भोपाल। कहते हैं ज्ञान आप जितना बांटते हो उतना ही वो आपके अंदर बढ़ता है. ये हम इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि इसका जीता जागता उदहारण पी नरहरि हैं. ये खुद तो एक आईएएस अफसर हैं ही उनके पढ़ाए हुए भी 400 से ज्यादा स्टूडेंट्स टॉप के सरकारी अफसर बन गए हैं. बचपन में हमें हमारे माता-पिता से सुनने को मिलता था कि पढ़ाई की कीमत वही समझता है जो सीमित संसाधनों में पढ़कर कुछ बनता है. आज इसका एक उदहारण भी सामने है. पी नरहरि अपने कामों में व्यस्त रहने के बावजूद उन लोगों के लिए समय निकालते हैं, जिनमें सीखने की ललक और कुछ बनने की चाहत रहती हो. आइए आपको पी नरहरि से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं.
पी नरहरि सामान्य परिवार से आते थे: पी नरहरि 2001 बैच के आईएएस अफसर हैं. इनका जन्म 1 मार्च 1975 को तेलंगाना के बसंतनगर गांव में हुआ है. इनका कहना है कि, "मैं भी एक सामान्य परिवार से आता हूं. मैं भी सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं. मेरे पिता टेलरिंग का काम करते थे. उन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया, कमाई के सीमित संसाधन थे. आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी फिर भी मैंने कॉलेज की पढ़ाई की. स्कॉलरशिप के माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा पास की. मेरा यह मानना है कि, कई ऐसे स्टूडेंट होते हैं जिनमें सीखने की ललक होती है और वह बहुत कंपीटेंट होते हैं, लेकिन उनको अपने जीवन में सही समय पर मार्गदर्शन नहीं मिल पाता. शासकीय योजना के अंतर्गत शासन बहुत कुछ करता है."
"शासन आज फ्री पढ़ाई से लेकर कोचिंग, पुस्तकें, साइकिल, स्कॉलरशिप से लेकर हॉस्टल फैसिलिटी के साथ सभी सुविधाएं दे रहा. विदेशों में पढ़ने के लिए भी सरकार फंडिंग देती है. बहुत से बच्चों को पता नहीं होता कि शासन की क्या योजनाएं हैं. इनकी जानकारी नहीं होने से बच्चे इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते. इन जानकारी के अभाव में अच्छे बच्चे गांव में ही रह जाते हैं. मेरे से जब भी कोई बच्चा पूछता है तो मैं उसे सही मार्गदर्शन देता हूं. उनको बताता हूं कि आप किस तरह से फायदा ले सकते हैं. फ्री सरकारी व्यवस्थाओं का उपयोग करके आज यहां तक पहुंचा हूं और जो लोग अच्छे होशियार हैं उनके लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं."
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पॉपुलर आईएएस अधिकारियों में शामिल पी नरहरि: आज जो मध्य प्रदेश सरकार लाडली लक्ष्मी योजना चला रही है वो इन्हीं की देन है. इन्हीं को इंदौर को क्लीन सिटी बनाने का क्रेडिट भी जाता है. पी नरहरि को पीपल्स ऑफिसर भी कहा जाता है. वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों को मोटिवेट करते हैं और तैयारी में भी हेल्प करते हैं. वह एक सिविल सेवक ही नहीं एक सिंगर और लेखक भी हैं. पी नरहरि को 2017 में देश के 10 सबसे पॉपुलर आईएएस अधिकारियों में शामिल किया गया था.
जानें इनके करियर के बारे में: पी नरहरि के करियर की बात करें तो वह 2001 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए. 2002 में वे छिंदवाड़ा में सहायक कलेक्टर के पद पर थे. 2003 में ग्वालियर में एसडीओ और एसडीएम डबरा, 2004 में इंदौर में एसडीओ और एसडीएम के साथ सहायक कलेक्टर और सिटी मजिस्ट्रेट, मुरार बने. 2005 में पी नरहरि को इंदौर नगर निगम के नगर आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.
वर्चुअल मीडियम से पढ़ाता हूं: जब ईटीवी भारत ने उनसे पूछा की आपकी जिम्मेदारियां बहुत है. आप बड़े पद पर होते हुए भी बच्चों के लिए समय कैसे निकाल पाते हैं? इसपर पी नरहरि ने कहा कि, "पहले जब हमारे पास थोड़ा वक्त हुआ करता था तो हम स्कूल और कॉलेजों में जाकर उन्हें मोटिवेशनल स्पीच देते थे. अब व्यस्तता है इसलिए मैं सोशल मीडिया का उपयोग करता हूं. कई संस्थाओं से लोग मुझे एप्रोच करते हैं और रिक्वेस्ट करते हैं तो मैं सोशल मीडिया पर उन्हें समय-समय पर सुझाव देता हूं. अब वर्चुअल मीडियम एक बहुत बड़ा माध्यम है. इसके जरिए लोगों को बहुत सहायता मिल पाती है."
अपने कामों को शिद्दत से किया: जब ईटीवी भारत ने उनसे पूछा की क्या बेटी बचाओ अभियान से लोगों की सोच बदली है? इसपर उन्होंने कहा कि, "लड़कियों के प्रति पहले जो सोच थी वो बदली है. ये संभव लाडली लक्ष्मी और बेटी बचाओ योजना के तहत हो पाया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बहुत प्रयास किए हैं. इंदौर में रहते हुए हमने बहुत काम किया, जिसका नतीजा यह है कि अब इंदौर नंबर 1 है. प्रदेश में स्मार्ट सिटी के काम हो या फिर अन्य जो भी काम मिला उसको हमने शिद्दत से किया." इसके साथ ही उन्होंने ईटीवी भारत के कई सवालों के जवाब दिए.