भोपाल। मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर सियासत गरमाई हुई है. 30 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने पूर्व सीएम कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया था. कमलनाथ पर की गई इस कार्रवाई पर कांग्रेस सवाल खड़े कर रही है. कमलनाथ पर कार्रवाई का चुनाव आयोग ने जो आधार बताया है उसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. कमलनाथ पर जिन बयानों को लेकर कार्रवाई की गई है. उस बयान पर पहले कमलनाथ को हिदायत दी गई थी कि वह इस तरह के बयान ना दें. लेकिन उसके 4 दिन बाद कमलनाथ पर उन बयानों को आधार बनाते हुए कार्रवाई की गई.
कमलनाथ पर चला चुनाव आयोग का 'हंटर', छीना स्टार प्रचारक का तमगा
दरअसल कमलनाथ इमरती देवी पर दिए गए बयान के बाद से लगातार चर्चा में बने हुए थे. जिसके बाद चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी. चुनाव आयोग ने अपनी शिकायत में मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट को आधार बनाया है. वही कांग्रेस का यह भी कहना है कि बिना नोटिस दिए स्टार प्रचारक का दर्जा छीनना पूरी तरह से गलत है. लिहाजा अब इस मामले में कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही है.
21 अक्टूबर को कमलनाथ को चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस
कमलनाथ के 'आइटम' वाले बयान पर भारत निर्वाचन आयोग ने कमलनाथ को नोटिस जारी करते हुए 21 अक्टूबर को 2 दिन की मोहलत देते हुए उनका जवाब मांगा था. कमलनाथ ने 22 अक्टूबर को जवाब दिए और अपने बयान पर खेद भी व्यक्त किए. 26 अक्टूबर को कमलनाथ के जवाब को चुनाव आयोग ने संतोषजनक न मानते हुए इस तरह की बयानबाजी न करने की हिदायत दी थी.
कमलनाथ ने इमरती देवी को कहा था 'आइटम'
विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान 18 अक्टूबर को कमलनाथ ग्वालियर के डबरा में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के लिए चुनावी सभा करने गए थे, और वहां पर उन्होंने इमरती देवी का नाम लिए बगैर कहा था कि मुझे आपको पहले ही सावधान कर देना चाहिए था कि यह क्या 'आइटम' है. कमलनाथ का यह बयान आते ही भाजपा सक्रिय हुई और सड़क पर विरोध प्रदर्शन के अलावा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और राष्ट्रीय महिला आयोग में भी शिकायत की गई.
कमलनाथ की चुनावी सभा में उमड़ रही भीड़ से घबराई बीजेपी
भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि कमलनाथ की सभाओं की अपार सफलता के बाद कितने तरह के हथकंडे अपनाए गए. गृह विभाग ने कोविड-19 को लेकर तीन बार गाइडलाइन बदली.जब भी भीड़ कम नहीं हुई ,तो अदालत का फैसला आ गया. अदालत के फैसले से बीजेपी को परेशानी हुई, तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद स्थिति सुधरी, तो कांग्रेस को चुनाव आयोग का आदेश आ गया. क्या इस तरह की बातें सिर्फ कांग्रेस पार्टी ने की है. इससे बदतर और घिनौनी बातें भाजपा नेताओं ने की हैं.क्या वह चुनाव आयोग के संज्ञान में नहीं है।
कमलनाथ के खिलाफ बीजेपी ने दिया था धरना
कमलनाथ के बयान के बाद भाजपा ने इसे दलित महिला का अपमान बताते हुए शिवराज सिंह और बीजेपी के तमाम नेताओं के साथ इकट्ठा होकर मिंटो हाल में गांधी प्रतिमा के सामने मौन धरना दिया. तो राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस बयान को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई. वहीं भाजपा ने भी इस बयान को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और लगातार कमलनाथ के बयान को लेकर विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी रखा.
बीजेपी ने चुनाव आयोग के फैसले का किया स्वागत
चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए बीजेपी प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा कि मैं चुनाव आयोग का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. क्योंकि जिस तरह से मध्यप्रदेश में कमलनाथ इस तरह से बयान और भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे वो काफी निंदनीय है. उनका कहना है कि इस फैसले से पूरे देश में एक मिसाल कायम होगी. अगर नेताओं को बयान देना है तो किन मर्यादाओं का ध्यान रखाना चाहिए.
कमलनाथ पर चुनाव आयोग की कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी कांग्रेस
क्या होती है स्टार प्रचारक की भूमिका?
स्टार प्रचारकों पर सबकी नजरें होती हैं. ये ऐसे नेता और सिलेब्रिटी होते हैं, जिन्हें देखने सुनने भारी भीड़ उमड़ती है. इनका लोगों पर खासा प्रभाव होता है. स्टार प्रचारक अपने दमदार भाषणों से अपनी पार्टी और उम्मीदवार के लिए वोट खींचने का काम करते हैं. इनकी सभाएं ऐसे इलाकों में रखी जाती हैं, जहां वोट मिलने की संभावना ज्यादा होती है. चुनाव कोई भी हो इसे जीतने के लिए पार्टी ऐसे नेताओं और सिलेब्रिटी को प्रचार के लिए उतारती है, जिन्हें देखने सुनने भारी भीड़ उमड़े. स्टार प्रचारक को कोई भी दल अपनी स्वेच्छा से उसकी सहमति मिलने पर चुन सकता है.