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MP News: संस्कृति विभाग के अनुदान में ‘खेला’, प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर, जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

MP News: मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की कला संस्कृति साहित्य के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं के लिए जारी हुई अनुदान सूची सवालों के घेरे में हैं. सवाल इसलिए कि विभाग ने उन संस्थाओं को अनुदान के लायक ही नहीं समझा, जो कला संस्कृति और रंगमंच के क्षेत्र में देश- दुनिया में मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं. करीब एक करोड़ 90 लाख की अनुदान राशि की जो सूची जारी की गई हैं, उसमें 365 संस्थाओं के नाम दर्ज हैं. (MP Cultural institutions Grant list) (MP Government Grant status list) (MP Right Wing Politics in Cultural Institutions) (MP BJP Erasing Leftist Thought)

MP Cultural institutions Grant list
प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं
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Published : Sep 2, 2022, 6:48 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 9:59 AM IST

भोपाल। हैरत की बात ये है कि कला संस्कृति और थियेटर में काम करने वाली संस्थाएं भले बाहर हुई हों लेकिन एनजीओ को सूची में एंट्री मिल गई है. सवाल उठ रहे हैं कि इन संस्थाओं का चुनाव किसका है. और सवाल ये भी कि क्या एक खास विचारधारा से जुड़ी संस्थाओं को नवाज़ने संस्कृति विभाग ने ये खेला किया है. (MP Art culture institutions)

grant list released for institutions working
प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

एक ही परिवार में दो जगह बंटा अनुदान : संस्कृति विभाग की इस सूची में कई हैरान करने वाले तथ्य हैं. 365 संस्थाओंं की सूची में दो सौ के ऊपर संस्थाएं अकेले भोपाल की हैं, जिन्हें अनुदान दिया गया है. बाकी के बचे 51 जिलो की केवल 156 संस्थाओं को ही अनुदान के लिए चुना गया. सवाल ये कि क्या कला संस्कृति साहित्य और थियेटर के क्षेत्र में सारा सृजन भोपाल में ही हो रहा है. यहां भी कई संस्थाएं ऐसी हैं जहां एक ही परिवार के दो सदस्यों की अलग अलग संस्थाओं को अनुदान राशि बंट गई है.

भारी पक्षपात का आरोप : खास बात ये है कि बड़ी तादाद इनमें ऐसी संस्थाओं की है, जिन्हें अनुदान के नाम पर दस हजार की राशि दी गई है. थियेटरकर्मी की निगाह में इतनी राशि में तो एक बार के हॉल की बुकिंग भी संभव नहीं है. बाकी थियेटर को बढ़ा पाना तो दूर की बात. आरोप ये भी लगाया जा रहा है कि अनुदान के नाम पर जो खांटी आरएसएस से जुड़ी संस्थाएं हैं, उन्हें नवाज़ने का काम किया गया है. एमपी का नाम रोशन करने वाली संस्थाएं सूची से बाहर सूची से बाहर की गई हैं. संस्थाओं में रंग विदूषक का नाम उल्लखेनीय है. जिसके सचिव दिवंगत बंसी कौल को विशिष्ट अवदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री की उपाधि से नवाज़ा था. लिटिल बैले ट्रुप जैसी संस्था को विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय महाराज मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया गया है. इसी संस्था से जुड़ी गुलवर्धन को भारत सरकार ने पदम श्री से नवाज़ा. रंगकर्मी के जी त्रिवेदी जिन्हें हाल ही में सरकार ने शिखर सम्मान से नवाज़ा, उनकी संस्था को भी अनुदान सूची से बाहर कर दिया गया.

grant list released for institutions working
प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

विक्रम पुरस्कार बांटे जाने में पक्षपात का आरोप, हाईकोर्ट ने खेल विभाग को दिया नोटिस

अनुदान के लिए चुनाव किसने किया : रंगकर्मी बिशना चौहान सागर गुंचा नटरंग कल्चरल एवं वेलफेयर सोसायटी की अपनी संस्था के जरिए थियेटर के बीज नई पीढी में बो रही हैं. बिशना का सवाल है कि मुझे नामचीन और काम करने वाली संस्थाओं को अनुदान ना देना उतना बुरा नहीं लगा, उससे ज्यादा अनुदान के नाम पर दिए गए दस हजार रुपए ने दुखी कर दिया. सबसे बड़ा सवाल है कि ये चयन है किसका. किसने ये चुनाव किया. हमें लगता है कि भावी समय में चयन समिति में कम से कम पांच वरिष्ठ लोग कला संस्कृति और साहित्य से होने ही चाहिए, ताकि कला कलाकारों तथा संस्थाओं के साथ पूर्ण न्याय हो. लिटिल बैले ट्रूप की सचिव निरुपा जोशी का कहना है कि अनुदान देना व ना देना विभाग की स्वतंत्रता है. लेकिन ये स्पष्ट होना चाहिए कि आधार क्या. चयन किसने किया. क्या सारी संस्थाओँ से तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट ली गई है संस्थाओं से जिन्हे पहली ही बार में अनुदान के काबिल समझ लिया गया. उनकी काबिलियत देखी गई.

grant list released for institutions working
प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

(MP Art culture institutions) (MP Government Grant status list) (MP Right Wing Politics in Cultural Institutions) (MP BJP Erasing Leftist Thought) (Shivraj Right Wing Politics)

भोपाल। हैरत की बात ये है कि कला संस्कृति और थियेटर में काम करने वाली संस्थाएं भले बाहर हुई हों लेकिन एनजीओ को सूची में एंट्री मिल गई है. सवाल उठ रहे हैं कि इन संस्थाओं का चुनाव किसका है. और सवाल ये भी कि क्या एक खास विचारधारा से जुड़ी संस्थाओं को नवाज़ने संस्कृति विभाग ने ये खेला किया है. (MP Art culture institutions)

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प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

एक ही परिवार में दो जगह बंटा अनुदान : संस्कृति विभाग की इस सूची में कई हैरान करने वाले तथ्य हैं. 365 संस्थाओंं की सूची में दो सौ के ऊपर संस्थाएं अकेले भोपाल की हैं, जिन्हें अनुदान दिया गया है. बाकी के बचे 51 जिलो की केवल 156 संस्थाओं को ही अनुदान के लिए चुना गया. सवाल ये कि क्या कला संस्कृति साहित्य और थियेटर के क्षेत्र में सारा सृजन भोपाल में ही हो रहा है. यहां भी कई संस्थाएं ऐसी हैं जहां एक ही परिवार के दो सदस्यों की अलग अलग संस्थाओं को अनुदान राशि बंट गई है.

भारी पक्षपात का आरोप : खास बात ये है कि बड़ी तादाद इनमें ऐसी संस्थाओं की है, जिन्हें अनुदान के नाम पर दस हजार की राशि दी गई है. थियेटरकर्मी की निगाह में इतनी राशि में तो एक बार के हॉल की बुकिंग भी संभव नहीं है. बाकी थियेटर को बढ़ा पाना तो दूर की बात. आरोप ये भी लगाया जा रहा है कि अनुदान के नाम पर जो खांटी आरएसएस से जुड़ी संस्थाएं हैं, उन्हें नवाज़ने का काम किया गया है. एमपी का नाम रोशन करने वाली संस्थाएं सूची से बाहर सूची से बाहर की गई हैं. संस्थाओं में रंग विदूषक का नाम उल्लखेनीय है. जिसके सचिव दिवंगत बंसी कौल को विशिष्ट अवदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री की उपाधि से नवाज़ा था. लिटिल बैले ट्रुप जैसी संस्था को विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय महाराज मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया गया है. इसी संस्था से जुड़ी गुलवर्धन को भारत सरकार ने पदम श्री से नवाज़ा. रंगकर्मी के जी त्रिवेदी जिन्हें हाल ही में सरकार ने शिखर सम्मान से नवाज़ा, उनकी संस्था को भी अनुदान सूची से बाहर कर दिया गया.

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प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

विक्रम पुरस्कार बांटे जाने में पक्षपात का आरोप, हाईकोर्ट ने खेल विभाग को दिया नोटिस

अनुदान के लिए चुनाव किसने किया : रंगकर्मी बिशना चौहान सागर गुंचा नटरंग कल्चरल एवं वेलफेयर सोसायटी की अपनी संस्था के जरिए थियेटर के बीज नई पीढी में बो रही हैं. बिशना का सवाल है कि मुझे नामचीन और काम करने वाली संस्थाओं को अनुदान ना देना उतना बुरा नहीं लगा, उससे ज्यादा अनुदान के नाम पर दिए गए दस हजार रुपए ने दुखी कर दिया. सबसे बड़ा सवाल है कि ये चयन है किसका. किसने ये चुनाव किया. हमें लगता है कि भावी समय में चयन समिति में कम से कम पांच वरिष्ठ लोग कला संस्कृति और साहित्य से होने ही चाहिए, ताकि कला कलाकारों तथा संस्थाओं के साथ पूर्ण न्याय हो. लिटिल बैले ट्रूप की सचिव निरुपा जोशी का कहना है कि अनुदान देना व ना देना विभाग की स्वतंत्रता है. लेकिन ये स्पष्ट होना चाहिए कि आधार क्या. चयन किसने किया. क्या सारी संस्थाओँ से तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट ली गई है संस्थाओं से जिन्हे पहली ही बार में अनुदान के काबिल समझ लिया गया. उनकी काबिलियत देखी गई.

grant list released for institutions working
प्रतिष्ठित कला थियेटर संस्थाएं बाहर जिन्हें नवाजा उन्हें मदद नहीं

(MP Art culture institutions) (MP Government Grant status list) (MP Right Wing Politics in Cultural Institutions) (MP BJP Erasing Leftist Thought) (Shivraj Right Wing Politics)

Last Updated : Sep 3, 2022, 9:59 AM IST
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