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Eid Ul Fitr: मोहब्बत‍ और इंसानियत का पैगाम देता है ईद का त्योहार, जानिए कब हुई थी शुरुआत

ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है. ईद एक अलग महत्व रखती है. रमजान के 1 महीने के रोजे रखने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है. दरअसल रमजान के महीने में ही कुरान पाक पैगम्बर मोहम्मद साहब पर नाजिल हुआ था. ईद अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है खुशी. इस दिन लोग एक दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई देते हैं और गिले शिकवे दूर करते हैं.

Eid festival celebration
इंसानियत का पैगाम देता है ईद का त्योहार
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Published : Apr 22, 2023, 6:01 AM IST

Updated : Apr 22, 2023, 1:14 PM IST

भोपाल। भारत के कई राज्यों में ईद का चांद देखा गया. इसी के साथ शनिवार 22 अप्रैल को ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाएगा. सभी मुसलमान शनिवार सुबह ईद-उल-फितर की नमाज अदा करेंगे. बता दें कि मुसलमानों का यह त्योहार भाईचारे का प्रतीक है. इस दिन लोग सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. ईद का यह त्योहार पूरी दुनिया में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. हिजरी कैलेंडर के कारण हर साल ईद की तारीख बदलती रहती है. यह कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित है. इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती गति के अनुसार दिनों की गणना की जाती है.

अल्लाह की तरफ से रोजदारों को तोहफा: ईद-उल-फितर रमजान के बाद रोजेदार को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला रूहानी तोहफा है. ईद आपसी तालमेल, भाईचारा और मोहब्बत का मजबूत धागा है. रमजान का पाक महीना पूरे होने के साथ चांद का दीदार होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है. ईद मुस्लिम मजहब का सबसे अहम और बड़ा त्योहार है. ऐसी मान्यता है कि मुस्लिमों की मजहबी किताब कुरान पाक रमजान के महीने में ही धरती पर आई थी. एक मान्यता है कि ईद का त्योहार खुशी और जीत में मनाया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि बद्र के युद्ध में जब पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को कामयाबी मिली थी, तब लोगों ने पहली खुशी में ईद का त्योहार मनाया था.

मस्जिदों-घरों को सजाया जाता है: मुसलमान समाज के लोग बेसब्री से ईद का इंतेजार करते हैं. क्योंकि यह त्योहार रमजान के पूरे महीने रोज़े रखने, अल्लाह की इबादत करने के बाद बंदों को नसीब होता है. इस दिन घरों और मस्जिदों को सजाया जाता है. सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, ईद की नमाज़ अदा करते हैं और घरों में लजीज व्यंजन बनाते हैं. इस दिन छोटे बच्चों को पैसे या गिफ्ट दिए जाते हैं, जिसे ईदी कहा जाता है.

सेवई के बिन ईद अधुरी: ईद के मौके पर लोग तरह-तरह के पकवान बनते हैं. लेकिन इस अवसर पर जो सबसे खास होता है, वो है इस दिन खास तौर पर बनने वाली सेवई. सेवई का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. घर के लोग हो या दावत पर आने वाले मेहमान सेवई खाए बगैर नहीं रहते. इसलिए ईद को मीठी ईद या फिर सेवइयों वाली ईद भी कहते हैं. वैसे तो सेवई साल भर खा सकते हैं, लेकिन ईद के दिन बनने वाली सेवई का मजा ही अलग होता है.

रमजान के बाद ही क्यों मनाई जाता है ईद: ईद का त्योहार लोगों के दिल में खुशियां और उत्साह भर देता है. लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, बंदे रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं. ईद मुस्लिम लोगों को पूरे महीने रोज़े रखने के बाद अल्लाह की तरफ से एक तोहफा है. इसलिए हर साल रमजान महीने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है.

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गरीबों को दिया जाता है फितरा: वैसे तो मुस्लिम समाज के लोग वक्त-वक्त पर अपनी हैसियत के हिसाब से फितरा (दान) देते हैं. लेकिन रमजान और ईद के मौके पर फितरा देते का महत्व ज्यादा है. फितरा हर मुसलमान को ईद की नमाज से पहले देना वाजिब है. करीब 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देना, फितरा कहलाता है. लेकिन इंसान आर्थिक रूप से मजबूत है तो वह ज्यादा फितरा दे सकता है.

ईद के फर्ज: ईद खुशियां लेकर आती है. हालांकि इसे मनाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना भी बहुत ही जरूरी है. सुबह उठते ही फजिर की नमाज पढ़ी जाती है. फिर नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर, इत्र लगाकर, कुछ खाने वाली चीज का सेवन करके ईदगाह और मस्जिदों में जाकर नमाज अदा की जाती है. ईद के दिन नए कपड़े पहनना जरूरी नहीं हैं. इस दिन साफ कपड़े पहने जाते हैं.

भोपाल। भारत के कई राज्यों में ईद का चांद देखा गया. इसी के साथ शनिवार 22 अप्रैल को ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाएगा. सभी मुसलमान शनिवार सुबह ईद-उल-फितर की नमाज अदा करेंगे. बता दें कि मुसलमानों का यह त्योहार भाईचारे का प्रतीक है. इस दिन लोग सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. ईद का यह त्योहार पूरी दुनिया में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. हिजरी कैलेंडर के कारण हर साल ईद की तारीख बदलती रहती है. यह कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित है. इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती गति के अनुसार दिनों की गणना की जाती है.

अल्लाह की तरफ से रोजदारों को तोहफा: ईद-उल-फितर रमजान के बाद रोजेदार को अल्लाह की तरफ से मिलने वाला रूहानी तोहफा है. ईद आपसी तालमेल, भाईचारा और मोहब्बत का मजबूत धागा है. रमजान का पाक महीना पूरे होने के साथ चांद का दीदार होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है. ईद मुस्लिम मजहब का सबसे अहम और बड़ा त्योहार है. ऐसी मान्यता है कि मुस्लिमों की मजहबी किताब कुरान पाक रमजान के महीने में ही धरती पर आई थी. एक मान्यता है कि ईद का त्योहार खुशी और जीत में मनाया जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि बद्र के युद्ध में जब पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को कामयाबी मिली थी, तब लोगों ने पहली खुशी में ईद का त्योहार मनाया था.

मस्जिदों-घरों को सजाया जाता है: मुसलमान समाज के लोग बेसब्री से ईद का इंतेजार करते हैं. क्योंकि यह त्योहार रमजान के पूरे महीने रोज़े रखने, अल्लाह की इबादत करने के बाद बंदों को नसीब होता है. इस दिन घरों और मस्जिदों को सजाया जाता है. सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, ईद की नमाज़ अदा करते हैं और घरों में लजीज व्यंजन बनाते हैं. इस दिन छोटे बच्चों को पैसे या गिफ्ट दिए जाते हैं, जिसे ईदी कहा जाता है.

सेवई के बिन ईद अधुरी: ईद के मौके पर लोग तरह-तरह के पकवान बनते हैं. लेकिन इस अवसर पर जो सबसे खास होता है, वो है इस दिन खास तौर पर बनने वाली सेवई. सेवई का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. घर के लोग हो या दावत पर आने वाले मेहमान सेवई खाए बगैर नहीं रहते. इसलिए ईद को मीठी ईद या फिर सेवइयों वाली ईद भी कहते हैं. वैसे तो सेवई साल भर खा सकते हैं, लेकिन ईद के दिन बनने वाली सेवई का मजा ही अलग होता है.

रमजान के बाद ही क्यों मनाई जाता है ईद: ईद का त्योहार लोगों के दिल में खुशियां और उत्साह भर देता है. लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल भी आता होगा कि आखिर ईद का त्योहार रमज़ान के बाद ही क्यों मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, बंदे रमजान के पूरे महीने रोजा रखते हैं. ईद मुस्लिम लोगों को पूरे महीने रोज़े रखने के बाद अल्लाह की तरफ से एक तोहफा है. इसलिए हर साल रमजान महीने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है.

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गरीबों को दिया जाता है फितरा: वैसे तो मुस्लिम समाज के लोग वक्त-वक्त पर अपनी हैसियत के हिसाब से फितरा (दान) देते हैं. लेकिन रमजान और ईद के मौके पर फितरा देते का महत्व ज्यादा है. फितरा हर मुसलमान को ईद की नमाज से पहले देना वाजिब है. करीब 1 किलो गेहूं की कीमत किसी गरीब को देना, फितरा कहलाता है. लेकिन इंसान आर्थिक रूप से मजबूत है तो वह ज्यादा फितरा दे सकता है.

ईद के फर्ज: ईद खुशियां लेकर आती है. हालांकि इसे मनाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका पालन करना भी बहुत ही जरूरी है. सुबह उठते ही फजिर की नमाज पढ़ी जाती है. फिर नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर, इत्र लगाकर, कुछ खाने वाली चीज का सेवन करके ईदगाह और मस्जिदों में जाकर नमाज अदा की जाती है. ईद के दिन नए कपड़े पहनना जरूरी नहीं हैं. इस दिन साफ कपड़े पहने जाते हैं.

Last Updated : Apr 22, 2023, 1:14 PM IST
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