भोपाल। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने शनिवार को ज़ूम एप्प के माध्यम से मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई 'जय किसान फसल ऋण माफी योजना' का ब्यौरा देते हुए कि किसानों के लिए वरदान साबित हुई ऋणमाफी योजना बंद करेंगे या चालू रखेंगे. इसका मुख्यमंत्री को जवाब देना होगा. इसके अलावा उन्होंने प्रदेश सहित केन्द्र सरकार पर भी कई आरोप लगाए.
पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने बताया कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना के प्रथम चरण में 20.22 लाख किसानों का 7 हज़ार 137 करोड़ रुपये का कर्ज़ माफ हुआ है. इनमें 10 लाख 30 हज़ार एनपीए (कालातीत - डिफॉल्टर) 2 लाख तक का और 9 लाख 92 हज़ार किसानों के चालू खातों का 50 हज़ार तक का माफ हुआ है.
द्वितीय चरण में 1 लाख 87 हज़ार किसानों के चालू खातों (50 हज़ार से 1 लाख) तक का लगभग 2 हज़ार करोड़ का कर्ज माफ की स्वीकृति दे चुके थे, द्वितीय चरण में कुल 6 लाख 61 हज़ार 347 किसानों का 4 हज़ार 456 करोड़ का कर्ज माफ करने की योजना थी.
वहीं तृतीय चरण में 1 लाख से लेकर 2 लाख तक चालू खाताधारक किसानों को सम्मिलित करना था, जिसमें 4 लाख 80 हज़ार 897 किसानों के 6 हज़ार 836 करोड़ रुपये के ऋण माफी की योजना थी. उन्होंने बताया कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना में जनता के साथ-साथ भाजपा के नेताओं का कर्ज़ भी माफ हुआ है. इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के परिजन रोहित सिंह निरंजन सिंह, झाबुआ से भाजपा प्रत्याशी बालू भूरिया के माता-पिता, कृषि मंत्री कमल पटेल की पत्नी रेखा बाई पटेल का 45 हज़ार 428 रुपये का कर्ज माफ हुआ है.
उद्यानिकी फसलों के लिए राहत राशि
कृषि मंत्री ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को 7 मई को पत्र लिखकर प्रदेश के फल और सब्जी उत्पादक किसानों की लॉकडाउन की वजह से खराब हो रही फसलों का मुआवजा देने की मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया है. प्रदेश का प्याज़-टमाटर उत्पादक किसानों को अपनी फसलों के दाम नहीं मिल रहे हैं. टमाटर के उचित दाम नहीं मिलने से किसान अपने टमाटर जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं. प्याज़ 1-2 रुपये किलो बेचने को मजबूर हैं, जबकि हमारी सरकार ने मुख्यमंत्री प्याज प्रोत्साहन योजना में खरीदी की थी, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिला था.
किसानों के साथ हो रही मारपीट
प्रदेशभर में किसानों की कड़ी मेहनत से इस साल गेंहू की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन भाजपा सरकार में किसानों की गेंहू खरीदी केंद्रों पर तुलाई के लिए 4-5 दिन लग रहे है. जब तक किसान अपनी उपज तुलाई के लिए पहुंचता है, तो उसके एसएमएस की वैधता ही खत्म हो जाती है. उपार्जन केंद्रों पर ट्रैक्टरों की 3 से 4 किमी की लाइनें लगी हुई है, किसानों की पिटाई की जा रही है. श्योपुर और रायसेन जिले में हुई घटनाओं से यह बात साबित होती है. श्योपुर में तहसीलदार ने किसानों के साथ मारपीट की, तो वहीं रायसेन में हम्मालों ने किसानों के साथ मारपीट की.
आर्थिक पैकेज में किसानों को कुछ नहीं
सचिन यादव ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि तीन दिन में किसानों का भुगतान हो रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि 10-10 दिन बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हो पा रहा है. वहीं चना खरीदी में भी किसानों को परेशान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कहते हैं कि हम 2100 रुपये में किसानों की मिट्टी भी खरीद लेंगें, जबकि हक़ीक़त में अगर चने में एक भी तेवड़ा, मसूर या गेंहू का दाना मिल जाए तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. पूर्व मंत्री यादव ने कहा कि मोदी सरकार अपने आपको किसान हितेषी बताती है, लेकिन लॉकडाउन के पैकेज में किसानों को कोई भी राहत प्रदान नहीं दी गई है.
केंद और प्रदेश सरकार को नहीं किसानों की चिंता
सचिन यादव ने कहा कि कांग्रेस, शिवराज सरकार से मांग करती है कि सभी किसानों को 10-10 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने की घोषणा करे. कृषि मंत्री रहे सचिन यादव ने कई आरोप लगाते हुए सरकार को किसान विरोधी सरकार बाताया. उनका कहना है राज्य और केन्द्र सरकार देश के किसानों के बारे में बात नहीं करती है. एक और जहां केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए कोरोना पैकेज में किसानों का जिक्र नहीं हैं, वहीं प्रदेश सरकार भी किसानों को कोई राहत नहीं दे रही है.