भोपाल। राजधानी भोपाल का स्ट्रीट फूड काफी मशहूर है, यहां की गलियों में परोसे जाने वाले जायके का स्वाद लोगों को काफी लुभाता है. स्ट्रीट फूड की खासियत है कि, कम पैसे में स्वादिष्ट और जायकेदार खाना मिल जाता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन लजीज जायकों पर भी ताला लग गया है. जिससे सबसे ज्यादा परेशानी लोगों की थाली में भोपाल के अलग-अलग जायकों को परोसने वालों के सामने आ गया है. हाकर्स कॉर्नर लगा के अपने परिवार का पेट पालने वाले अब लाचार हो गए हैं. ऐसे में अब इन लोगों को घर-घर सब्जी बेचकर परिवार का पेट पालना पड़ रहा है.
शहर के सुभाष नगर इलाके में रहने वाले इस्माइल खान लॉकडाउन के पहले सड़क किनारे भाई के साथ चाउमीन का स्टॉल लगाते थे. साथ में फॉल सीलिंग का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी को बेपटरी कर दिया है. इस्माइल का कहना है कि, शुरुआत के एक माह तो घर बैठे रहे, लेकिन जब जमा पूंजी खत्म हो गई, तो अब हाथ ठेले से घर-घर सब्जी बेचकर घर चलाना पड़ रहा है.
वहीं शहर के 6 नंबर स्थित हॉकर्स कार्नर में फास्ट फूड का स्टॉल लगाने वाले संतोष जोगी का कहना है कि, पिछले 2 माह बहुत भारी गुजरे हैं. घर पर छोटा भाई और बुजुर्ग मां के पालन पोषण के लिए अब वे घर-घर जाकर सैनिटाइजर बेचने का काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि, डर लगता है कि कहीं वे खुद कोरोना का शिकार ना हो जाएं, लेकिन पेट की आग कोरोना के डर से कहीं ज्यादा बड़ी है. बता दें कि, मध्य प्रदेश में करीब एक लाख 20 हजार रजिस्टर्ड पथ विक्रेता है.
प्रदेश सरकार देगी 10 हजार रुपए की मदद
हॉकर्स कॉर्नर और सड़क किनारे खड़े होकर खाने-पीने के स्टाल लगाकर रोजी रोटी चलाने वाले लोगों की सुध प्रदेश सरकार ने भी ली है. राज्य सरकार ने तय किया है कि ऐसे रजिस्टर्ड स्ट्रीट वेंडर्स को दस हजार रुपए की आर्थिक मदद देने का निर्णय किया है. ऐसे तमाम रजिस्टर्ड स्ट्रीट वेंडर को यह मदद की जाएगी. सरकार के इस कदम से स्ट्रीट वेंडर को थोड़ी राहत मिलेगी. हालाकि जिंदगी पूरी तरह से तब ही पटरी पर लौटेगी जब कोरोना का संकट खत्म होगा और लोग बिना भय के बाहर निकलना शुरु करेंगे.