घटक की जिद के कारण उन्होंने इस चीज को अपने आप से जोड़ लिया था. लगातार एक बहाने के माध्यम से सो रहे हैं, सो रहे हैं. एक बात फैला दी बाद में लोगों ने कह दिया कि कैलाश जोशी को नींद की बीमारी थी. आज वरिष्ठ चिकित्सक एनपी मिश्रा साहब नहीं है, वो जीवित होते तो डॉक्टर होने के नाते वो इस बात को बता सकते थे.

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1977 में सीएम बने थे जोशी: एमपी में बीजेपी की राजनीति के संत कहे जाने वाले कैलाश जोशी. जिन्हें करीब 200 दिन की सत्ता में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इस्तीफे की वजह दलबदल का झटका नहीं...नींद बताई गई थी.हांलाकि उसके बाद वे मंत्री भी रहे और बहुत बाद में उन्होंने प्रदेश बीजेपी की कमान भी संभाली. 2003 में पार्टी में उनके नेतृत्व में ही एमपी में बीजेपी की सत्ता आई. 2004 से लेकर 2014 तक जोशी भोपाल के सांसद भी रहे...लेकिन नींद का जिक्र फिर कभी नहीं आया.

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