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MP Election 2023: 80 सीटों पर अकेले लड़ेगी चुनाव जयस, राजधानी में बुलाई सामाजिक संगठनों की बैठक

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Published : Dec 11, 2022, 7:07 AM IST

मध्यप्रदेश 2023 चुनाव (MP Election 2023) में जयस, बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है, दरअसल पार्टी ने घोषणा की है कि वह अकेले 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. फिलहाल इसी के चलते राजधानी भोपाल में सामाजिक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, इस बैठक में कई अहम फैसले हो सकते हैं.

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भोपाल। जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) के लिए मैदान में ताल ठोक दिया है, पार्टी प्रदेश के अलग-अलग समाजों और संगठनों का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है. एससी अनुसूचित जाति सामाजिक संगठन, धनगर समाज, लोधी और यादव समाज का समर्थन पार्टी को मिल चुका है, ओबीसी महासभा से चुनाव में साथ आने के लिए चर्चा चल रही है. जयस मिशन युवा नेतृत्व की थीम पर चुनाव लड़ेगी, नेताओं ने दावा किया कि ज्यादातर टिकट पढ़े-लिखे युवाओं को दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रविराज बघेल ने कहा कांग्रेस आदिवासियों और गरीबों के मुद्दों को लेकर प्रमुखता से मुखर नहीं रही.

इतनी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, यही वजह है कि तमाम राजनीतिक दलों ने क्षेत्रीय, जातीय, सियासी समीकरण साधना शुरू कर दिया है. इस सबके बीच आदिवासियों के बड़े संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस ने कांग्रेस को झटका दे दिया है. जयस अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी. उसने प्रदेश की 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकिट से विधायक चुनकर आए जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा भी इस बार जयस के निशान पर ही चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और इसके अलावा कई सीटों पर आदिवासी वोट अच्छा खासा दखल रखता है.

जयस को मिला कई संगठनों का साथ: दरअसल जयस अभी पशोपेश में है, जानकारों की मानें तो फिलहाल आदिवासियों के बीच जयस अपनी पैठ बना रहा है, वो 2023 के पहले ये टटोलना चाहता है कि वो किसके साथ जाए. फिलहाल उसने कांग्रेस से नाता तोड दिया है, लेकिन साथ ही वो बीजेपी के साथ अब संभावना भी तलाशने लगा है.

MP Assembly Election 2023 कांग्रेस को अधिक मिलेगी आदिवासी वोट की चोट, जाने क्या है जयस का प्लान

2018 में सुर्खियों में आए हीरालाल अलावा: जयस नेता हीरालाल अलावा 2018 में अपने संगठन को छोड़कर खुद कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गए थे, पेशे से चिकित्सक अलावा पूर्व में दिल्ली एम्स में सहायक प्रोफेसर रह चुके हैं. वह नौकरी छोड़कर सियासत में उतरे, 2013 में डॉक्टर हीरालाल अलावा ने जयस का गठन किया था और वे इसे दूसरे समाजों के साथ आदिवासी युवाओं को मैदान में उतारेंगे.

भोपाल। जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) के लिए मैदान में ताल ठोक दिया है, पार्टी प्रदेश के अलग-अलग समाजों और संगठनों का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है. एससी अनुसूचित जाति सामाजिक संगठन, धनगर समाज, लोधी और यादव समाज का समर्थन पार्टी को मिल चुका है, ओबीसी महासभा से चुनाव में साथ आने के लिए चर्चा चल रही है. जयस मिशन युवा नेतृत्व की थीम पर चुनाव लड़ेगी, नेताओं ने दावा किया कि ज्यादातर टिकट पढ़े-लिखे युवाओं को दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रविराज बघेल ने कहा कांग्रेस आदिवासियों और गरीबों के मुद्दों को लेकर प्रमुखता से मुखर नहीं रही.

इतनी सीटों पर लड़ेंगे चुनाव: एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, यही वजह है कि तमाम राजनीतिक दलों ने क्षेत्रीय, जातीय, सियासी समीकरण साधना शुरू कर दिया है. इस सबके बीच आदिवासियों के बड़े संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन यानि जयस ने कांग्रेस को झटका दे दिया है. जयस अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी. उसने प्रदेश की 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकिट से विधायक चुनकर आए जयस के संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा भी इस बार जयस के निशान पर ही चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और इसके अलावा कई सीटों पर आदिवासी वोट अच्छा खासा दखल रखता है.

जयस को मिला कई संगठनों का साथ: दरअसल जयस अभी पशोपेश में है, जानकारों की मानें तो फिलहाल आदिवासियों के बीच जयस अपनी पैठ बना रहा है, वो 2023 के पहले ये टटोलना चाहता है कि वो किसके साथ जाए. फिलहाल उसने कांग्रेस से नाता तोड दिया है, लेकिन साथ ही वो बीजेपी के साथ अब संभावना भी तलाशने लगा है.

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2018 में सुर्खियों में आए हीरालाल अलावा: जयस नेता हीरालाल अलावा 2018 में अपने संगठन को छोड़कर खुद कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गए थे, पेशे से चिकित्सक अलावा पूर्व में दिल्ली एम्स में सहायक प्रोफेसर रह चुके हैं. वह नौकरी छोड़कर सियासत में उतरे, 2013 में डॉक्टर हीरालाल अलावा ने जयस का गठन किया था और वे इसे दूसरे समाजों के साथ आदिवासी युवाओं को मैदान में उतारेंगे.

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