भोपाल। दमोह उपचुनाव को लेकर कांग्रेस पहले ही अजय टंडन के रूप में अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, वहीं अब बीजेपी ने भी आधिकारिक घोषणा करते हुए राहुल लोधी को प्रत्याशी घोषित किया है. बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति ने इसका एलान किया है. दमोह सीट से राहुल लोधी कांग्रेस से विधायक थे, राहुल ने कांग्रेस ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, जिसके बाद यह सीट खाली हुई है. जिस पर 17 अप्रैल को उपचुनाव है और दो मई को परिणाम आएंगे.
मध्यप्रदेश में लगातार हो रहे उपचुनावों के चलते बीजेपी के मूल नेताओं को अपने राजनीतिक भविष्य पर संकट नजर आने लगा है. हाल ही हुए उपचुनावों के नतीजों से कई बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैचेनी बढ़ा दी है. आज हम बात कर रहे हैं दमोह में होने जा रहे उपचुनाव की. दरअसल दमोह के उपचुनाव का दंगल पार्टी का अंदर और चुनावी मैदान में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच रहेगा.
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दमोह में होगा अपनों और परायों के बीच चुनावी दंगल
दमोह के विधायक राहुल लोधी के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद अब उपचुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में दमोह से लंबे समय से विधायक रहे बीजेपी सरकार के पूर्व मंत्री जयंत मलैया राहुल लोधी के बीजेपी में आने के बाद से खफा हैं और अब उपचुनाव में पार्टी की तरफ से राहुल ही बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार होंगे. यही कारण है कि मलैया की नाराजगी सामने आ रही है, क्योंकि मलैया अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया को विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में थे. ऐसे में अब जयंत मलैया को अपने राजनैतिक भविष्य पर संकट नजर आ रहा है. उनकी नाराजगी इस हद तक देखी जा चुकी है कि उन्होंने कांग्रेस से ऑफर तक कि बात सार्वजनिक की थी. हालांकि बाद में वे बीजेपी के सिपाही होने का दावा करने लगे थे.
पिता का पुत्र मोह
दरअसल मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से नेता पुत्रों को चुनावी मैदान में उतारने को लेकर भरसक कोशिश की जा रही है, जिसमे कुछ नेता सफल भी हुए तो कुछ बुरी तरफ फेल नजर आए. यही पुत्र मोह अब जयंत मलैया को सताने लगा है. यही कारण है कि मलैया अपने बेटे के जरिये पार्टी पर दबाव बनाकर संगठन से राजनीतिक भविष्य को लेकर ठोस आश्वासन चाहते हैं, हालांकि अभी तक पार्टी ने जिन नेताओं से वादे किए थे, वो पूरे नहीं हुए हैं.
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सत्ता का सुख लेने के इंतजार में है कई नेता
मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव की हार बीजेपी नेताओं के लिए अभिशाप सी रही. चुनाव की हार के बाद कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं के कारण उन्हें सत्ता के सुख से दूर होना पड़ा. जिसमें कई बड़े नेता शामिल रहे. जो लंबे समय से सरकार में मंत्री भी रहे है. जैसे रामपाल सिंह, संजय पाठक, गौरीशंकर बिसेन, केदार शुक्ला,राजेन्द्र शुक्ल, कैलाश विजयवर्गीय के सबसे खास माने जाने वाले रमेश मेंदोला, इसके साथ ही कई ऐसे पूर्व विधायक ,मंत्री भी हैं, जो चुनाव हार चुके हैं और अब सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर आस लगाए बैठे हैं. जिनमें रुस्तम सिंह ,दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य, गौरीशंकर शेजवार, उमाशंकर गुप्ता, के अलावा अन्य कई नेता शामिल हैं.
दरअसल 2018 विधानसभा का चुनाव मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए अभिशाप की तरह रहा है, चुनाव हारने के बाद 15 महीने बाद कमलनाथ सरकार गिरी और कांग्रेस से बीजेपी में शामिल विधायकों के कारण कई नेताओं के राजनीतिक कैरियर पर संकट पैदा हो गया है. यही कारण है इन नाराज नेताओं के अंदर जल रही आग की धधक पार्टी के अंदर भी महसूस होने लगी है. अब देखना यही होगा की बीजेपी दमोह के दंगल में पार्टी अपनों और कांग्रेस से कैसे जीत पाती है.