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Electricity Crisis: 1100 करोड़ नहीं चुकाने पर कोयले की रोकी सप्लाई, 9 यूनिट बंद, कई शहरों में बिजली की अघोषित कटौती

प्रदेश में बिजली संकट (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) पर बवाल मचा है, कर्ज में डूबी शिवराज सरकार पर कोल कंपनियों का करीब 1100 करोड़ रुपए बकाया है, जिसके चलते कोयले की सप्लाई रोक दी है, लिहाजा अब प्रदेश के अंधेरे में डूबने का खतरा बढ़ने लगा है, जबकि शिवराज सरकार दावा कर रही है कि जल्द ही कोयले की आपूर्ति करा दी जाएगी. वहीं कई शहरों में बिजली की अघोषित कटौती शुरू हो गई है.

Electricity Crisis In MP
कोयले का स्टॉक
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Published : Sep 2, 2021, 9:45 AM IST

Updated : Oct 11, 2021, 10:14 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार बिजली संकट गहराता (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) जा रहा है, इस संकट पर पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से खूब बयानबाजी भी हो रही है, अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chauhan) ने स्वीकार कर लिया है कि बिजली का संकट बांधों में पानी नहीं होने और कोयले की पूर्ति नहीं होने की वजह से गहराया है, जबकि हकीकत ये है कि कोल कंपनियों को पुराना बकाया बिजली कंपनियों से लेना है, जिसके चलते कंपनियों ने कोयले की सप्लाई रोक दी है. यही वजह है कि मप्र के कस्बे सहित शहरों में भी घंटों-घंटों तक अंधेरा छाया रहता है.

शिवराज सिंह चौहान

1253 करोड़ बकाया, सिर्फ 153 करोड़ भुगतान

कोल कंपनियों का मध्यप्रदेश पर 1100 करोड़ रुपए बकाया है, भुगतान नहीं मिलने की स्थिति में इन कंपनियों ने कोयले की सप्लाई बंद कर दी है. मप्र के प्रमुख थर्मल पॉवर प्लांट को वेस्टर्न कोल लिमिटेड, नार्दन कोल लिमिटेड, साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स कोयले की सप्लाई करते हैं, सूत्रों की माने तो इन कंपनियों का 1253 करोड़ रुपए बकाया है, जबकि करीब 153 करोड़ रुपए से अधिक जून में पेमेंट किया गया था. हालांकि अभी भी करीब 1100 करोड़ इन थर्मल कंपनियों का बकाया है, जिसकी वजह से बिजली संकट गहराया हुआ है. वहीं सेंट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी ने भी कोयले की सप्लाई में कमी के पीछे भुगतान नहीं होना बताया है. एक नजर डालते हैं कहां पर कितना कोयला बचा है और कितनी रोजाना की खपत है, आंकड़े-स्टॉक की मात्रा (हजार टन) में है.

Electricity Crisis In MP
कोयले का स्टॉक

ऊपर टेबल में आंकड़े दिख रहे हैं कि पॉवर प्लांट (Thermal Power Plant) में रोजाना कितना कोयले की खपत है और कितना भंडारण इस समय मौजूद है. थर्मल पॉवर प्लांट की 9 और हाइडल की तीन यूनिटें भी कोयले की कमी की वजह से बंद कर दी गई हैं. मानक के मुताबिक बिजली उत्पादन इकाइयों में 14 से 21 दिनों का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन कई जगह स्टॉक खत्म है और कई इकाइयों में बहुत ही कम मात्रा में स्टॉक बचा है, इस वजह से बिजली कटौती की जा रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी स्वीकार करते हैं कि बिजली संकट की वजह बांधों में पानी नहीं होना और कोयला खदानों में पानी भरा होना है.

मुर्दे का Transfer! खुदकुशी के 16 दिन बाद तबादला, घूसखोरी की घेराबंदी में उलझकर दी थी जान

वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा- मध्यप्रदेश में बिजली का संकट है कोयले की कमी और अघोषित बिजली कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनों बाद शिवराज सरकार नींद से जागी है और अब खुद शिवराज सिंह स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में बिजली का संकट है, कोयले का भी संकट है.

  • पहले तो मध्यप्रदेश में बिजली संकट ,कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनो बाद शिवराज सरकार नींद से जागी और अब ख़ुद शिवराज जी स्वीकार रहे है कि प्रदेश में बिजली का संकट है ,पर्याप्त आपूर्ति नही है ,कोयले का भी संकट है,

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सूत्रों की माने तो कोयले की कमी का असर उत्पादन (Main Causes Of Power Outages) पर पड़ रहा है, प्रदेश सरकार एनटीपीसी व निजी बिजली घरों से मंहगी बिजली लेकर सप्लाई करेगी, जिसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं के साथ-साथ बिजली कंपनियों के घाटे पर पड़ेगा. बिजली कंपनियां 2740 करोड़ रुपए के घाटे में हैं, जिसके चलते बिजली कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया है.

  • अब जब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में और कृषि क्षेत्रों में कई दिनो से घंटों बिजली गायब है , किसान व जनता परेशान हो रहे है तो नींद से जागकर कह रहे हैं कि “कोयले का इंतजाम कर रहे हैं ,

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बिजली बैंकिंग से 1000 करोड़ का नुकसान

बिजली मामलों के जानकारों ने मप्र ऊर्जा नियामक आयोग में आपत्ति भी दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि हर माह सरप्लस बिजली के बावजूद लगभग 2000 करोड़ की बिजली अतिरिक्त बतौर बैंकिंग खरीदी गई, जिसमें 600 करोड़ रुपए का नुकसान अग्रिम बिजली नकद खरीदी, लाइन लॉस के रुप में अन्य राज्यों में उधार बेचने में होता है और 400 करोड़ का नुकसान ओपन एक्सिस के रुप में होता है, जबकि बिजली कंपनियां बैंकिंग की अनुमति भी राज्य सरकार से नहीं लेती हैं.

बिना खरीदी बतौर फिक्स चार्ज देती है 4200 करोड़

प्रदेश में अचानक बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) आ गया है, संकट के समय जिन निजी कंपनियों से सरकार ने 21,500 करोड़ मेगावाट की बिजली के लिए अनुबंध कर रखा है, जरूरत पड़ने पर वो भी बिजली नहीं दे पा रहे हैं, बढ़ते संकट को देखते हुए किरकिरी और जनता के गुस्से से बचने के लिए सरकार ने दो दिन में 1165 करोड़ रुपए की बिजली मंहगी दर पर खरीदी है.

क्या है सरकार का दावा

राज्य सरकार ने कटौती नहीं होने का दावा किया है, उसका कहना है कि मेंटेनेंस के चलते 2227 मेगावाट क्षमता की यूनिट वार्षिक रखरखाव के लिए बंद है, इसमें 1000 मेगावाट क्षमता 5 सिंतबर तक उपलब्ध हो जाएगी. राज्य सरकार ने दावा किया है कि 30 जनवरी 2021 को पिछले साल की तुलना में 39.4 प्रतिशत ज्यादा बिजली की आपूर्ति की गई, जबकि इसी अवधि में मांग 30.2 प्रतिशत ज्यादा रही. अभी डब्लूसीएल से 6, एसीएल से 5 और सिंगरौली से कोयले की दो रैक 2 दिनों में सिंगाजी पावर प्लांट पहुंचेगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार बिजली संकट गहराता (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) जा रहा है, इस संकट पर पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ से खूब बयानबाजी भी हो रही है, अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chauhan) ने स्वीकार कर लिया है कि बिजली का संकट बांधों में पानी नहीं होने और कोयले की पूर्ति नहीं होने की वजह से गहराया है, जबकि हकीकत ये है कि कोल कंपनियों को पुराना बकाया बिजली कंपनियों से लेना है, जिसके चलते कंपनियों ने कोयले की सप्लाई रोक दी है. यही वजह है कि मप्र के कस्बे सहित शहरों में भी घंटों-घंटों तक अंधेरा छाया रहता है.

शिवराज सिंह चौहान

1253 करोड़ बकाया, सिर्फ 153 करोड़ भुगतान

कोल कंपनियों का मध्यप्रदेश पर 1100 करोड़ रुपए बकाया है, भुगतान नहीं मिलने की स्थिति में इन कंपनियों ने कोयले की सप्लाई बंद कर दी है. मप्र के प्रमुख थर्मल पॉवर प्लांट को वेस्टर्न कोल लिमिटेड, नार्दन कोल लिमिटेड, साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स कोयले की सप्लाई करते हैं, सूत्रों की माने तो इन कंपनियों का 1253 करोड़ रुपए बकाया है, जबकि करीब 153 करोड़ रुपए से अधिक जून में पेमेंट किया गया था. हालांकि अभी भी करीब 1100 करोड़ इन थर्मल कंपनियों का बकाया है, जिसकी वजह से बिजली संकट गहराया हुआ है. वहीं सेंट्रल इलेक्ट्रिक अथॉरिटी ने भी कोयले की सप्लाई में कमी के पीछे भुगतान नहीं होना बताया है. एक नजर डालते हैं कहां पर कितना कोयला बचा है और कितनी रोजाना की खपत है, आंकड़े-स्टॉक की मात्रा (हजार टन) में है.

Electricity Crisis In MP
कोयले का स्टॉक

ऊपर टेबल में आंकड़े दिख रहे हैं कि पॉवर प्लांट (Thermal Power Plant) में रोजाना कितना कोयले की खपत है और कितना भंडारण इस समय मौजूद है. थर्मल पॉवर प्लांट की 9 और हाइडल की तीन यूनिटें भी कोयले की कमी की वजह से बंद कर दी गई हैं. मानक के मुताबिक बिजली उत्पादन इकाइयों में 14 से 21 दिनों का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन कई जगह स्टॉक खत्म है और कई इकाइयों में बहुत ही कम मात्रा में स्टॉक बचा है, इस वजह से बिजली कटौती की जा रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी स्वीकार करते हैं कि बिजली संकट की वजह बांधों में पानी नहीं होना और कोयला खदानों में पानी भरा होना है.

मुर्दे का Transfer! खुदकुशी के 16 दिन बाद तबादला, घूसखोरी की घेराबंदी में उलझकर दी थी जान

वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घेरते हुए ट्विटर पर लिखा- मध्यप्रदेश में बिजली का संकट है कोयले की कमी और अघोषित बिजली कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनों बाद शिवराज सरकार नींद से जागी है और अब खुद शिवराज सिंह स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में बिजली का संकट है, कोयले का भी संकट है.

  • पहले तो मध्यप्रदेश में बिजली संकट ,कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इनकार करते रहे और अब कई दिनो बाद शिवराज सरकार नींद से जागी और अब ख़ुद शिवराज जी स्वीकार रहे है कि प्रदेश में बिजली का संकट है ,पर्याप्त आपूर्ति नही है ,कोयले का भी संकट है,

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

सूत्रों की माने तो कोयले की कमी का असर उत्पादन (Main Causes Of Power Outages) पर पड़ रहा है, प्रदेश सरकार एनटीपीसी व निजी बिजली घरों से मंहगी बिजली लेकर सप्लाई करेगी, जिसका सीधा असर बिजली उपभोक्ताओं के साथ-साथ बिजली कंपनियों के घाटे पर पड़ेगा. बिजली कंपनियां 2740 करोड़ रुपए के घाटे में हैं, जिसके चलते बिजली कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया है.

  • अब जब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में और कृषि क्षेत्रों में कई दिनो से घंटों बिजली गायब है , किसान व जनता परेशान हो रहे है तो नींद से जागकर कह रहे हैं कि “कोयले का इंतजाम कर रहे हैं ,

    — Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 1, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बिजली बैंकिंग से 1000 करोड़ का नुकसान

बिजली मामलों के जानकारों ने मप्र ऊर्जा नियामक आयोग में आपत्ति भी दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि हर माह सरप्लस बिजली के बावजूद लगभग 2000 करोड़ की बिजली अतिरिक्त बतौर बैंकिंग खरीदी गई, जिसमें 600 करोड़ रुपए का नुकसान अग्रिम बिजली नकद खरीदी, लाइन लॉस के रुप में अन्य राज्यों में उधार बेचने में होता है और 400 करोड़ का नुकसान ओपन एक्सिस के रुप में होता है, जबकि बिजली कंपनियां बैंकिंग की अनुमति भी राज्य सरकार से नहीं लेती हैं.

बिना खरीदी बतौर फिक्स चार्ज देती है 4200 करोड़

प्रदेश में अचानक बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर (Electricity Crisis In Madhya Pradesh) आ गया है, संकट के समय जिन निजी कंपनियों से सरकार ने 21,500 करोड़ मेगावाट की बिजली के लिए अनुबंध कर रखा है, जरूरत पड़ने पर वो भी बिजली नहीं दे पा रहे हैं, बढ़ते संकट को देखते हुए किरकिरी और जनता के गुस्से से बचने के लिए सरकार ने दो दिन में 1165 करोड़ रुपए की बिजली मंहगी दर पर खरीदी है.

क्या है सरकार का दावा

राज्य सरकार ने कटौती नहीं होने का दावा किया है, उसका कहना है कि मेंटेनेंस के चलते 2227 मेगावाट क्षमता की यूनिट वार्षिक रखरखाव के लिए बंद है, इसमें 1000 मेगावाट क्षमता 5 सिंतबर तक उपलब्ध हो जाएगी. राज्य सरकार ने दावा किया है कि 30 जनवरी 2021 को पिछले साल की तुलना में 39.4 प्रतिशत ज्यादा बिजली की आपूर्ति की गई, जबकि इसी अवधि में मांग 30.2 प्रतिशत ज्यादा रही. अभी डब्लूसीएल से 6, एसीएल से 5 और सिंगरौली से कोयले की दो रैक 2 दिनों में सिंगाजी पावर प्लांट पहुंचेगी.

Last Updated : Oct 11, 2021, 10:14 AM IST
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