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8 जनवरी को बिजली विभाग के कर्मचारी करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल, केंद्र की नीतियों के खिलाफ होगा आंदोलन

केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिक सिटी एक्ट में निजीकरण के लिए किए जा रहे संशोधन के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारी 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.

Electricity employees to strike nationwide
बिजली कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन
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Published : Dec 23, 2019, 8:47 AM IST

भोपाल। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिक सिटी एक्ट में निजीकरण के लिए किए जा रहे संशोधन के विरोध में बिजली विभाग में काम करने वाले कर्मचारी बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. देश के साथ ही प्रदेश में भी 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ के द्वारा किया गया है. इस हड़ताल में देशभर के 15 लाख कर्मचारी शामिल होंगे. आम जनता को परेशानी ना हो, इसके लिए ग्रेड में काम करने वाले कर्मचारी शिफ्ट में अपने-अपने दायित्वों को संभालेंगे.

बिजली कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन बीएस दत्ता का कहना है कि केंद्र सरकार सब्सिडी को समाप्त करने जा रही है. यदि सब्सिडी समाप्त होती है, तो इसका मतलब होगा कि जो कॉमन उपभोक्ता और गरीब उपभोक्ता है, उसकी बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाएंगी और यह दर देने में गरीब और सामान्य उपभोक्ता सक्षम नहीं है. यह निर्णय पूरी तरह से जनविरोधी है. केंद्र सरकार के द्वारा कॉरपोरेट जगत को सपोर्ट करने वाली जो नीतियां हैं, उसी का हम लोग विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार किसी अध्यादेश या फिर बजट सत्र के दौरान इस बिल को पास कराने की कोशिश करती है, तो देश के तमाम बिजलीकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार हैं.

भोपाल। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिक सिटी एक्ट में निजीकरण के लिए किए जा रहे संशोधन के विरोध में बिजली विभाग में काम करने वाले कर्मचारी बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं. देश के साथ ही प्रदेश में भी 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ के द्वारा किया गया है. इस हड़ताल में देशभर के 15 लाख कर्मचारी शामिल होंगे. आम जनता को परेशानी ना हो, इसके लिए ग्रेड में काम करने वाले कर्मचारी शिफ्ट में अपने-अपने दायित्वों को संभालेंगे.

बिजली कर्मचारी करेंगे प्रदर्शन

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन बीएस दत्ता का कहना है कि केंद्र सरकार सब्सिडी को समाप्त करने जा रही है. यदि सब्सिडी समाप्त होती है, तो इसका मतलब होगा कि जो कॉमन उपभोक्ता और गरीब उपभोक्ता है, उसकी बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाएंगी और यह दर देने में गरीब और सामान्य उपभोक्ता सक्षम नहीं है. यह निर्णय पूरी तरह से जनविरोधी है. केंद्र सरकार के द्वारा कॉरपोरेट जगत को सपोर्ट करने वाली जो नीतियां हैं, उसी का हम लोग विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार किसी अध्यादेश या फिर बजट सत्र के दौरान इस बिल को पास कराने की कोशिश करती है, तो देश के तमाम बिजलीकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार हैं.

Intro:(रेडी टू अपलोड)

केंद्र की गलत नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को बिजली कर्मचारी करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल


भोपाल | केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिक सिटी एक्ट में निजीकरण के लिए किए जा रहे संशोधन के विरोध में विद्युत मंडल में काम करने वाले कर्मचारी बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं देश के साथ ही प्रदेश में भी 8 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान मध्य प्रदेश विद्युत मंडल अभियंता संघ के द्वारा किया गया है इस हड़ताल में देशभर के 15 लाख कर्मचारी शामिल होंगे आम जनता को परेशानी ना हो इसके लिए ग्रेड में काम करने वाले कर्मचारी शिफ्ट में अपने-अपने दायित्वों को संभालेंगे .

Body:ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन बीएस दत्ता का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा कहा जा रहा है कि सब्सिडी को समाप्त करने जा रही है . यदि सब्सिडी समाप्त होती है तो इसका अर्थ होगा कि जो कॉमन उपभोक्ता और गरीब उपभोक्ता है उसकी बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाएंगी और यह दर देने में गरीब और सामान्य उपभोक्ता सक्षम नहीं है . यदि बेनिफिट ट्रांसफर उसके अकाउंट में दिया भी जाता है तब भी महीने का तीन से चार हजार रुपए का बिल भरने की उसकी क्षमता नहीं है . ऐसी स्थिति में यह निर्णय व्यवहारिक नजर नहीं आता है . यह निर्णय पूरी तरह से जनविरोधी है . केंद्र सरकार के द्वारा कारपोरेट जगत को सपोर्ट करने वाली जो नीतियां है उसी का हम लोग विरोध कर रहे हैं .
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार के द्वारा किसी अध्यादेश या फिर बजट सत्र के दौरान इस बिल को पास कराने की कोशिश की तो देश के तमाम बिजली कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार है .

उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रुपए पहले ही फंसा हुआ है फिर भी निजी घरानों पर कोई ठोस कार्यवाही करने की बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिए बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप का और बड़े घोटाले की तैयारी कर रही है . यही वजह है कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिक सिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स की समन्वय समिति में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन , ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर, इलेक्ट्रिक सिटी एंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया , ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिक सिटी एंप्लाइज (एटक ) , इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन , ऑल इंडिया पावर मेंस फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन सम्मिलित है जो इसका विरोध कर रही है . यह सभी फेडरेशन और प्रांतों की सभी स्थानीय यूनियन भी कार्य बहिष्कार में सम्मिलित होंगी मध्य प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व इंजीनियर 8 जनवरी को 1 दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे .


Conclusion:उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक सिटी एक्ट में किए जा रहे जनविरोधी प्रतिगामी प्रावधानों का बिजली कर्मचारी और इंजीनियर्स प्रारंभ से ही विरोध कर रहे हैं और इस संबंध में केंद्र सरकार को लिखित तौर पर कई बार दिया जा चुका है . संशोधन पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी 3 साल में समाप्त हो जाएगी . जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व व्यवसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी की जाएगी उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा जिसके अनुसार बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट हो जाएंगी . प्रस्तावित संशोधन के अनुसार बिजली वितरण और विद्युत आपूर्ति के लाइसेंस अलग अलग करने तथा एक ही क्षेत्र में कई विद्युत आपूर्ति कंपनियां बनाने का प्रावधान है इसलिए इसके अनुसार सरकारी कंपनी को सबको बिजली देने यूनिवर्सल पावर सप्लाई एप्लीकेशन एप्लीकेशन की अनिवार्यता होगी जबकि निजी कंपनियों पर ऐसा कोई बंधन नहीं होगा तो स्वाभाविक है कि निजी आपूर्ति कंपनियां मुनाफे वाले बड़े वाणिज्य और उद्योग घरानों को बिजली आपूर्ति करेगी जबकि सरकारी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति कंपनी निजी नलकूप गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं और लागत से कम मूल्य पर बिजली टैरिफ के घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति करने को विवश होगी और बड़ा घाटा उठाएगी .

उन्होंने कहा कि हमारी मांगे हैं कि विद्युत परिषद के विघटन के बाद भर्ती हुए कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू की जाए ,समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए ,ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर नियमित प्रकृति के कार्यों हेतु संविदा कर्मियों को वरीयता देते हुए तेलंगाना की तरह नियमित किया जाए ,बिजली का निजीकरण पूरी तरह बंद होना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों को निजी घरानों को सौंपना बंद करना हमारे प्रमुख मांगों में शामिल है .
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक सिटी संविधान की समवर्ती सूची में है और राज्य का विषय है किंतु यदि निजी करण हेतु इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन किया गया तो बिजली के मामले में केंद्र का वर्चस्व बढ़ेगा और राज्यों की शक्ति कम हो जाएगी अतः इस दृष्टि से भी जल्दबाजी करने की बजाय संशोधन बिल पर राज्य सरकारों बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों की राय ली जानी आवश्यक है .
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