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लॉकडाउन में खिलाड़ियों के फॉर्म पर पड़ा बुरा असर, दोबारा वापसी के लिए खेल महकमा नहीं छोड़ रहा कोई कसर

लॉकडाउन की वजह से खिलाड़ियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें दोबारा फॉर्म में लाने के लिए पूरा खेल महकमा जुटा हुआ है.

impact of lockdown on players
खिलाड़ियों पर लॉकडाउन का असर
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Published : Oct 21, 2020, 12:00 AM IST

भोपाल। लॉकडाउन की वजह से जब खेल गतिविधियां बंद थी, तो सभी खिलाड़ी अपने-अपने घर चले गए थे. जहां करीब 6 महीने तक बंद खेल गतिविधियों का असर खिलाड़ियों पर पड़ा है. हालांकि मध्य प्रदेश शासन के खेल विभाग ने एकेडमी के खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया. साथ ही उनका डाइट चार्ट भी तैयार किया, ताकि वह घर पर ही रहकर सही खानपान ले सकें, पर फिर भी मैदानों में अभ्यास नहीं करने के चलते कहीं ना कहीं खिलाड़ियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावी असर हुआ है. अब जब खेल गतिविधियां दोबारा से शुरू कर दी गई है, तो धीरे-धीरे खेल विभाग कई तरह से खिलाड़ियों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है.

खिलाड़ियों पर लॉकडाउन का असर

खिलाड़ियों को वापस लाने की कोशिश

कोरोना संक्रमण से बचाव और खिलाड़ियों को वापस खेल में रूचि दिलाने के लिए खेल विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही है. इस बारे में खेल निदेशक पवन जैन ने बताया कि, खेल विभाग में कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग और भारत सरकार की ओर से जो भी गाइडलाइन जारी की गई है, उनका पालन किया जा रहा है. साथ ही जो भी खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए वापस बुलाए जा रहे हैं, उनका सबसे पहले कोरोना टेस्ट करवाया जा रहा है, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सकें. 1 हफ्ते के लिए उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है. इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है.

खेल निदेशक पवन जैन ने कहा कि, विभिन्न खेलों के कोच की अनुशंसा पर उन खिलाड़ियों को ही बुलाया जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले हैं, ताकि वह प्रेक्टिस से वंचित न रह जाए. पहले चरण में 84 खिलाड़ियों को बुलाया गया था. दूसरे चरण में 72 खिलाड़ियों को बुलाया गया. इस दौरान सभी खिलाड़ियों को हिदायत दी गई है कि, वह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें. वहीं आउट डोर गतिविधि में ही मास्क नहीं लगाने की छूट दी गई है.

खेल निदेशक पवन जैन ने कहा कि, अभी खिलाड़ियों की ऑनलाइन क्लासेज विदेशी कोचों और नेशनल कोचों के साथ भी चल रही है. खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के साथ मिलकर एक मेंटल हेल्थ प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है, ताकि बीते 5 महीनों में खिलाड़ियों के अंदर खेल से दूर रहने का अवसाद दूर किया जा सकें. साथ ही एकेडमी के कोच भी खिलाड़ियों की लगातार निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, दिवाली के बाद तीसरे फेज में उन खिलाड़ियों का प्रशिक्षण शुरू किया जायेगा, जिन्हें टैलेंट सर्च के माध्यम से प्रवेश मिला है.

6 महीने में खिलाड़ियों पर क्या हुआ असर?

करीब 5 से 6 महीने के अंतराल के दौरान खिलाड़ियों पर प्रभावी असर हुआ है, जिसको लेकर एथलेटिक्स कोच शिप्रा मसीह ने बताया कि, कोच खिलाड़ियों को घर में ही रहकर अभ्यास दे रहे ,थे ताकि उनकी 50 फीसदी प्रेक्टिस सही हो सकें. फिलहाल खिलाड़ियों की स्ट्रेंथ पर काम करने की जरूरत नहीं पड़ रही है, क्योंकि खिलाड़ी घरों में थे. लॉकडाउन की वजह से उन्हें मैदानों में प्रैक्टिस करने नहीं मिल रहा था. इसके साथ ही उनकी डाइट पर भी असर पड़ा है, क्योंकि घरों में अच्छी डाइट मिल पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. हालांकि बच्चों को रूटीन में लाने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि, अभी एकेडमी से निर्देश मिले हैं कि बच्चों को आउटडोर ही प्रैक्टिस कराई जाए, ताकि वह फिर से अच्छे स्तर पर आ सकें.

खिलाड़ी फिजिकल वर्क आउट से थे दूर

कोच अमित गौतम ने बताया कि, जिस समय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होनी थी. उसी दौरान लॉकडाउन घोषित कर दिया गया. प्रतियोगिताओं के चलते सभी खिलाड़ी अपने एक अच्छे उच्च स्तर पर थे, पर एकेडमी और स्टेडियम बंद होने से सभी खिलाड़ियों को घर जाना पड़ा. घर में छोटी-मोटी सुविधाओं के साथ ही खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे. कुछ ऑनलाइन गाइडलाइन के साथ उन्हें कोचिंग दी जा रही थी, मगर फिजिकल वर्क आउट नहीं हो पा रहा था. अब जब खेल गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं, तो इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि खिलाड़ी फिर से अपनी परफॉर्मेस को बेहतर कर सकें.

खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ा असर

एथेलीट पायल यादव बताती है कि, 'हम ठीक से रनिंग नहीं कर पा रहे थे. ऑनलाइन प्रशिक्षण से जो भी जानकारियां मिल रही थी. उसी पर ध्यान दे रहे थे.' इसी तरह एथलीट सुकन्या ने बताया कि, 'जो कोच वर्क आउट देते थे, उसे मैं खेत में करती थी, पर वह उतना अच्छे से नहीं हो पाता था, जितना हम स्टेडियम में कर पाते थे. अब जब हम वापस आ गए है, तो ट्रेनिंग में थोड़ी दिक्कत आ रही है.'

खिलाड़ी अविनाश कुमार ने बताया कि, 'हम घर पर ठीक से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे थे, पर फिर भी अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. अब जब ट्रेनिंग फिर से शुरू हो गई है, तो हम रिकवर हो रहे है.' खिलाड़ी भावना का कहना है कि, 'अगर किसी खिलाड़ी से यह कह दिया जाए कि वह मैदान से दूर रहे और प्रैक्टिस भी ना करें, तो उसके लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है. हमने घरों, अपार्टमेंट और सीढ़ियों पर ही प्रैक्टिस की थी, ताकि खुद की फिटनेस का ख्याल रखा जा सकें. अब जब हम सब खिलाड़ी वापस मैदान में आ गए हैं, तो थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि काफी लंबे अंतराल से हम घरों में ही थे. अब एकदम से हमें हाई ट्रेनिंग दी जा रही है, तो रिकवर होने में समय लग रहा है.'

अनलॉक शुरू होने के बाद से ही खेल विभाग ने पहले चरण में 12 अगस्त 2020 को खिलाड़ियों को बुलाया था. वहीं दूसरे चरण में अक्टूबर माह में खिलाड़ियों को बुलाया गया. इसके अलावा प्रदेश की अलग-अलग एकेडमी में भी खिलाड़ियों को कम संख्या में बुलाया जा रहा है. साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन का पालन करते हुए उन्हें हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग दी जा रही है.

भोपाल। लॉकडाउन की वजह से जब खेल गतिविधियां बंद थी, तो सभी खिलाड़ी अपने-अपने घर चले गए थे. जहां करीब 6 महीने तक बंद खेल गतिविधियों का असर खिलाड़ियों पर पड़ा है. हालांकि मध्य प्रदेश शासन के खेल विभाग ने एकेडमी के खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया. साथ ही उनका डाइट चार्ट भी तैयार किया, ताकि वह घर पर ही रहकर सही खानपान ले सकें, पर फिर भी मैदानों में अभ्यास नहीं करने के चलते कहीं ना कहीं खिलाड़ियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावी असर हुआ है. अब जब खेल गतिविधियां दोबारा से शुरू कर दी गई है, तो धीरे-धीरे खेल विभाग कई तरह से खिलाड़ियों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है.

खिलाड़ियों पर लॉकडाउन का असर

खिलाड़ियों को वापस लाने की कोशिश

कोरोना संक्रमण से बचाव और खिलाड़ियों को वापस खेल में रूचि दिलाने के लिए खेल विभाग की ओर से तैयारियां की जा रही है. इस बारे में खेल निदेशक पवन जैन ने बताया कि, खेल विभाग में कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग और भारत सरकार की ओर से जो भी गाइडलाइन जारी की गई है, उनका पालन किया जा रहा है. साथ ही जो भी खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए वापस बुलाए जा रहे हैं, उनका सबसे पहले कोरोना टेस्ट करवाया जा रहा है, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सकें. 1 हफ्ते के लिए उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है. इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है.

खेल निदेशक पवन जैन ने कहा कि, विभिन्न खेलों के कोच की अनुशंसा पर उन खिलाड़ियों को ही बुलाया जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले हैं, ताकि वह प्रेक्टिस से वंचित न रह जाए. पहले चरण में 84 खिलाड़ियों को बुलाया गया था. दूसरे चरण में 72 खिलाड़ियों को बुलाया गया. इस दौरान सभी खिलाड़ियों को हिदायत दी गई है कि, वह कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें. वहीं आउट डोर गतिविधि में ही मास्क नहीं लगाने की छूट दी गई है.

खेल निदेशक पवन जैन ने कहा कि, अभी खिलाड़ियों की ऑनलाइन क्लासेज विदेशी कोचों और नेशनल कोचों के साथ भी चल रही है. खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के साथ मिलकर एक मेंटल हेल्थ प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है, ताकि बीते 5 महीनों में खिलाड़ियों के अंदर खेल से दूर रहने का अवसाद दूर किया जा सकें. साथ ही एकेडमी के कोच भी खिलाड़ियों की लगातार निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, दिवाली के बाद तीसरे फेज में उन खिलाड़ियों का प्रशिक्षण शुरू किया जायेगा, जिन्हें टैलेंट सर्च के माध्यम से प्रवेश मिला है.

6 महीने में खिलाड़ियों पर क्या हुआ असर?

करीब 5 से 6 महीने के अंतराल के दौरान खिलाड़ियों पर प्रभावी असर हुआ है, जिसको लेकर एथलेटिक्स कोच शिप्रा मसीह ने बताया कि, कोच खिलाड़ियों को घर में ही रहकर अभ्यास दे रहे ,थे ताकि उनकी 50 फीसदी प्रेक्टिस सही हो सकें. फिलहाल खिलाड़ियों की स्ट्रेंथ पर काम करने की जरूरत नहीं पड़ रही है, क्योंकि खिलाड़ी घरों में थे. लॉकडाउन की वजह से उन्हें मैदानों में प्रैक्टिस करने नहीं मिल रहा था. इसके साथ ही उनकी डाइट पर भी असर पड़ा है, क्योंकि घरों में अच्छी डाइट मिल पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. हालांकि बच्चों को रूटीन में लाने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि, अभी एकेडमी से निर्देश मिले हैं कि बच्चों को आउटडोर ही प्रैक्टिस कराई जाए, ताकि वह फिर से अच्छे स्तर पर आ सकें.

खिलाड़ी फिजिकल वर्क आउट से थे दूर

कोच अमित गौतम ने बताया कि, जिस समय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होनी थी. उसी दौरान लॉकडाउन घोषित कर दिया गया. प्रतियोगिताओं के चलते सभी खिलाड़ी अपने एक अच्छे उच्च स्तर पर थे, पर एकेडमी और स्टेडियम बंद होने से सभी खिलाड़ियों को घर जाना पड़ा. घर में छोटी-मोटी सुविधाओं के साथ ही खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे. कुछ ऑनलाइन गाइडलाइन के साथ उन्हें कोचिंग दी जा रही थी, मगर फिजिकल वर्क आउट नहीं हो पा रहा था. अब जब खेल गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं, तो इस बात पर ध्यान दिया जा रहा है कि खिलाड़ी फिर से अपनी परफॉर्मेस को बेहतर कर सकें.

खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ा असर

एथेलीट पायल यादव बताती है कि, 'हम ठीक से रनिंग नहीं कर पा रहे थे. ऑनलाइन प्रशिक्षण से जो भी जानकारियां मिल रही थी. उसी पर ध्यान दे रहे थे.' इसी तरह एथलीट सुकन्या ने बताया कि, 'जो कोच वर्क आउट देते थे, उसे मैं खेत में करती थी, पर वह उतना अच्छे से नहीं हो पाता था, जितना हम स्टेडियम में कर पाते थे. अब जब हम वापस आ गए है, तो ट्रेनिंग में थोड़ी दिक्कत आ रही है.'

खिलाड़ी अविनाश कुमार ने बताया कि, 'हम घर पर ठीक से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे थे, पर फिर भी अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. अब जब ट्रेनिंग फिर से शुरू हो गई है, तो हम रिकवर हो रहे है.' खिलाड़ी भावना का कहना है कि, 'अगर किसी खिलाड़ी से यह कह दिया जाए कि वह मैदान से दूर रहे और प्रैक्टिस भी ना करें, तो उसके लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है. हमने घरों, अपार्टमेंट और सीढ़ियों पर ही प्रैक्टिस की थी, ताकि खुद की फिटनेस का ख्याल रखा जा सकें. अब जब हम सब खिलाड़ी वापस मैदान में आ गए हैं, तो थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि काफी लंबे अंतराल से हम घरों में ही थे. अब एकदम से हमें हाई ट्रेनिंग दी जा रही है, तो रिकवर होने में समय लग रहा है.'

अनलॉक शुरू होने के बाद से ही खेल विभाग ने पहले चरण में 12 अगस्त 2020 को खिलाड़ियों को बुलाया था. वहीं दूसरे चरण में अक्टूबर माह में खिलाड़ियों को बुलाया गया. इसके अलावा प्रदेश की अलग-अलग एकेडमी में भी खिलाड़ियों को कम संख्या में बुलाया जा रहा है. साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन का पालन करते हुए उन्हें हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग दी जा रही है.

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