भोपाल. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura tiger reserve) के प्रतिबंधित क्षेत्र में मंत्री विजय शाह (Minister Vijay Shah) की अपने दोस्त के साथ चिकन पार्टी (Chicken party) की जांच 22 दिन बाद पूरी हो गई. जांच में आधा दर्जन अधिकारी-कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए और रिपोर्ट पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को भेज दी गई है. बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित क्षेत्र में निजी गाड़ी का प्रवेश हुआ था. जांच में कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की बातें भी सामने आ रही हैं. बताया जा रहा है कि वनकर्मियों पर मामले में कार्रवाई हो सकती है.
क्या है वन मंत्री की चिकन पार्टी का मामला?
दरअसल, पिछले दिसंबर पूर्व वन मंत्री विजय शाह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura tiger reserve) के प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंच गए थे. इसके बाद वाइल्ड लाइफ कार्यकर्ता अजय दुबे ने मंत्री द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में चिकन पार्टी करने की शिकायत की थी. शिकायत के बाद दो वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसमें तत्कालीन वन मंत्री विजय शाह अपने दोस्त के साथ दिखाई दे रहे थे. मामले के तूल पकड़ने के बाद वन विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
22 दिन में चिकन पार्टी की जांच पूरी
19 दिसंबर को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर संदीप फैलोज ने इस मामले की जांच शुरू की, जिसे पूरा होने में 22 दिन लग गए. बताया जाता है कि जांच के दौरान रोरीघाट पर पूर्व वन मंत्री विजय शाह के साथ वीडियो में नजर आने वाले सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए. जांच में सामने आया है कि सिद्धबाबा चेक पोस्ट को देखने की पूर्व मंत्री विजय शाह ने इच्छा जताई थी, जिसके बाद वहां मौजूद स्टाफ ने उन्हें वहां का निरीक्षण कराया था. चिकन बनाए जाने के मामले में कहा गया है कि चौकी पर स्टाफ मौजूद रहता है, जो वहीं पर भोजन पकाता है.
इनपर हो सकती है कार्रवाई
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन के फील्ड डायरेक्टर एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ कार्यालय को भेज दी गई है. सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के बयानों के बाद माना जा रहा है कि मंत्री को जंगल के प्रतिबंधित क्षेत्र में ले जाने वाले स्टाफ पर इस मामले में कार्रवाई हो सकती है. बता दें कि सतपुड़ा के घने जंगल में चिकन पार्टी की वजह से विवादों में घिरे पूर्व वन मंत्री विजय शाह अब प्रदेश की मोहन सरकार में फिर मंत्री बन गए हैं. हालांकि, अब वे वन मंत्री नहीं है, लेकिन पुराना विवाद उनके गले पड़ा हुआ है.