भोपाल। सियासत में कुछ तस्वीरें हैरान भी करती हैं, राजनीति की सुखद तस्वीर भी पेश करती हैं. आज दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में सेंट्रल हॉल में ऐसी ही तस्वीर दिखाई दी. तस्वीर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठे दिखाई दिए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, हालाकि राजनीति में साथ बैठने के मायने साथ हो जाना कभी नहीं होता. लेकिन मतभेद मन भेद तक भी नहीं पहुंचते, ये तस्वीर इसकी तस्दीक है. कांग्रेस में गांधी परिवार में जिनकी डायरेक्ट एंट्री रही है, उनमें सिंधिया का नाम सबसे पहले आता है. हांलाकि 2020 में मध्यप्रदेश में 28 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर सिंधिया ने सबसे बड़ा झटका पार्टी को दिया था.
ज्योतिरादित्य सिंधिया इस समय भी एमपी में चल रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जन आर्शीवाद यात्रा के साथ पार्टी का चेहरा बने हुए हैं. हांलाकि नाम के साथ गांधी परिवार पर सिंधिया कम हमलावर हुए हैं.
राजनीति की एक तस्वीर ये भी: असल में ये तस्वीर सेंट्रल हाल में जो दोनों सदनों का ज्वाइंट सेशन रखा गया था, उस दौरान की है. नई संसद में शुरुआत से पहले ये सत्ररखा गया था, राजनीति से इतर ही तस्वीरें बनी, उसी दौरान की है ये तस्वीर भी. तस्वीर में सोनिया गांधी के बगलगीर दिखाई दे रहे हैं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, लेकिन बताया जाता है कि अगल बगल बैठे होने के बावजूद दोनों के बीच बातचीत नहीं हुई. एक शब्द का भी आदान प्रदान नहीं हुआ, सत्र के दौरान पीएम मोदी ने विपक्षी सांसदों से मुलाकात की.
हमने महाराज बनाके रखा वहां भाईसाहब हो गए सिंधिया: सिंधिया मध्यप्रदेश जैसे राज्य समेत कांग्रेस की सेंट्र्ल लीडरशिप के लिए भी बड़ा जख्म हैं. मध्यप्रदेश में करीब 15 साल बाद सत्ता में कांग्रेस ने वापिसी की थी, लेकिन 15 महीने भी सरकार नहीं टिक पाई और उसकी बड़ी वजह थी सिंधिया की 28 विधायकों समेत बगावत. सिधिया, गांधी परिवार के बहुत करीबी बताए जाते रहे हैं, लिहाजा कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका था. 2023 के विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस ये मुद्दा बना रही है कि कांग्रेस मे रहते सिंधिया को पार्टी ने महाराज बाकर रखा था, लेकिन बीजेपी जाकर वो भाईसाहब बन गए. हांलाकि जन आर्शीवाद यात्रा के चेहरों में सिंधिया को भी जगह मिली है.