भोपाल। पोषण आहार के प्लांट की जिम्मेदारी बदलने पर सियासत गर्मा सकती है. नेता प्रतिपक्ष ने सरकार के इस फैसले को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकर गरीब परिवारों के मासूम बच्चों के पेट का निवाला छीनकर माफियाओं को सुपुर्द कर रही है.
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश के बच्चों और महिलाओं सर्वाधिक कुपोषित हैं. कुपोषण को दूर करने के 2 साल पहले बीजेपी की सरकार में पोषण आहार के इस काम को महिलाओं के स्व सहायता समूह के जिम्मे करने का फैसला लिया था, ताकि बच्चों तक सुव्यवस्थित आहार पहुंचे, उन्होंने बताया कि पोषण आहार का ये काम आजीविका मिशन के जरिए किया जाना था.
कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की
सुप्रीम कोर्ट और इंदौर हाइकोर्ट की खंडपीठ ने भी इस बारे में निर्देश दिए थे, लेकिन कमलनाथ सरकार ने बुधवार को कैबिनेट में न्यायालयों के निर्देशों की अवहेलना की साथ ही तत्कालीन बीजेपी सरकार के आदेश को भी पलटकर इसे एमपी एग्रो के माध्यम से दलालों को सौंपने का फैसला लिया, जो कि निंदनीय है.
कमलनाथ सरकार छीन रही गरीबों का निवाला
गोपाल भार्गव ने कहा कि एग्रो के माध्यम से पोषण आहार माफिया अब लगातार अपना लूट का कारोबार चलाएंगे. इस कारोबार से पोषण आहार माफियाओं की काली कमाई कम से कम 2 हजार करोड़ प्रति वर्ष होगी. कांग्रेस सरकार गरीब परिवारों के मासूम बच्चों के पेट का निवाला छीनकर माफियाओं को सुपुर्द कर रही है, इससे बड़ा पाप और कोई नहीं हो सकता है.
'विभाग और ठेकेदारों की मिली-जुली साजिश'
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार में नेता-अधिकारी लगातार भ्रष्टाचार कर रहे हैं. ऐसा कोई विभाग नहीं बचा, जहां भ्रष्टाचार नहीं हो रहा हो, लेकिन कम से कम कुपोषित बच्चे और उनकी माताओं को मिलने वाले पोषण आहार को बख्श दें. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने पोषण आहार माफियाओं को सौंपने की ये दलील दी कि वो उसे नहीं चला पाएंगे. ये ठेकेदारों और विभाग की मिली जुली साजिश है.
शीत कालीन सत्र में होगी चर्चा
गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में मासूम कुपोषित बच्चों के आहार के इस विषय पर स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा कराई जाएगी, कैबिनेट में न्यायालय के विरुद्ध जो फैसला लिया गया है. वो सीधे अवमानना की परिधि में आता है. प्रदेश सरकार के विरुद्ध न्यायालय कि अवमानना भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाएगी.