भोपाल/ अहमदाबाद। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस अपने पैर पसार रहा हैं. गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाला 13 वर्षीय बच्चा ब्लैक फंगस से संक्रमित हो गया हैं. यह गुजरात का पहला मामला है.
यह बच्चा पहले कोरोना से संक्रमित हुआ था, जिसके बाद अब वह ब्लैक फंगस का शिकार हो गया. फिलहाल उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है. बता दें कि, बच्चे की मां का कोरोना के चलते निधन हो गया था.
क्या है ब्लैक फंगस ?
यह एक ऐसा फंगस इंफेक्शन है, जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है. कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है, जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है.
कहां करता है अटैक ?
म्यूकोर्मिकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. डॉक्टरों के मुताबिक अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मरीज की मौत भी हो सकती है. यह इन्फेक्शन साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेता है. इसके बाद शरीर में फैल जाता है. इसे रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा तक निकालना पड़ता है.
कैसे बनाता है शिकार ?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से व्यक्ति ब्लैक फंगल के इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है. स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है.
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ब्लैक फंगस के लक्षण
बुखार आना, सर दर्द होना, खांसी आना या सांस फूलना, आंखों में लालपन या आंख में दर्द होना, आंख में सूजन आ जाए या आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखाई देना बंद हो जाए, चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्नपन हो, दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करें, उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए
कैसे होते हैं ब्लैक फंगस के शिकार ?
ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस बीमारी म्यूकरमाइसिटीज नामक फंगस से होती है. यह फंगस हमारे वातावरण जैसे हवा, नमी वाली जगह, मिट्टी, गिली लकड़ी और सीलन भरे कमरों आदि में पाई जाती है. स्वस्थ लोगों को यह फंगस कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें इस फंगस से इंफेक्शन का खतरा है.
इस तरह करे ब्लैक फंगस से बचाव
- ब्लैक फंगस से बचने के लिए हमेशा मास्क पहनकर रखे, भीड़भाड़ वाली और धूल भरी जगहों पर जाने से बचें.
- गीली मिट्टी, खाद, कीचड़ वाली जगहों पर अपने आप को सुरक्षित करके जाएं. फुल स्लीव शर्ट पहने और साफ सफाई का ख्याल रखें.
- डायिबटीज पर नियंत्रण रखें, कोरोना से रिकवर होने के बाद अपने शुगर लेवल को मॉनिटर करते रहें.
- एंटीबायोटिक और एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के सलाह लेने पर ही करें.
- ब्लैक फंगस के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करें बंद नाक वाली स्थिति को बैरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें.
- ब्लैक फंगस मरीज की आंख, नाक और जबड़े को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए लक्षण आने पर समय रहते इसका इलाज करें.
किन लोगों के लिए घातक है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस ऐसे लोगों पर खासतौर पर असर डालता है, जिनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी कमजोर होती है. मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों के लिए आमतौर पर ब्लैक फंगस खास खतरा नहीं होता है.
फंगस इन्फेक्शन पहले बहुत कम होते थे.यह उन लोगों में दिखता था जिनका शुगर बहुत ज्यादा हो, इम्युनिटी बहुत कम हो या कैंसर के ऐसे पेशंट्स हैं जो कीमोथैरपी पर हैं, लेकिन अब इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं.
फंगल इंफेक्शन का क्या है उपचार ?
किसी मरीज में ब्लैक फंगस का संक्रमण सिर्फ एक त्वचा से भी शुरू होता है, जो शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है. इसके उपचार में सभी मृत और संक्रमित ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है. कुछ मरीजों में के ऊपरी जबड़े या कभी-कभी आंख निकालना पड़ जाता है. इलाज में एंटी-फंगल थेरेपी का चार से छह सप्ताह का कोर्स भी शामिल हो सकता है। चूंकि यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है, इसलिए इसके उपचार के लिए फीजिशियन के अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, सर्जन की टीम जरूरी है.
डाइबिटीज वालों को ज्यादा खतरा
- मधुमेह (डायबिटीज) से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है. इससे बचने के लिए शुगर कंट्रोल में रखने की कोशिश होनी चाहिए.
- स्टेरॉयड के अलावा कोरोना की कुछ दवाओं का उपयोग मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर डालता है. जब इन दवाओं का उचित उपयोग नहीं किया जाता है तो यह ब्लैक फंगस के खतरे को बढ़ा देता है, क्योंकि मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली फंगल संक्रमण से लड़ने में विफल रहती है.
- कोरोना से उबरने के बाद लोगों को ब्लैक फंगस के लक्षणों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए.
- इससे से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड का उचित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए.
- बीमारी के लक्षणों का जल्द पता लगने से इसके संक्रमण के उपचार में आसानी हो सकती है.