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स्मार्ट सिटी दफ्तर में EOW ने की सर्चिंग, कई अहम दस्तावेज किए जब्त - Kamal Nath Government

शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई तेज कर दी है. शुक्रवार को EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की और कुछ जरूरी दस्तावेज भी जब्त किए हैं.

स्मार्ट सिटी दफ्तर में ईओडब्ल्यू ने की सर्चिंग
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Published : Nov 15, 2019, 2:45 PM IST

भोपाल। शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले को लेकर इओडब्ल्यू ने अब जांच तेज कर दी है. EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की है. बताया जा रहा है कि इओडब्ल्यू बार-बार स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से दस्तावेज मांग रहा था, लेकिन अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे, जिसके बाद शुक्रवार को EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर पहुंचकर सर्चिंग की और कुछ दस्तावेज भी जब्त किए.

स्मार्ट सिटी दफ्तर में ईओडब्ल्यू ने की सर्चिंग

कई अहम दस्तावेज जब्त

बताया जा रहा है कि, टीम ने यहां से प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिनकी अब जांच की जा रही है. माना जा रहा है कि जल्द ही EOW इस घोटाले को लेकर FIR भी दर्ज कर सकता है. साल 2017 में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट एचपीई कंपनी को 300 करोड़ रुपए में दिया गया था.

250 करोड़ के टेंडर के मामले का हो सकत है खुलासा

इस दौरान सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने एचपीई कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर जारी किया था, क्योंकि इस कंपनी में विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल सीनियर अधिकारी थे, जबकि इसी के लिए BSNL ने 250 करोड़ रुपये का टेंडर भरा था, लेकिन बीएसएनल को ये टेंडर नहीं दिया गया. साथ ही ये टेंडर जारी होने के महज 6 दिन पहले ही स्मार्ट सिटी की कंसलटेंट कंपनी पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी के बीच साथ में काम करने का करार कोलकाता में हुआ था. इस मामले में जांच के बाद खुलासा हो सकता है.

भोपाल। शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले को लेकर इओडब्ल्यू ने अब जांच तेज कर दी है. EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की है. बताया जा रहा है कि इओडब्ल्यू बार-बार स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से दस्तावेज मांग रहा था, लेकिन अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे, जिसके बाद शुक्रवार को EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर पहुंचकर सर्चिंग की और कुछ दस्तावेज भी जब्त किए.

स्मार्ट सिटी दफ्तर में ईओडब्ल्यू ने की सर्चिंग

कई अहम दस्तावेज जब्त

बताया जा रहा है कि, टीम ने यहां से प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिनकी अब जांच की जा रही है. माना जा रहा है कि जल्द ही EOW इस घोटाले को लेकर FIR भी दर्ज कर सकता है. साल 2017 में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट एचपीई कंपनी को 300 करोड़ रुपए में दिया गया था.

250 करोड़ के टेंडर के मामले का हो सकत है खुलासा

इस दौरान सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने एचपीई कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर जारी किया था, क्योंकि इस कंपनी में विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल सीनियर अधिकारी थे, जबकि इसी के लिए BSNL ने 250 करोड़ रुपये का टेंडर भरा था, लेकिन बीएसएनल को ये टेंडर नहीं दिया गया. साथ ही ये टेंडर जारी होने के महज 6 दिन पहले ही स्मार्ट सिटी की कंसलटेंट कंपनी पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी के बीच साथ में काम करने का करार कोलकाता में हुआ था. इस मामले में जांच के बाद खुलासा हो सकता है.

Intro:भोपाल- ईओडब्ल्यू की टीम ने आज स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की। बताया जा रहा है कि इओडब्ल्यू बार-बार स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से दस्तावेज मांग रहा था। लेकिन अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। जिसके बाद आज इओडब्ल्यू की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर पहुंचकर सर्चिंग कि। इओडब्ल्यू ने यहां से कुछ दस्तावेज भी जप्त किये हैं।


Body:शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले को लेकर इओडब्ल्यू ने अब जांच तेज़ कर दी है। आज ईओडब्ल्यू की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की। मामले में प्रारंभिक जांच शुरू करने के बाद से ही लगातार इओडब्ल्यू की टीम स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से दस्तावेज मांग रही थी। लेकिन स्मार्ट सिटी दफ्तर के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। जिसके बाद इओडब्ल्यू की टीम आज स्मार्ट सिटी दफ्तर पहुंची और सर्चिंग की। बताया जा रहा है कि, टीम ने यहां से प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी जप्त किए हैं। अब इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही इओडब्ल्यू इस घोटाले को लेकर एफआईआर भी दर्ज कर सकता है।


Conclusion:दरअसल साल 2017 में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट एचपीई कंपनी को 300 करोड़ रुपए में दिया गया था। इस दौरान सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे। विवेक अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने एचपीई कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर जारी किया था। क्योंकि इस कंपनी में विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल सीनियर अधिकारी थे। जबकि इसी के लिए बीएसएनएल ने 250 करोड़ रुपये का टेंडर भरा था। लेकिन बीएसएनल को यह टेंडर नहीं दिया गया। साथ ही ये टेंडर जारी होने के महज 6 दिन पहले ही स्मार्ट सिटी की कंसलटेंट कंपनी पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी के बीच साथ में काम करने का करार कोलकाता में हुआ था।

वॉक थ्रू- सिद्धार्थ सोनवाने।
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