भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ट्रांसफर पोस्टिंग की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए जल्द ही हरियाणा मॉडल लागू करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए हरियाणा की तबादला नीति का अध्ययन किया जा रहा है. दरअसल, मध्य प्रदेश में पिछले सालों में की गई तमाम कोशिशों के बाद भी तबादलों की विसंगतियों को दूर नहीं किया जा सका है. हर बार ट्रांसफर पोस्टिंग में लेन-देन को लेकर सवाल उठते रहे हैं, सरकार की कोशिश है कि ट्रांसफर पोस्टिंग को कंप्यूटर आधारित कर लेन देन पर लगाम लगाई जाए.
मध्य प्रदेश में ट्रांसफर को लेकर हर बार नियम तय किए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर खामियां सामने आती रहती हैं. कमलनाथ सरकार के दौरान भी तबादलों को लेकर नीति तय की गई थी. शिक्षा विभाग में ऑनलाइन आवेदन के बाद ट्रांसफर किए गए. इसके बाद भी आदिवासी क्षेत्रों के कई स्कूल शिक्षक बिन रह गए और कई जिलों में क्षमता से ज्यादा टीचर पहुंच गए.
तबादला नीति में कई खामियां
- पति-पत्नी की साथ पोस्टिंग का नियम है, लेकिन इसका पूरी तरह से पालन नहीं होता.
- ट्रांसफर के बाद रिलीव नहीं होने की स्थिति में कार्रवाई नहीं की जाती.
- लंबे समय तक कर्मचारी एक ही स्थान पर जमे रहते हैं.
- मुख्यालय पर ही रहने का नियम, लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होती.
- खाली पदों के बावजूद दूसरे स्थानों पर पदस्थापना हो जाती है.
हरियाणा की ट्रांसफर पॉलिसी
- हरियाणा में नवविवाहित और तलाकशुदा को मनमर्जी की पोस्टिंग का नियम है.
- 5 साल से ज्यादा एक जगह पर पदस्थ होने पर पद खाली श्रेणी में चला जाता है.
- 5 साल से ज्यादा होने पर आवेदन करना होता है. आवेदन नहीं तो कहीं भी पदस्थापना कर दी जाती है.
- 300 से ज्यादा पद वाले विभागों में ऑनलाइन तबादला होता है.
- पूर्व तबादलों की ट्रैकिंग होती है, लंबे समय से जमे कर्मचारी अधिकारियों को सबसे पहले हटाया जाता है.
- द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के तबादलों के अधिकार निश्चित समय अवधि में मंत्री को होते हैं.
- शिक्षा में गर्ल्स स्कूलों में 50 साल से कम उम्र के शिक्षकों को नहीं रखा जाता.
सीएम दे चुके नसीहत, तबादलों की दलाली करने वालों से बचें
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले दिनों हुए मंथन के दौरान सभी मंत्रियों को नसीहत दे चुके हैं कि ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सभी मंत्री बचें. साथ ही अपने आस-पास जो लोग मीठी-मीठी बातें करते हैं और ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए सिफारिशें करते हैं, ऐसे लोगों को लेकर सतर्क रहें, ऐसे लोग ट्रांसफर पोस्टिंग की सिफारिशें कराते हैं और बाहर निकलते ही कहते हैं काम हो गया. इसमें बदनामी मंत्री और सरकार की होती है. पिछली कमलनाथ सरकार तबादलों को लेकर हमेशा बीजेपी के निशाने पर रही थी, यही वजह है कि सरकार अपने मंत्रियों को नसीहत दे चुके हैं, ताकि ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सरकार पर उंगलियां ना उठें.
कर्मचारी संगठन नियमों का हो पालन
सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार के मुताबिक सरकार हरियाणा मॉडल पर तबादला नीति लेकर आने की तैयारी कर रही है. इसके लिए तबादला नीति का अध्ययन करने के निर्देश दिए गए हैं. उसके बाद ही तबादले किए जाएंगे. उनके मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य, पुलिस विभाग में ही 70 फीसदी तक तबादले होते हैं. पिछले साल स्कूल शिक्षा विभाग में भारी तबादले हुए इसकी वजह से आदिवासी क्षेत्रों के कई स्कूलों में शिक्षक ही नहीं बचे, लेकिन इस बार एक नीति के तहत ही तबादले होंगे. उधर राज्य मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक के मुताबिक तबादला नीति को लेकर हर साल नियम बनते हैं, लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब इन्हें नियमों का पालन ना कर तबादले होना शुरू हो जाते हैं. पसंद के कर्मचारियों को उनकी मनपसंद जगह पर भेजा जाता है.