भोपाल। झाबुआ उपचुनाव के एलान से पहले जय आदिवासी युवा संगठन 'जयस' के तेवर कुछ अलग थे. ऐसा लग रहा था कि बहुमत जुटाने के लिए परेशान कांग्रेस के लिए जयस झाबुआ उपचुनाव में परेशानी का सबब बनेगी. वहीं 8 सितंबर को होने वाली जयस महापंचायत के पहले भी तनाव की स्थिति देखने को मिल रही थी और जयस ने उम्मीदवार के नाम पर विचार करने का ऐलान भी कर दिया था, लेकिन 8 सितंबर की महापंचायत में सर्वसम्मति से कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन का फैसला लिया और अब जयस की सारी टीम कांग्रेस के पक्ष में प्रचार कर रही है.
दरअसल झाबुआ उपचुनाव के पहले जयस संगठन के प्रमुख डा. हीरालाल अलावा ने सत्ताधारी दल कांग्रेस की नींद उड़ा दी थी. जब उन्होंने ऐलान कर दिया था कि वह झाबुआ में जयस की तरफ से प्रत्याशी उतार सकते हैं. हालांकि जयस के मुखिया हीरालाल अलावा कांग्रेस के टिकट पर ही विधायक हैं, लेकिन उन्होंने झाबुआ उपचुनाव के पहले नाराजगी जताई थी कि आदिवासियों के कल्याण के लिए सरकार काम नहीं कर रही है. वहीं 47 में से 30 आदिवासी विधायक कांग्रेस के जीतने के बाद भी आदिवासियों को सम्मान नहीं मिल रहा है.
हीरालाल अलावा के इस ऐलान के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ रही थीं. सबकी निगाहें 8 सितंबर को झाबुआ में होने वाली जयस की पंचायत पर थीं. जिसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कई प्रदेशों के आदिवासी युवा जुटे थे. कांग्रेस के लिए राहत की बात यह रही कि इस पंचायत में कांतिलाल भूरिया के समर्थन का फैसला लिया गया.
डॉक्टर हीरालाल अलावा का कहना है कि 'झाबुआ उपचुनाव में जयस ने पहले ही उम्मीदवार न उतारने की घोषणा कर दी थी. हम लोग पहले ही कह चुके हैं. हमने कहा है कि कमलनाथ सरकार आदिवासियों के लिए अच्छे काम कर रही है. हमारी पूरी टीम झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस को मदद करेगी. हमारी यही कोशिश होगी कि भारी बहुमत से हम झाबुआ उप चुनाव जीतेंगे'.