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भोपाल को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल, खोले गए बैग सिलाई सेंटर

प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए पूरे देश सहित राजधानी भोपाल में भी 'से नो टू प्लास्टिक' को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में बैग सिलाई सेंटर खोले गए है. जहां पर लोग अपने पुराने कपड़े दे सकते हैं ताकि उनके बैग बनाए जा सके, इसके साथ ही यहां से बने बनाए कपड़े के बैग भी खरीद सकते हैं.

Initiative to make Bhopal plastic-free, bags sewing center opened
राजधानी को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल
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Published : Jan 5, 2020, 8:31 AM IST

Updated : Jan 5, 2020, 10:00 AM IST

भोपाल। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए पूरे देश सहित राजधानी भोपाल में भी 'से नो टू प्लास्टिक' को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. देश के कई शहरों में अलग-अलग तरीकों से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह कम से कम प्लास्टिक से बनी चीजों और पॉलीथिन का इस्तेमाल करें. प्लास्टिक की जगह इसके अन्य विकल्पों की तरफ ध्यान देकर ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिससे कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने कई भाषणों में से नो टू प्लास्टिक को लेकर बात कर चुके हैं.

'से नो टू प्लास्टिक' के तहत खोले गए बैग सिलाई सेंटर

खोले बैग सिलाई सेंटर
इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में बैग सिलाई सेंटर खोले गए है. जहां पर लोग अपने पुराने कपड़े दे सकते हैं ताकि उनके बैग बनाए जा सके, इसके साथ ही यहां से बने बनाए कपड़े के बैग भी खरीद सकते हैं. नगर निगम भोपाल के अभियान 'कैरी योर ओन बोतल कैरी योर ओन बैग' के तहत यह सिलाई सेंटर खोले गए थे, ताकि शहर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जा सके. इसके साथ ही सिलाई सेंटर के खुलने के कारण कई महिलाओं को रोजगार भी मिला.

प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल

'से नो टू प्लास्टिक'
शहर के बोट क्लब स्थित सिलाई सेंटर की राबिया ने बताया कि यहां पर आने वाले लोग इस पहल की सराहना करते हैं. साथ ही अब स्थिति पहले से बेहतर नजर आ रही है. हालांकि कुछ लोग पुराने कपड़ों से बने बैग लेने में हिचकिचाते है पर जिन्हें बैग लेना नहीं होता है वो यहां प्लास्टिक जमा कर जाते हैं और इसकी तारीफ भी करते हैं. वहीं यहां की साफ-सफाई की बात करें, तो सिलाई सेंटर खुलने के कारण बोट क्लब के आसपास प्लास्टिक का कचरा भी ज्यादा नजर नहीं आता, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र को नो प्लास्टिक जोन बनाया गया है.

5 रुपए बैग की कीमत
वहीं बैगों की बिक्री की बात करें तो 8 से 10 बैग की बिक्री रोजाना होती है.इन बैगों की कीमत पांच रुपए बैग की कीमत रखी गई है.साथ ही जो लोग यहां पुराने कपड़े दे जाते है उन्हें यह निशुल्क दिया जाता है.बता दें कि सितंबर के महीने में यह सिलाई सेंटर खोला गया था,ताकि लोग पॉलीथिन का उपयोग न करें. भोपाल को प्लास्टिक मुक्त करने इसके साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में भोपाल को आगे लाने के लिए यह सारे प्रयास नगर निगम भोपाल की तरफ से किए जा रहे हैं.

भोपाल। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए पूरे देश सहित राजधानी भोपाल में भी 'से नो टू प्लास्टिक' को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. देश के कई शहरों में अलग-अलग तरीकों से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह कम से कम प्लास्टिक से बनी चीजों और पॉलीथिन का इस्तेमाल करें. प्लास्टिक की जगह इसके अन्य विकल्पों की तरफ ध्यान देकर ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिससे कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने कई भाषणों में से नो टू प्लास्टिक को लेकर बात कर चुके हैं.

'से नो टू प्लास्टिक' के तहत खोले गए बैग सिलाई सेंटर

खोले बैग सिलाई सेंटर
इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में बैग सिलाई सेंटर खोले गए है. जहां पर लोग अपने पुराने कपड़े दे सकते हैं ताकि उनके बैग बनाए जा सके, इसके साथ ही यहां से बने बनाए कपड़े के बैग भी खरीद सकते हैं. नगर निगम भोपाल के अभियान 'कैरी योर ओन बोतल कैरी योर ओन बैग' के तहत यह सिलाई सेंटर खोले गए थे, ताकि शहर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जा सके. इसके साथ ही सिलाई सेंटर के खुलने के कारण कई महिलाओं को रोजगार भी मिला.

प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल

'से नो टू प्लास्टिक'
शहर के बोट क्लब स्थित सिलाई सेंटर की राबिया ने बताया कि यहां पर आने वाले लोग इस पहल की सराहना करते हैं. साथ ही अब स्थिति पहले से बेहतर नजर आ रही है. हालांकि कुछ लोग पुराने कपड़ों से बने बैग लेने में हिचकिचाते है पर जिन्हें बैग लेना नहीं होता है वो यहां प्लास्टिक जमा कर जाते हैं और इसकी तारीफ भी करते हैं. वहीं यहां की साफ-सफाई की बात करें, तो सिलाई सेंटर खुलने के कारण बोट क्लब के आसपास प्लास्टिक का कचरा भी ज्यादा नजर नहीं आता, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र को नो प्लास्टिक जोन बनाया गया है.

5 रुपए बैग की कीमत
वहीं बैगों की बिक्री की बात करें तो 8 से 10 बैग की बिक्री रोजाना होती है.इन बैगों की कीमत पांच रुपए बैग की कीमत रखी गई है.साथ ही जो लोग यहां पुराने कपड़े दे जाते है उन्हें यह निशुल्क दिया जाता है.बता दें कि सितंबर के महीने में यह सिलाई सेंटर खोला गया था,ताकि लोग पॉलीथिन का उपयोग न करें. भोपाल को प्लास्टिक मुक्त करने इसके साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में भोपाल को आगे लाने के लिए यह सारे प्रयास नगर निगम भोपाल की तरफ से किए जा रहे हैं.

Intro:भोपाल- प्लास्टिक के इस्तेमाल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की तरफ अब दुनिया का ध्यान इस ओर आया है। प्लास्टिक अब पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन कर सामने आई है।
प्लास्टिक से न केवल जल प्रदूषण बल्कि मृदा प्रदूषण भी होता है और यह सालों तक वातावरण में मौजूद रहती है।

इसी खतरे को देखते हुए भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए पूरे देश सहित राजधानी भोपाल में भी "से नो टू प्लास्टिक" को लेकर अभियान चलाया जा रहा है।
देश के कई शहरों में अलग-अलग तरीकों से अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वह कम से कम प्लास्टिक से बनी चीजों और पॉलीथिन का इस्तेमाल करें। प्लास्टिक की जगह इसके अन्य विकल्पों की तरफ ध्यान देकर ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें जिससे कि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने कई भाषणों में से नो टू प्लास्टिक को लेकर बात कर चुके है।
इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में बैग सिलाई सेंटर खोले गए है जहां पर लोग अपने पुराने कपड़े दे सकते हैं ताकि उनके बैग बनाए जा सके,इसके साथ ही यहां से बने बनाए कपड़े के बैग भी खरीद सकते हैं।


Body:नगर निगम भोपाल के अभियान 'कैरी योर ओन बोतल कैरी योर ओन बैग' के तहत यह सिलाई सेंटर खोले गए थे ताकि शहर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जा सके। इसके साथ ही सिलाई सेंटर के खुलने के कारण कई महिलाओं को रोजगार भी मिला।

शहर के बोट क्लब स्थित सिलाई सेंटर की राबिया ने बताया कि यहां पर आने वाले लोग इस पहल की सराहना करते हैं,साथ ही अब स्थिति पहले से बेहतर नजर आ रही है।
हालांकि कुछ लोग पुराने कपड़ों से बने बैग लेने में हिचकिचाते
है पर जिन्हें बैग लेना नहीं होता है वो यहां प्लास्टिक जमा कर जाते हैं और इसकी तारीफ भी करते हैं।
इसके साथ ही यदि कोई नया कपड़ा ला कर हमें देता है तो हम उसके लिए भी बैग सिल कर देते है।

वहीं यहां की साफ-सफाई की बात करें तो सिलाई सेंटर खुलने के कारण बोट क्लब के आसपास प्लास्टिक का कचरा भी ज्यादा नजर नहीं आता, क्योंकि इस पूरे क्षेत्र को नो प्लास्टिक जोन बनाया गया है।


Conclusion:वहीं बैगों की बिक्री की बात करें तो 8 से 10 बैग की बिक्री रोजाना होती है। इन बैगों की कीमत 5₹/बैग है और जो लोग यहां पुराने कपड़े दे जाते है उन्हें यह निशुल्क दिया जाता है।
बता दें कि सितंबर के महीने में यह सिलाई सेंटर खोला गया था,ताकि लोग पॉलीथिन का उपयोग न करें।
इसके अलावा यहां आने वाले कपड़े जोकि बैग बनाने में इस्तेमाल नहीं किए जाते उन्हें गरीबों में बांट दिया जाता है।
चूंकि बोट क्लब राजधानी भोपाल का सबसे मशहूर पर्यटक स्थल है इसलिए यहां लोगों की आवाजाही के कारण कचरा भी बहुत होता था जिसे देखते हुए नगर निगम ने इस पहल की शुरुआत यहां से की ताकि न केवल राजधानी वासी बल्कि बाहर से आने वाले लोग भी प्लास्टिक का उपयोग कम करें और बैग से बनी थैलियों को अपनाएं।

राजधानी भोपाल को प्लास्टिक मुक्त करने इसके साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में भोपाल को आगे लाने के लिए यह सारे प्रयास नगर निगम भोपाल की तरफ से किए जा रहे हैं।

Last Updated : Jan 5, 2020, 10:00 AM IST
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