भोपाल। शिवराज सरकार में हुए स्मार्ट सिटी घोटाले को लेकर इओडब्ल्यू ने अब जांच तेज कर दी है. EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर में सर्चिंग की है. बताया जा रहा है कि इओडब्ल्यू बार-बार स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से दस्तावेज मांग रहा था, लेकिन अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे, जिसके बाद शुक्रवार को EOW की टीम ने स्मार्ट सिटी दफ्तर पहुंचकर सर्चिंग की और कुछ दस्तावेज भी जब्त किए.
कई अहम दस्तावेज जब्त
बताया जा रहा है कि, टीम ने यहां से प्रोजेक्ट से जुड़े कई अहम दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिनकी अब जांच की जा रही है. माना जा रहा है कि जल्द ही EOW इस घोटाले को लेकर FIR भी दर्ज कर सकता है. साल 2017 में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंटीग्रेटेड डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने का प्रोजेक्ट एचपीई कंपनी को 300 करोड़ रुपए में दिया गया था.
250 करोड़ के टेंडर के मामले का हो सकत है खुलासा
इस दौरान सीनियर आईएएस अफसर विवेक अग्रवाल, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर पदस्थ थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने एचपीई कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर जारी किया था, क्योंकि इस कंपनी में विवेक अग्रवाल के बेटे वैभव अग्रवाल सीनियर अधिकारी थे, जबकि इसी के लिए BSNL ने 250 करोड़ रुपये का टेंडर भरा था, लेकिन बीएसएनल को ये टेंडर नहीं दिया गया. साथ ही ये टेंडर जारी होने के महज 6 दिन पहले ही स्मार्ट सिटी की कंसलटेंट कंपनी पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी के बीच साथ में काम करने का करार कोलकाता में हुआ था. इस मामले में जांच के बाद खुलासा हो सकता है.