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चैत्र नवरात्रि 2021: रोगमुक्त कर आरोग्यता प्रदान करती हैं मां कालरात्रि - चैत्र नवरात्रि 2021

आज नवरात्रि का सातवां दिन है. नवरात्र के सातवें दिन भगवती कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा से सभी पाप और विघ्नों का नाश हो जाता है.

maa kalratri
मां कालरात्रि
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Published : Apr 19, 2021, 7:24 AM IST

Updated : Apr 19, 2021, 9:48 AM IST

भोपाल। चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है, जिसे सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन भगवती के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है. रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में डरावना है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को भयभीत या आतंकित होने की जरूरत नहीं है. मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है.

मान्यता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. ये सभी भगवती कालरात्रि के आगमन से भागते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी माता कालरात्रि से प्रार्थना की और ट्विटर पर लिखा- चैत्र नवरात्रि में मां अम्बे के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि से यही प्रार्थना कि दु:ख, शोक, संताप, कोरोना और समस्त विनाशक शक्तियों का नाश हो, सब निर्भय हों और मैया की कृपा अनवरत बरसती रहे.

  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    चैत्र नवरात्रि में माँ अम्बे के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि से यही प्रार्थना कि दु:ख, शोक, संताप, कोरोना और समस्त विनाशक शक्तियों का नाश हो, सब निर्भय हों और मैया की कृपा अनवरत बरसती रहे। pic.twitter.com/N5gfVJ3xjl

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

माता का स्वरूप

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के जैसे गोल हैं. इनसे बिजली के जैसी चमकीली किरणें हमेशा निकलती रहती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां की नाक के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ (गधा) है. माता कालरात्रि ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. मां बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) लिए हुए हैं.

मां दुर्गा के नौ रूप

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

मां कालरात्रि को समर्पित है नवरात्रि का सातवां दिन, ऐसे करें आराधना

मां कालरात्रि की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

स्तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।।

ऐसे करें पूजा

मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य अर्पित किया जाता है. इस दिन गुड़ का विशेष महत्व माना गया है. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर माता का आवाहन करें. इसके बाद मां कालरात्रि की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.

भोपाल। चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है, जिसे सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन भगवती के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है. रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में डरावना है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं. इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है. अतः इनसे भक्तों को भयभीत या आतंकित होने की जरूरत नहीं है. मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है.

मान्यता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. ये सभी भगवती कालरात्रि के आगमन से भागते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी माता कालरात्रि से प्रार्थना की और ट्विटर पर लिखा- चैत्र नवरात्रि में मां अम्बे के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि से यही प्रार्थना कि दु:ख, शोक, संताप, कोरोना और समस्त विनाशक शक्तियों का नाश हो, सब निर्भय हों और मैया की कृपा अनवरत बरसती रहे.

  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

    चैत्र नवरात्रि में माँ अम्बे के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि से यही प्रार्थना कि दु:ख, शोक, संताप, कोरोना और समस्त विनाशक शक्तियों का नाश हो, सब निर्भय हों और मैया की कृपा अनवरत बरसती रहे। pic.twitter.com/N5gfVJ3xjl

    — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

माता का स्वरूप

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के जैसे गोल हैं. इनसे बिजली के जैसी चमकीली किरणें हमेशा निकलती रहती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां की नाक के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ (गधा) है. माता कालरात्रि ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. मां बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) लिए हुए हैं.

मां दुर्गा के नौ रूप

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

मां कालरात्रि को समर्पित है नवरात्रि का सातवां दिन, ऐसे करें आराधना

मां कालरात्रि की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.

मंत्र:

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

स्तुति:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।।

ऐसे करें पूजा

मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य अर्पित किया जाता है. इस दिन गुड़ का विशेष महत्व माना गया है. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर माता का आवाहन करें. इसके बाद मां कालरात्रि की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.

Last Updated : Apr 19, 2021, 9:48 AM IST
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