भोपाल। प्रदेश में हुए ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में आरोपी बनाए गए मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी (MCC) पर आईटी के द्वारा छापामार कार्रवाई शुरू कर दी गई है. जिसके तहत 21 जनवरी को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के द्वारा हैदराबाद से मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चेयरमैन श्रीनिवास राजू और कंपनी के सहयोगी आदित्य त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद मंगलवार को हैदराबाद के 12 ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की गई, तो वहीं भोपाल के भी तीन ठिकानों पर इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग के द्वारा छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. जानकारी के अनुसार इस छापामार कार्रवाई के दौरान टीम को करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. जिसकी जांच की जा रही है.
हैदराबाद से किया था दोनों आरोपियों को गिरफ्तार
मध्य प्रदेश में हुए ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चेयरमैन श्रीनिवास राजू और उसके साथी आदित्य त्रिपाठी को पकड़ने के लगातार प्रयास किए जा रहे थे. जिसके तहत 21 जनवरी को हैदराबाद में ईडी के द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद ही अब इनके ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की जा रही है, ताकि मामले से जुड़े हुए सभी तरह के दस्तावेज जब्त किए जा सकें. साथ ही टैक्स चोरी से जुड़े हुए दस्तावेजों को जब्त कर इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
मनी-लॉन्ड्रिंग का है कंपनी पर आरोप
बता दें कि मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी पर मध्य प्रदेश गवर्नमेंट के शासकीय ठेकों में ऑनलाइन हेराफेरी कर कई कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है. साथ ही इस कंपनी पर मनी-लॉन्ड्रिंग किए जाने का भी आरोप है. जिसके तहत इसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
क्या है ई-टेंडर घोटाला ?
ई टेंडर घोटाले में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के दौरान 9 टेंडर को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोप लगे थे कि मध्य प्रदेश के अलग-अलग सरकारी विभागों से जारी हुए ई टेंडरों में टेंपरिंग की गई है और पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है. जिसके बाद 9 टेंडरों में गड़बड़ियों को लेकर ईओडब्ल्यू ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी कार्रवाई की. कई दस्तावेज बरामद किए और इस कंपनी के तीन डायरेक्टर को गिरफ्तार किया गया.
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और 3 हज़ार करोड़ के ई टेंडर घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई. इतना ही नहीं जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, वह सभी आरोपी एक-एक कर जमानत पर रिहा भी हो गए. माना जा रहा था कि इतने बड़े घोटाले की जांच अब खत्म सी हो गई है लेकिन प्रवर्तन निदेशालय के छापों और अब आईटी की रेड के बाद एक बार फिर ईओडब्ल्यू एक्शन मोड में आ सकती है और इस मामले को लेकर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर सकती.
पूर्व मुख्य सचिव से भी हो चुकी है पूछताछ
इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव रहे एम. गोपाल रेड्डी से भी पूछताछ हो चुकी है. इसके अलावा ईडी की टीम के द्वारा 7 जनवरी को एम. गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापामार कार्रवाई भी की गई. जिसमें दस्तावेजों को लेकर भी पूछताछ हुई है. हालांकि इस छापामार कार्रवाई के दौरान किस तरह के दस्तावेज जब्त किए गए हैं, इसका खुलासा फिलहाल ईडी के द्वारा अभी नहीं किया गया है.
बता दें कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान एम. गोपाल रेड्डी को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया था, हालांकि सत्ता परिवर्तन के साथ ही शिवराज सरकार ने उन्हें इस पद से हटा दिया था. इसके अलावा ईडी की टीम ने ई-टेंडर का सॉफ्टवेयर डेवलप करने वाली बेंगलुरु की अंट्रेंस सॉफ्टवेयर कंपनी के कार्यालय पर भी कार्रवाई की और यहां से भी कुछ जरूरी दस्तावेज एवं अन्य जानकारियां ली गई है. हैदराबाद में कार्रवाई के साथ ही ईडी की टीम ने भोपाल में मेंटाना कंस्ट्रक्शंस कंपनी के अलावा ऑस्मो आईटी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और अरुण चतुर्वेदी के ठिकानों पर भी सर्चिंग की गई थी. इस मामले में वर्ष 2019 के अप्रैल माह में ईओडब्ल्यू के द्वारा मामला दर्ज किया गया था, इसी आधार पर ईडी ने मनी-लॉन्ड्रिंग का प्रकरण भी दर्ज किया था, जिसके तहत अब कार्रवाई की जा रही है.