भोपाल। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश भर में चल रही राजनीतिक जंग के बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और ओलंपियन असलम शेर खान पूरे मध्यप्रदेश का दौरा करेंगे. ये दौरा बुनियादी तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए किया जाएगा.
CAA-NRC पर मचे सियासी बवाल के बीच दिग्विजय सिंह का ऐलान, सांप्रदायिक सद्भाव के लिए करेंगे मध्य प्रदेश की यात्रा - Citizenship amendment law
मध्यप्रदेश में सीएए और एनआरसी पर बवाल मचा हुआ है. इस बीच अब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सांप्रदायिक सद्भाव के लिए पूरे मध्यप्रदेश का दौरा करेंगे. उनके साथ ओलंपियन असलम शेर खान भी नजर आएंगे.
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प्रदेश का दौरा करेंगे दिग्विजय सिंह और असलम शेर खान
भोपाल। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश भर में चल रही राजनीतिक जंग के बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और ओलंपियन असलम शेर खान पूरे मध्यप्रदेश का दौरा करेंगे. ये दौरा बुनियादी तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए किया जाएगा.
प्रदेश का दौरा रेंगे दिग्विजय सिंह और असलम शेर खान
दिग्विजय सिंह का कहना है कि जिस तरह से महात्मा गांधी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए लड़ाई लड़ी थी, उसी तरह से हम यह लड़ाई लड़ेंगे. हो सकता है हम पर हमला भी हो, लेकिन हमें कोई चिंता नहीं है, क्योंकि इस देश में सनातन परंपराओं को जीवित रखा जाएगा. सनातन परंपरा गंगा-जमुनी संस्कृति की है. हिंदू- मुस्लिम, सिख, ईसाई भाई- भाई की है. इसी परंपरा से देश की अनेकता की शक्ति है, इसी परंपरा की हम लड़ाई लड़ेंगे.
वहीं असलम शेर खान का कहना है कि यह लड़ाई मुस्लिमों की लड़ाई नहीं है. यह लड़ाई हिंदुस्तान के मुस्लिम नागरिकों की लड़ाई है. उनके वजूद की लड़ाई है, यह मजहब की लड़ाई नहीं है. एक तरफ जहां बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में पूरे देश में रैलियां और सभाएं कर रही है. वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने सांप्रदायिक सद्भाव यात्रा का एलान कर सियासी माहौल गरमा दिया है.
प्रदेश का दौरा रेंगे दिग्विजय सिंह और असलम शेर खान
दिग्विजय सिंह का कहना है कि जिस तरह से महात्मा गांधी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए लड़ाई लड़ी थी, उसी तरह से हम यह लड़ाई लड़ेंगे. हो सकता है हम पर हमला भी हो, लेकिन हमें कोई चिंता नहीं है, क्योंकि इस देश में सनातन परंपराओं को जीवित रखा जाएगा. सनातन परंपरा गंगा-जमुनी संस्कृति की है. हिंदू- मुस्लिम, सिख, ईसाई भाई- भाई की है. इसी परंपरा से देश की अनेकता की शक्ति है, इसी परंपरा की हम लड़ाई लड़ेंगे.
वहीं असलम शेर खान का कहना है कि यह लड़ाई मुस्लिमों की लड़ाई नहीं है. यह लड़ाई हिंदुस्तान के मुस्लिम नागरिकों की लड़ाई है. उनके वजूद की लड़ाई है, यह मजहब की लड़ाई नहीं है. एक तरफ जहां बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में पूरे देश में रैलियां और सभाएं कर रही है. वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने सांप्रदायिक सद्भाव यात्रा का एलान कर सियासी माहौल गरमा दिया है.
Intro:भोपाल। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश भर में चल रही लड़ाई के बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और ओलंपियन असलम शेर खान पूरे मध्यप्रदेश का दौरा करेंगे। यह दौरा बुनियादी तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए किया जाएगा। दिग्विजय सिंह का कहना है कि जिस तरह से महात्मा गांधी ने हिंदू मुस्लिम एकता के लिए लड़ाई लड़ी थी।उसी तरह से हम यह लड़ाई लड़ेंगे,हो सकता है हम पर हमला भी हो। लेकिन हमें कोई चिंता नहीं है। वही असलम शेर खान का कहना है कि यह लड़ाई मुस्लिमों की लड़ाई नहीं है। यह लड़ाई हिंदुस्तान के मुस्लिम नागरिकों की लड़ाई है। उनके वजूद की लड़ाई है, यह मजहब की लड़ाई नहीं है। एक तरफ जहां बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में पूरे देश में रैलियां और सभाएं कर रही है।वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह ने सांप्रदायिक सद्भाव यात्रा का एलान कर सियासी माहौल गरमा दिया है।
Body:इस यात्रा पर चर्चा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं और असलम भाई हम लोग पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे।जो बुनियादी तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव पर विश्वास रखते हैं, वह भी इसमें शामिल होंगे। हम लोग जाएंगे और लोगों को समझाएंगे और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए जी-जान लगाएंगे। उसी तरह से जिस तरह से महात्मा गांधी ने हिंदू मुस्लिम एकता की लड़ाई लड़ी थी।हम चिंता नहीं करते हैं। हो सकता है कि हम पर हमला भी होगा। हम फिक्र नहीं करते हैं। लेकिन इस देश में सनातन परंपराओं को जीवित रखा जाएगा। सनातन परंपरा गंगा जमुनी संस्कृति की है। हिंदू- मुस्लिम, सिख, ईसाई भाई- भाई की है।इसी परंपरा से देश की अनेकता की शक्ति है। इसी परंपरा की हम लड़ाई लड़ेंगे।
इस मामले में चर्चा करते हुए असलम शेर खान ने कहा कि जो आज चुनौतियां हैं। जिस तरह के हालात देश के कर दिए गए हैं। यह इंसानियत और जम्हूरियत दोनों पर हमला है। इन लोगों ने मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक के लिए जिस तरह के आंसू बहाए। लेकिन आज पूरे हिंदुस्तान में सर्दी के मौसम में महिलाएं बच्चों के साथ बैठी है। लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे बात करने नहीं पहुंचा है। मैं इस बात को मानता हूं कि हमें हिंदुस्तान की एकता और अखंडता,हिंदुस्तान की अस्मिता और पहचान के लिए लड़ाई लड़ने का वक्त आ गया है।
असलम शेर खान ने बताया कि जब दिग्विजय सिंह ने मुझसे कहा कि असलम भाई यह लड़ाई लड़ना है। तो मुझे वैसा ही लगा, जब 1975 में हमारी टीम सेमीफाइनल में हार रही थी। तो हमारे मैनेजर ने 5-7 मिनट पहले बुलाकर मुझे कहा कि बेटा अब तेरा खुदा ही भारत को बचा सकता है। आज सभी के लिए यह चुनौती है। मैं दिग्विजय सिंह को 35 साल से जानता हूं। जब 1985 में एक साथ हम संसद गए थे। उस दिन से धर्मनिरपेक्षता और आइडिया ऑफ इंडिया के मामले में इन में जरा भी फर्क नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है,मध्यप्रदेश और भोपाल का दुर्भाग्य है। जो गंगा जमुनी तहजीब का शहर होते हुए भी एक बेहतरीन राजनैतिक जगह होते हुए भी आरएसएस और बीजेपी ने दिग्विजय सिंह को मुस्लिम परस्त बताया है। जबकि इन्होंने हमेशा देश हित की बात की है।
Conclusion:असलम शेर खान ने कहा कि मैं फिर एक बार यह कहना चाहता हूं कि यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है।आरएसएस- बीजेपी कितना भी कहे कि यह मुसलमानों की लड़ाई है। लेकिन यह मुस्लिम नागरिकों की लड़ाई है। वह हिंदुस्तान के सम्मानीय नागरिक हैं।उनके वजूद की लड़ाई है, यह मजहब की लड़ाई नहीं है। मुझे भरोसा है कि यह लड़ाई हिंदुस्तान जीतेगा, जिसका सपना नेहरू-गांधी और अनगिनत लोगों ने त्याग करके बनाया था। अभी तक भटकाने में कामयाब रहे हैं,लेकिन अब बराबरी का मुद्दा आया है।अब वो हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र की शक्ल देना चाहते हैं और हम धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाए रखना चाहते हैं। फैसला गर्भ में है, देश की जनता तय करेगी।
Body:इस यात्रा पर चर्चा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं और असलम भाई हम लोग पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे।जो बुनियादी तौर पर सांप्रदायिक सद्भाव पर विश्वास रखते हैं, वह भी इसमें शामिल होंगे। हम लोग जाएंगे और लोगों को समझाएंगे और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए जी-जान लगाएंगे। उसी तरह से जिस तरह से महात्मा गांधी ने हिंदू मुस्लिम एकता की लड़ाई लड़ी थी।हम चिंता नहीं करते हैं। हो सकता है कि हम पर हमला भी होगा। हम फिक्र नहीं करते हैं। लेकिन इस देश में सनातन परंपराओं को जीवित रखा जाएगा। सनातन परंपरा गंगा जमुनी संस्कृति की है। हिंदू- मुस्लिम, सिख, ईसाई भाई- भाई की है।इसी परंपरा से देश की अनेकता की शक्ति है। इसी परंपरा की हम लड़ाई लड़ेंगे।
इस मामले में चर्चा करते हुए असलम शेर खान ने कहा कि जो आज चुनौतियां हैं। जिस तरह के हालात देश के कर दिए गए हैं। यह इंसानियत और जम्हूरियत दोनों पर हमला है। इन लोगों ने मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक के लिए जिस तरह के आंसू बहाए। लेकिन आज पूरे हिंदुस्तान में सर्दी के मौसम में महिलाएं बच्चों के साथ बैठी है। लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे बात करने नहीं पहुंचा है। मैं इस बात को मानता हूं कि हमें हिंदुस्तान की एकता और अखंडता,हिंदुस्तान की अस्मिता और पहचान के लिए लड़ाई लड़ने का वक्त आ गया है।
असलम शेर खान ने बताया कि जब दिग्विजय सिंह ने मुझसे कहा कि असलम भाई यह लड़ाई लड़ना है। तो मुझे वैसा ही लगा, जब 1975 में हमारी टीम सेमीफाइनल में हार रही थी। तो हमारे मैनेजर ने 5-7 मिनट पहले बुलाकर मुझे कहा कि बेटा अब तेरा खुदा ही भारत को बचा सकता है। आज सभी के लिए यह चुनौती है। मैं दिग्विजय सिंह को 35 साल से जानता हूं। जब 1985 में एक साथ हम संसद गए थे। उस दिन से धर्मनिरपेक्षता और आइडिया ऑफ इंडिया के मामले में इन में जरा भी फर्क नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है,मध्यप्रदेश और भोपाल का दुर्भाग्य है। जो गंगा जमुनी तहजीब का शहर होते हुए भी एक बेहतरीन राजनैतिक जगह होते हुए भी आरएसएस और बीजेपी ने दिग्विजय सिंह को मुस्लिम परस्त बताया है। जबकि इन्होंने हमेशा देश हित की बात की है।
Conclusion:असलम शेर खान ने कहा कि मैं फिर एक बार यह कहना चाहता हूं कि यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है।आरएसएस- बीजेपी कितना भी कहे कि यह मुसलमानों की लड़ाई है। लेकिन यह मुस्लिम नागरिकों की लड़ाई है। वह हिंदुस्तान के सम्मानीय नागरिक हैं।उनके वजूद की लड़ाई है, यह मजहब की लड़ाई नहीं है। मुझे भरोसा है कि यह लड़ाई हिंदुस्तान जीतेगा, जिसका सपना नेहरू-गांधी और अनगिनत लोगों ने त्याग करके बनाया था। अभी तक भटकाने में कामयाब रहे हैं,लेकिन अब बराबरी का मुद्दा आया है।अब वो हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र की शक्ल देना चाहते हैं और हम धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाए रखना चाहते हैं। फैसला गर्भ में है, देश की जनता तय करेगी।