भोपाल। कोरोना वायरस के संकट से स्कूली सत्र 2020-21 सीधे-सीधे 2 माह पीछे हो जाएगा. आमतौर पर स्कूली सत्र अप्रैल माह में शुरू हो जाता है, लेकिन अप्रैल में कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. मई और जून की छुट्टियों के बाद जुलाई में नए सत्र की क्लासेस लगनी शुरू हो जाती हैं. कई स्कूलों में जून में ही सेशन शुरू हो जाता है, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से इस साल स्कूली सत्र सीधे-सीधे दो माह पीछे हो जाएगा और अगस्त के माह से स्कूलों में क्लासेस लग पाएगी.
सीबीएसई और निजी स्कूलों ने 1 अप्रैल से नया सत्र शुरू कर दिया है. ऑनलाइन के माध्यम से छात्रों को कक्षाएं दी जा रही है, लेकिन शासकीय स्कूलों में यह संभव नहीं है. क्योंकि मध्य प्रदेश के शासकीय स्कूलों में 60 प्रतिशित बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं. जहां स्मार्टफोन की सुविधाएं नहीं है. ऐसे में यह छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित है. वैसे हर साल 1 अप्रैल से नया सत्र शुरु होता है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते अप्रैल माह में स्कूल बंद है. मई जून की छुट्टियों के बाद 1 जुलाई से स्कूलों में क्लासेज शुरू हो जाती हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब स्कूलों में नया सत्र शुरू होने में सीधे-सीधे 2 माह की देरी होगी.
शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला जहांगीराबाद की प्राचार्य उषा खरे ने बताया कि, उनके स्कूल में केवल 40 प्रतिशित बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन कक्षाओं में जुड़ पा रहे हैं. इसमें भी दिक्कत आती है और 60 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं. जिनके पास स्मार्टफोन ही नहीं है ऐसे में सत्र शुरू करा कर सिलेबस कंप्लीट कराना मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा अगर अगस्त में भी कक्षाएं शुरू होती है, तो इस स्कूल का पूरा प्रयास रहेगा कि वह जल्द से जल्द सिलेबस कंप्लीट कराएं. उन्होंने कहा, फिलहाल समस्या बोर्ड के बच्चों के साथ है. क्योंकि इन बच्चों को भविष्य में सब्जेक्ट का चयन करना है. आगे की पढ़ाई के लिए तैयारी करनी है और यह तब तक नामुमकिन है. जब तक इनके नतीजे नहीं आ जाते. स्कूली सत्र में 2 माह की देरी होने से बच्चों का सिलेबस कंप्लीट कराने में तो देरी होगी ही, साथ ही शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करना भी शिक्षकों के लिए चुनौती बन सकता है.