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यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव का राज्यपाल ने किया शुभारंभ, कहा- युवाओं के कंधो पर है भारतीय परंपरा की जिम्मेदारी

यंग थिंकर्स कॉनक्लेव कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. कार्यक्रम में देश विदेश के युवाओं की भारी संख्या में उपस्थिति के बीच में युवाओं के जीवन को लेकर आए हुए वक्ताओं ने प्रकाश डाला.

यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव का राज्यपाल ने किया शुभारंभ
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Published : Sep 8, 2019, 6:02 AM IST

भोपाल| राजधानी के एक निजी कॉलेज में दो दिवसीय यंग थिंकर्स कॉनक्लेव कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. भारतीय ज्ञान परंपराओं को लेकर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में देश विदेश के युवाओं की भारी संख्या में उपस्थिति के बीच में युवाओं के जीवन को लेकर आए हुए वक्ताओं ने प्रकाश डाला.

यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव का राज्यपाल ने किया शुभारंभ


इस अवसर पर राज्यपाल लालजी टंडन ने कार्यक्रम में आये डेलीगेट्स और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम अपनी मूल जड़ों से दूर हो जाते हैं, तो हमारी पहचान भी खत्म हो जाती है. गुलामी के दौरान लोगों ने हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान को बदलने की कोशिश की गई. हमारी शिक्षा पद्धति का मूलमंत्र श्रुति और स्मृति रहा है, हम ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारी जड़ें हजारों साल पुरानी भारतीय ज्ञान परंपरा में रही हैं. उन्होंने युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की जिम्मेदारी वर्तमान दौर में सभी युवाओं की है.


टैलेंट हंट में प्रदेशभर से चयनित युवाओं ने सिंगिंग, डांस, स्टैंड- अप कॉमेडी के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. सेशन में 'मीडिया एंड द आर्ट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग नैरेटिव' विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया.

भोपाल| राजधानी के एक निजी कॉलेज में दो दिवसीय यंग थिंकर्स कॉनक्लेव कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया. भारतीय ज्ञान परंपराओं को लेकर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में देश विदेश के युवाओं की भारी संख्या में उपस्थिति के बीच में युवाओं के जीवन को लेकर आए हुए वक्ताओं ने प्रकाश डाला.

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इस अवसर पर राज्यपाल लालजी टंडन ने कार्यक्रम में आये डेलीगेट्स और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम अपनी मूल जड़ों से दूर हो जाते हैं, तो हमारी पहचान भी खत्म हो जाती है. गुलामी के दौरान लोगों ने हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान को बदलने की कोशिश की गई. हमारी शिक्षा पद्धति का मूलमंत्र श्रुति और स्मृति रहा है, हम ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारी जड़ें हजारों साल पुरानी भारतीय ज्ञान परंपरा में रही हैं. उन्होंने युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की जिम्मेदारी वर्तमान दौर में सभी युवाओं की है.


टैलेंट हंट में प्रदेशभर से चयनित युवाओं ने सिंगिंग, डांस, स्टैंड- अप कॉमेडी के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. सेशन में 'मीडिया एंड द आर्ट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग नैरेटिव' विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया.

Intro:भारतीय ज्ञान परम्परा न नूतन, न पुरातन,यह सनातन है - राज्यपाल

भोपाल | राजधानी के एक निजी कॉलेज में दो दिवसीय यंग थिंकर्स कॉनक्लेव कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया . भारतीय ज्ञान परंपराओं को लेकर आयोजित किए गए. इसे कार्यक्रम में देश विदेश के युवाओं की भारी संख्या में उपस्थिति के बीच में युवाओं के जीवन को लेकर आए हुए वक्ताओं ने प्रकाश डाला . यहां आए हुए सभी वक्ताओं ने वक्त के साथ भारतीय सोच में भी जिस तरह से परिवर्तन आया है उसे लेकर अपने अपने विचार रखें . साथ ही भारतीय ज्ञान और परंपरा का निर्वाहन कितने वर्षों से लगातार किया जा रहा है इन सभी विषयों पर वक्ताओं ने अपने अपने विचारों से युवाओं को अवगत कराया . Body:इस अवसर पर राज्यपाल लालजी टंडन ने कार्यक्रम में आये डेलीगेट्स और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम अपनी मूल जड़ों से दूर हो जाते हैं तो हमारी पहचान भी खत्म हो जाती है . गुलामी के दौरान लोगों ने हमारी संस्कृति, सभ्यता, ज्ञान को बदलने की कोशिश की . हमारी शिक्षा पद्धति का मूलमंत्र श्रुति और स्मृति रहा है, हम ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमारी जड़ें हजारों साल पुरानी भारतीय ज्ञान परंपरा में रही हैं . उन्होंने युवाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की जिम्मेदारी वर्तमान दौर में आप सभी युवाओं की है .

राज्यपाल ने कहा है कि जब हम अपने देश के पुरातन इतिहास का अध्ययन करते हैं, तो पाते हैं कि हमारे ऋषियों-मुनियों ने प्रकृति की छाया में बैठकर ज्ञान परम्परा को प्रतिष्ठापित किया . यहीं से श्रुति-स्मृति परम्परा की शुरूआत हुई . पीढ़ी दर पीढ़ी यही चिंतन, श्रुति और स्मृति के रूप में हमारे बीच मौजूद है . इस संपदा को बार-बार नष्ट करने की कोशिश की गई परंतु भारतीय संस्कृति, संस्कार और परम्परा ने इसे नष्ट होने से बचाया . Conclusion:लालजी टंडन ने कहा कि किसी भी देश के जीवन-काल में विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं . भारत में भी कुछ समय के लिये चिंतन के अभाव में विकृतियाँ पैदा हुई, परंतु अब समय आ गया है कि आज के युवा उस चिंतन, श्रुति-स्मृति परम्परा और देश की बहुमूल्य ज्ञान-सम्पदा को आत्मसात कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें .

राज्यपाल ने कहा कि आज हम पेपरलेस व्यवस्था की बात करते हैं परंतु हमारे देश में तो बरसों पहले से ही पेपरलेस व्यवस्था रही है . कबीर जैसे चिंतक निरक्षर थे परंतु उनकी ज्ञान-धारा पर आज भी शोध हो रहे हैं .

भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान के चेयरपर्सन कपिल श्रीवास्तव ने बताया कि वे अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. जब जे.एन.यू में पाणिनि, भृर्तहरि और पतंजलि के बारे में सुना, तो अध्ययन- अध्यापन की धारा ही बदल गई. फिर इन महान ऋषियों के बारे में पढ़ाना शुरू किया.

टैलेंट हंट में प्रदेशभर से चयनित युवाओं ने सिंगिंग,डांस,स्टैंड- अप कॉमेडी के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. सेशन में 'मीडिया एंड द आर्ट ऑफ मैन्युफैक्चरिंग नैरेटिव' विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया जिसमें शेफाली वैद्य, आनंद रंगनाथन और राहुल रोशन ने भाग लिया .

कानक्लेव के निदेशक आशुतोष सिंह ठाकुर ने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा और औपनिवेशिकता से भारतीय मानस की मुक्ति को लेकर समसामयिक परिवेश में पुन-र्जागरण जरूरी है. उन्होंने बताया कि देश-विदेश से लगभग 150 युवा कॉनक्लेव में शामिल हुए हैं. ये युवा दो दिवसीय आयोजन में कृषि, विज्ञान, भारतीय ज्ञान-परम्परा सहित भारत की दशा और दिशा के संबंध में मंथन करेंगे.
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