सूरत/भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दांडी यात्रा में शामिल हुए. सीएम ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि दांडी यात्रा करना उनके लिए सौभाग्य की बात है. इस यात्रा के जरिए उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों में श्रद्धा सुमन का अर्पित किया. सीएम ने कहा कि यह यात्रा पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत का संकल्प भी है. आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए हम अपने दायित्वों को पूरा करे यही संकल्प है.
- यात्रा देशभक्ति के जज्बे को रखती है जिंदा
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऐसी यात्राएं करते रहना चाहिए. ऐसी यात्राएं देश भक्ति का जज्बा हमारे दिलो में पैदा करती है. देश के प्रति जो नमक का फर्ज अदा करना है. उसको याद दिलाती हैं. फर्ज निभाने का मतलब है, कि पूरी निष्ठा इमानदारी से हम अपने करतव्यों का निर्वहन करें.
यह दांडी यात्रा 17 किलोमीटर की है. बता दें बुधवार को कैबिनेट और कोरोना समीक्षा की बैठक करने के बाद सीएम कल ही गुजरात के लिए रवाना हो गए थे. इस यात्रा को लेकर सीएम ने खुशी जताई थी.
- एक मुट्ठी नमक उठाकर महात्मा गांधी ने देश की किया था जागृत
महात्मा गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाकर पूरे देश को आजादी के लिए जागृत किया था. तभी से यह दांडी यात्रा जानी जाती है. इस दांडी यात्रा में सीएम शिवराज शामिल होंगे. सीएम ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे दांडी यात्रा के 75 साल पूरे होने पर फिर से आयोजित की जा रही दांडी यात्रा में शामिल होने का मौका मिला है. दांडी यात्रा एक ऐसा आंदोलन था, जिसमें महात्मा गांधी ने एक मुट्ठी नमक उठाकर पूरे देश को आजादी के लिए जागृत किया था.
- भरूच के प्रसिद्ध भगवान स्वामीनारायण मंदिर में सीएम ने की पूजा
सीएम शिवराज ने गुजरात भरूच के प्रसिद्ध भगवान स्वामीनारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की. सीएम ने पत्नी साधना के साथ फोटो ट्विटर पर डाली. सीएम ने लिखा मंदिरों के दर्शन के फोटो मां नर्मदा से यही प्रार्थना है कि हे मां सुख, समृद्धि, ऋद्धि-सिद्धि सबकी जिंदगी में आये. समृद्ध और विकसित मध्यप्रदेश का निर्माण हो, आत्मनिर्भर भारत बने, कोविड 19 खत्म हो और यहां से नदियों के संरक्षण व पर्यावरण को बचाने का संकल्प भी प्रबल हुआ है.
सात समंदर पार पहुंची 'सीता' की महिमा !
- मां रेवा के तट पर पहुंचे सीएम
सीएम ने दूसरे ट्वीट में लिखा मां नर्मदा केवल जल नहीं देतीं, इनके जल से खेतों में फसलें लहलहाती हैं, हमें बिजली मिलती है. जिस मां रेवा के तट पर एक नहीं, अनेक साधु-संतों ने तपस्या करके मानवता को नया मार्गदर्शन दिया है, आज उस रेवा मैया के पवित्र संगम स्थल, जहां समुद्र से आकर मिली हैं, यहां आकर हम धन्य हो गये.