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MP बोर्ड का परीक्षा परिणाम बिगड़ा, तो शिक्षकों पर गिरेगी गाज - Public education directorate

कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल माह में आयोजित की जायेगी. वहीं विभाग के एक आदेश के बाद अब शिक्षक और प्राचार्यों के सामने संकट आ गया है. जारी आदेश के मुताबिक अगर एमपी बोर्ड की कक्षाओं में छात्रों का परीक्षा परिणाम कम आता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा.

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रुक सकता है शिक्षकों का इंक्रीमेंट
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Published : Jan 19, 2021, 4:55 PM IST

भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल माह में आयोजित की जाएंगी. स्कूलों में परीक्षा की तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं विभाग के एक आदेश के बाद अब शिक्षक और प्राचार्य के सामने संकट आ गया है.

दरअसल, लोक शिक्षण संचनालय द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक, अगर एमपी बोर्ड की कक्षाओं में छात्रों का परीक्षा परिणाम कम होता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा, जिसको लेकर शिक्षकों में तनाव पैदा हो गया है.

परीक्षा परिणाम बिगड़ा, तो शिक्षकों का रुकेगा इंक्रीमेंट

लोक शिक्षण संचनालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अगर 10वीं में 64 प्रतिशत ओर 12वीं 73 प्रतिशत से कम रिजल्ट आता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूली शिक्षा पर प्राचार्य को अगले सत्र के लिए टारगेट दिया है, जिसमें कक्षा 9वीं से दसवीं तक के परीक्षा परिणाम में स्कूलों को सुधार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर इंक्रीमेंट रोकने से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का विकल्प तय किया गया है.

शिक्षकों के लिए चुनौती

इस आदेश के बाद शिक्षकों के सामने एक चुनौती आ गई है. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष कक्षाएं लगी ही नहीं है. शासकीय स्कूलों की अगर बात करें, तो न तो बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की है और ना ही स्कूलों में पढ़ाई हो रही है. उनका कहना है कि अभी स्कूल खुल चुके हैं. बावजूद इसके स्कूलों में 50 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं. जो 50 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं आ रहे है, वो ना स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और ना ही ऑनलाइन कक्षाओं में. ऐसे बच्चों का अगर रिजल्ट खराब होगा, तो उसकी जिम्मेदारी शिक्षक और प्राचार्य कैसे लेगा.

रुक सकता है शिक्षकों का इंक्रीमेंट
50% अटेंडेंस में 90 प्रतिशत परिणाम का टारगेट कैसे होगा पूराप्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा नौवीं से 12वीं तक के स्कूल खुल चुके हैं. वहीं 18 दिसंबर से पूरी क्षमता के साथ कक्षा नौवीं से बारहवीं की कक्षाएं शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. निजी स्कूलों के बच्चे ट्यूशन क्लासेस के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं और ऑनलाइन क्लास में भी 70 प्रतिशत अटेंडेंस लग रही हैं, लेकिन शासकीय स्कूलों में ना बच्चे स्कूल आ रहे हैं और ना ही ऑनलाइन कक्षाओं में बैठ रहे हैं, जिसके कारण शिक्षकों के लिए परीक्षा परिणाम सुधारना किसी चुनौती से कम नहीं है.यह है टारगेटकॉर्पोरेट कल्चर की तर्ज पर ही हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के विषय के शिक्षकों और प्राचार्ययों को 25 जनवरी तक टारगेट पूरा करना है. इसके लिए फॉर्मेट भी भेजा गया है. फॉर्मेट के मुताबिक, अन्य स्कूलों के लिए चार श्रेणी के छात्रों का आंकलन करना होगा, जिसमें ए प्लस-80 फीसदी या उससे ज्यादा नंबर वाले विद्यार्थियों का आंकलन, दूसरी श्रेणी में 60 से 79 प्रतिशत नंबर लाने वाले विद्यार्थीयों का आंकलन और तीसरी श्रेणी में 45 से 69 फीसदी नंबर लाने वाले स्टूडेंट्स को चिन्हित किया जाएगा. वहीं चौथी श्रेणी में 33 से 44 प्रतिशत लाने वाले विद्यार्थियों का डाटा तैयार करना होगा. प्राचार्यों को चार श्रेणी में छात्रों का आंकलन करना होगा, जिसमें कक्षावार औसत के लिहाज से टारगेट तय किया जाएगा कि किस कैटेगरी में कितने विद्यार्थी हैं. शिक्षक टारगेट पूरा करेंगे, तो मिलेगा सम्मानआदेश में एक तरफ जहां शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोकने की बात कही गई है, तो वहीं दूसरी तरफ अगर शिक्षक और प्राचार्य टारगेट पूरा कर लेंगे, तो विभाग द्वारा उनका सम्मान किया जाएगा. टारगेट पूरा करने पर डीईओ प्राचार्यों और शिक्षकों को सम्मानित किया जायेगा. छात्रों की उपस्थिति के बिना मुश्किल है टारगेटस्कूल अपने स्तर पर तैयारी कर रहा हैं. हालांकि शिक्षकों का कहना है कि यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. जब छात्र स्कूल ही नहीं आयेंगे, तो कैसे आंकलन किया जाएगा और कैसे विभाग का टारगेट पूरा किया जाएगा.

भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं अप्रैल माह में आयोजित की जाएंगी. स्कूलों में परीक्षा की तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं विभाग के एक आदेश के बाद अब शिक्षक और प्राचार्य के सामने संकट आ गया है.

दरअसल, लोक शिक्षण संचनालय द्वारा जारी एक आदेश के मुताबिक, अगर एमपी बोर्ड की कक्षाओं में छात्रों का परीक्षा परिणाम कम होता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा, जिसको लेकर शिक्षकों में तनाव पैदा हो गया है.

परीक्षा परिणाम बिगड़ा, तो शिक्षकों का रुकेगा इंक्रीमेंट

लोक शिक्षण संचनालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अगर 10वीं में 64 प्रतिशत ओर 12वीं 73 प्रतिशत से कम रिजल्ट आता है, तो शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग ने रिजल्ट सुधारने के लिए स्कूली शिक्षा पर प्राचार्य को अगले सत्र के लिए टारगेट दिया है, जिसमें कक्षा 9वीं से दसवीं तक के परीक्षा परिणाम में स्कूलों को सुधार करना होगा. ऐसा नहीं होने पर इंक्रीमेंट रोकने से लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का विकल्प तय किया गया है.

शिक्षकों के लिए चुनौती

इस आदेश के बाद शिक्षकों के सामने एक चुनौती आ गई है. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष कक्षाएं लगी ही नहीं है. शासकीय स्कूलों की अगर बात करें, तो न तो बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की है और ना ही स्कूलों में पढ़ाई हो रही है. उनका कहना है कि अभी स्कूल खुल चुके हैं. बावजूद इसके स्कूलों में 50 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं. जो 50 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं आ रहे है, वो ना स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और ना ही ऑनलाइन कक्षाओं में. ऐसे बच्चों का अगर रिजल्ट खराब होगा, तो उसकी जिम्मेदारी शिक्षक और प्राचार्य कैसे लेगा.

रुक सकता है शिक्षकों का इंक्रीमेंट
50% अटेंडेंस में 90 प्रतिशत परिणाम का टारगेट कैसे होगा पूराप्रदेश में 21 सितंबर से कक्षा नौवीं से 12वीं तक के स्कूल खुल चुके हैं. वहीं 18 दिसंबर से पूरी क्षमता के साथ कक्षा नौवीं से बारहवीं की कक्षाएं शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. निजी स्कूलों के बच्चे ट्यूशन क्लासेस के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं और ऑनलाइन क्लास में भी 70 प्रतिशत अटेंडेंस लग रही हैं, लेकिन शासकीय स्कूलों में ना बच्चे स्कूल आ रहे हैं और ना ही ऑनलाइन कक्षाओं में बैठ रहे हैं, जिसके कारण शिक्षकों के लिए परीक्षा परिणाम सुधारना किसी चुनौती से कम नहीं है.यह है टारगेटकॉर्पोरेट कल्चर की तर्ज पर ही हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों के विषय के शिक्षकों और प्राचार्ययों को 25 जनवरी तक टारगेट पूरा करना है. इसके लिए फॉर्मेट भी भेजा गया है. फॉर्मेट के मुताबिक, अन्य स्कूलों के लिए चार श्रेणी के छात्रों का आंकलन करना होगा, जिसमें ए प्लस-80 फीसदी या उससे ज्यादा नंबर वाले विद्यार्थियों का आंकलन, दूसरी श्रेणी में 60 से 79 प्रतिशत नंबर लाने वाले विद्यार्थीयों का आंकलन और तीसरी श्रेणी में 45 से 69 फीसदी नंबर लाने वाले स्टूडेंट्स को चिन्हित किया जाएगा. वहीं चौथी श्रेणी में 33 से 44 प्रतिशत लाने वाले विद्यार्थियों का डाटा तैयार करना होगा. प्राचार्यों को चार श्रेणी में छात्रों का आंकलन करना होगा, जिसमें कक्षावार औसत के लिहाज से टारगेट तय किया जाएगा कि किस कैटेगरी में कितने विद्यार्थी हैं. शिक्षक टारगेट पूरा करेंगे, तो मिलेगा सम्मानआदेश में एक तरफ जहां शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोकने की बात कही गई है, तो वहीं दूसरी तरफ अगर शिक्षक और प्राचार्य टारगेट पूरा कर लेंगे, तो विभाग द्वारा उनका सम्मान किया जाएगा. टारगेट पूरा करने पर डीईओ प्राचार्यों और शिक्षकों को सम्मानित किया जायेगा. छात्रों की उपस्थिति के बिना मुश्किल है टारगेटस्कूल अपने स्तर पर तैयारी कर रहा हैं. हालांकि शिक्षकों का कहना है कि यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. जब छात्र स्कूल ही नहीं आयेंगे, तो कैसे आंकलन किया जाएगा और कैसे विभाग का टारगेट पूरा किया जाएगा.
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